बच्चों की भावनाओं की कदर करना और उसे समझना माता-पिता की जिम्मेदारी होती है। यह बहुत जरूरी है कि बच्चों के इमोशनल स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाए और वक्त आने पर उसे संभाला जाए। अक्सर ऐसा होता है कि बच्चे अपनी भावनाओं को जल्दी साझा नहीं कर पाते हैं। खासकर ऐसी बातें, जो उन्हें सबसे अधिक परेशान करती है, उसे अपने मन में छिपा कर रखते हैं और किसी से साझा नहीं करते हैं। इससे बच्चों में मानसिक तनाव बढ़ता है। बच्चों को इमोशनल संघर्ष से बाहर निकालने में सबसे बड़ी भूमिका परिवार की होती है। इस बारे में आइए विस्तार से जानते हैं चाइल्ड काउंसलर रिद्धी दोशी से।
सुनने और समझने का तरीका

बच्चों को इमोशनल संघर्ष से बाहर निकालने के लिए सबसे जरूरी है कि बच्चों की भावनाओं को समझना, उसे अपनाना और उसकी कदर करना। बच्चों की भावनाओं का सम्मान करना और उसे अपनाना बहुत जरूरी है। जब भी बच्चे किसी भी तरह के इमोशनल संघर्ष का सामना करते हैं, तो उन्हें यह महसूस कराना जरूरी होता है कि आप उनकी भावनाओं को समझते हैं। उन्हें बिना किसी आलोचना और निंदा किये बगैर सुनना चाहिए। बच्चों को बोलने का अवसर दें। यह ध्यान रखें कि बच्चे अपनी भावनाएं तभी साझा करते हैं, जब उन्हें यह महसूस होता है कि उनके पास कोई है, जो उन्हें समझता है और सुनता है।
बच्चों से इस तरह से बात न करें

बच्चों से यह कभी नहीं कहना चाहिए कि आप जो भी भावनाएं महसूस कर रहे हैं, वो कुछ वक्त के लिए है या फिर ऐसा नहीं हो सकता है, बल्कि माता-पिता को बच्चों से यह बोलना अच्छा होगा कि आप जो भी भावना महसूस कर रहे हैं, हम उसे समझ सकते हैं। आपको बच्चों से पूछना चाहिए कि क्या आप इस बारे में बात करना चाहते हैं या फिर आप यह भी कह सकती हैं कि हमें ऐसा लग रहा है कि आप आज अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं। आपको बच्चे से यह कहना चाहिए कि मैं समझ सकता हूं कि तुम परेशान हो, क्या तुम मुझे बताना चाहेंगे कि क्या हुआ।
बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाएं

माता-पिता को अपने बच्चों के लिए सुरक्षित और खुशहाल वातावरण का निर्माण करना चाहिए। आप बच्चों को देखकर यह महसूस कर सकती हैं कि वे किसी बात से परेशान या फिर चिढ़े हुए हैं। आपको उनकी भावनाओं को देखते हुए यह साफ तौर पर इस मामले पर बात करनी चाहिए। इस तरह आप बच्चों की भावनाओं का सम्मान करते हैं। इस तरह से आप बच्चों के इमोशनल बातचीत को भी बढ़ावा देते हैं, इस वजह से वह खुद की भावनाओं को अपना पाते हैं और समझ भी पाते हैं। माता-पिता को बच्चों को यह एहसास दिलाना चाहिए कि घर उनका सुरक्षित स्थान है, जहां पह वे अपनी हर समस्या का समाधान खोज सकती हैं।
बच्चों का मनोबल बढ़ाना

बच्चों को इमोशनल संघर्ष से बाहर निकालने के लिए उनके आत्म- सम्मान को बढ़ाना चाहिए। बच्चों के आत्म-सम्मान को बढ़ाने के लिए उनकी उपलब्धियों और सकारात्मक गुणों की सराहना करें। जब बच्चे महसूस करते हैं कि वे महत्वपूर्ण हैं और उनकी मेहनत को सराहा जाता है, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे इमोशनल संघर्षों से उतरने में सक्षम होते हैं। आप बच्चों से यह कह सकती हैं कि तुमने समस्या का समाधान बहुत अच्छी तरह से किया है, तुम बहादुर और समझदार हो। आप बच्चों को इमोशनल स्तर को बढ़ाने के लिए उनकी उपलब्धियों पर बात करनी चाहिए । आपको बच्चे से कहना चाहिए कि हमें गर्व है और आप अपने जीवन में अच्छा कर सकती हैं।
बच्चों को सहानुभूति देना

इमोशनल संघर्ष के दौरान बच्चों को सहारा की जरूरत होती है। बच्चों के इमोशनल संघर्ष से बाहर निकालने के लिए, उन्हें यह दिखाना बहुत जरूरी है कि आप उनकी भावनाओं के प्रति सहानुभूति रखते हैं। जब आप उनकी भावनाओं को स्वीकार करते हैं, तो वे अपने संघर्षों से बाहर निकलने में सक्षम होते हैं। बच्चों को यह बताना चाहिए कि हार और जीत जीवन का हिस्सा है, इससे घबराना नहीं हैं। उन्हें यह बताएं कि हार के बाद भी जीत होती है और जीत न हो, तो अनुभव हमेशा आपके साथ रहता है। साथ ही बच्चों के पास हमेशा ही परिवार के तौर पर इमोशनल सपोर्ट होना जरूरी है।