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होम / एन्गेज / रिलेशनशिप्स / पेरेंटिंग

बच्चों को सुरक्षित माहौल में न करें कैद, बचें ओवर प्रोटेक्टिव सिंड्रोम से

टीम Her Circle |  सितंबर 11, 2024

एक बात जो कई बार पेरेंट्स या अभिभावक समझ नहीं पाते हैं कि अपने बच्चों के साथ ओवरप्रोटेक्टिव होकर वे उनका नुकसान करते हैं, क्योंकि फिर बच्चे जिंदगी में कुछ भी एक्सप्लोर नहीं कर पाते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से। 

डर को पीछे हटाएं 

जो एक सबसे जरूरी बात है, जिस पर हमें सोचना ही चाहिए कि डर को न अपने दिल में और न ही अपने बच्चे के दिल में डालने की कोशिश करें, कई बार पेरेंट्स को लगता है कि अगर हमारा बच्चा ये नयी चीज करते हुए कहीं गिर न जाये, कहीं उसको कोई चोट न लग जाए, तो वे किसी भी नयी चीज को जल्दी उन्हें ट्राई करने की इजाजत नहीं देते हैं, ऐसे में आगे चल कर बच्चे किसी भी चीज की हिम्मत नहीं कर पाते हैं। यही वजह है कि स्कूल में कई बार पहला कदम रखते हुए या कोई भी नयी चीज ट्राई करते हुए वह घबराने लगता है और नयी चीज को भी ट्राई नहीं करता है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि आपका बच्चा फिर अलग या कुछ अनोखा सोचने के स्थिति में नहीं रह जाता है और यह उसके लिए नुकसान का कारण बन जाता है। पहले कदम से लेकर स्कूल में नृत्य करने को लेकर आपके बच्चे को नए तरीके से चीजें सीखनी ही चाहिए और इसके लिए उन्हें आपका साथ मिलना बेहद जरूरी है।

रोमांचक चीजों से अवगत कराएं 

यह भी काफी महत्वपूर्ण है कि रोमांचक चीजों से और जीवन से भी बच्चों को अवगत कराना बेहद जरूरी है, रोमांचक चीजों से अवगत कराना बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसा नहीं हुआ तो बच्चे हमेशा सीमित दायरे में रह जाएंगे, उन्हें अगर आप जरूरत से ज्यादा सुरक्षित माहौल में शामिल होने को कहेंगे, तो एक कम्फर्ट जोन में आएंगे और फिर भविष्य में आपके बच्चे को हर चीज करने में झिझक होगी और हर चीजों को करने से पहले और कुछ भी रोमांच करने से पहले वे दुखी जायेंगे या निराश रहेंगे और कुछ भी करने से पहले कई बार सोचेंगे। 

कभी अकेले छोड़ें 

कई बार हर समय हेलीकॉप्टर मम्मी यानी हर वक़्त बच्चे के इर्द-गिर्द घूमने की कोशिश न करें, ऐसे में बच्चे कई बार सिर्फ आपके दायरे में ही रहना पसंद करेंगे और जिंदगी की आपाधापी से कोई भी उनका राबता नहीं हो पायेगा, इसलिए हर वक़्त उनके साथ सपोर्ट सिस्टम जैसा न खड़े रहें, ध्यान दें कि उन्हें कभी अकेले छोड़ें, ताकि अकेले वे यानी आपके बच्चे परिस्थितियों से अधिक लड़ना सीखें और भविष्य में बेहतर कर सकें, किस तरह से वे जब किसी मुसीबत में फंसेंगे, तो अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करेंगे और इससे वे जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश कर सकेंगे। इसलिए इस बात का अच्छे से ध्यान रखें कि आपको अकेले बच्चे को छोड़ना ही है कि जिंदगी में उनके नयापन और नयी चीजें सीखने की स्थिति हो जाये। 

बच्चे के टैंट्रम को झेलना सही नहीं है 

बच्चे के टैंट्रम को झेलना हर वक़्त सही नहीं है। बच्चे के टैंट्रम को झेलने से भी बच्चे जिद्दी हो जाते हैं और फिर बच्चे के पेरेंटिंग के लिए ओवर प्रोटेक्ट यानी जरूरत से ज्यादा सुरक्षित माहौल में रहने से बच्चे भी मान लेते हैं कि बच्चे के टैंट्रम को उनके अभिभावक को झेलना ही है, तो फिर इससे बच्चों का मन बहक जाता है, तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि वो नखरे करना न शुरू कर दें और इस बात को अपनी एक आदत न बना लें, फिर भविष्य में आपको काफी दिक्कतों का ही सामना करना पड़ेगा। इसलिए बच्चे के हर टैंट्रम को न झेलें। 

बच्चों को गलतियां करने दें 

कई बार हम बच्चों को परफेक्ट बनाने के चक्कर में उन्हें कोई भी गलती नहीं करने देते हैं और फिर आपके बच्चे परफेक्ट करने के चक्कर में हमेशा बस जिंदगी को दौड़ बना लेते हैं और जिंदगी के मजे लेना भूल जाते हैं, इसलिए उनके लिए जीवन में बेहद जरूरी है कि उन्हें गलतियां करने से रोका जाये। जब बच्चे दोस्ती को लेकर संघर्ष करते हैं, स्कूल में समस्याओं का सामना करते हैं या पहली नौकरी में कठिन समय बिताते हैं, तो माता-पिता आगे आकर मदद करने के लिए प्रलोभित महसूस कर सकते हैं। लेकिन जब तक आपका बच्चा खतरे में न हो या ऐसी गलती न करने वाला हो जिसके विनाशकारी परिणाम होंगे, तब तक अलग हटने के बारे में सोचें। बच्चों को गलतियां करने दें, तो वे अपनी गलतियों से नया  करने की छूट देने का मतलब यह नहीं है कि आप उन्हें असफल होने के लिए तैयार कर रहे हैं, बल्कि इसका मतलब यह है कि आप उन्हें समस्याओं को हल करने और खुद में आत्म-विश्वास जगाने वाले कौशल से रूबरू होने का मौका दे रहे हैं। सो, ऐसा करना तो बेहद जरूरी है। 

कभी भी आत्म-ग्लानि में न रहें 

कई बार आपका बच्चे के साथ ओवर प्रोटेक्टिव होना इस बात के लिए भी परेशानी का सबब बन जाता अहइ कि अगर आपको कोई चीज उनकी पूरी नहीं कर पा रही होती हैं, तो आपको फिर अपने अंदर एक गिल्ट पालने की नौबत आ जाती है और फिर दिक्कत होती ही है। दरअसल, इससे भी बच्चों में एक अजीब सी आदत बन जाती है और फिर वे बात-बात में आपसे शिकायतें भी करने लग जाते हैं या फिर आपसे दूरी भी बना सकती हैं, इसलिए ओवर प्रोटेक्टिव होना भी सही नहीं है। 

कहीं भी आने-जाने पर पाबंदी 

यह भी एक परेशानी होती है, जब आप जरूरत से ज्यादा अपने बच्चे के साथ सख्त होते जाते हैं, आपको डर लगा रहता है, हर वक़्त कि उनके साथ कुछ गलत न हो जाये और इसलिए कहीं भी आने जाने पर पाबंदी लगा देने की आपकी कोशिश होती जाती है, ऐसे में दिक्क्तें होती हैं, आपके लिए यह परेशानी का सबब बन सकता है। आपके बच्चे फिर सिर्फ एक दायरे में रहना पसंद करेंगे या फिर अगर उन्हें खुल कर आप कुछ भी नहीं करने देंगी, तो शायद एक समय के बाद आपके दिमाग पर वे हावी होने लगें। इसलिए बेहद जरूरी है कि बच्चों को एक उम्र के बाद अकेले बाहर आने-जाने की आजादी दें। उन्हें एक उचित और कानूनी उम्र के बाद ड्राइविंग जैसी जरूरी चीजें सिखाएं। लड़का हो या लड़की हो, उन्हें अपनी जरूरत भर कैसे खाना बनाया जाए, यह सिखाएं, ताकि भविष्य में कभी अकेले रहने की नौबत आये, तो उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। 

बच्चों को जिम्मेदारियां संभालने दें 

यह भी एक महत्वपूर्ण काम है कि बच्चों को जिम्मेदारियां संभाल लेनी आनी चाहिए। उनके सिर पर थोड़ी जिम्मेदारियों को डालने की कोशिश करनी ही चाहिए, ताकि वे जिंदगी में आत्म-निर्भर बनें, न कि आप पर ही निर्भर रहें। साथ ही साथ यह भी कोशिश करें कि बच्चों को जिम्मेदारियों से लादे नहीं, लेकिन उन्हें कई चीजों का अहसास कराएं, इससे फायदा यही होगा कि बच्चे अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे और आगे बढ़ने की ढंग से कोशिश भी करेंगे, इसलिए कोशिश करें कि बच्चों को एक उम्र से ही सही तरीके से जिम्मेदारियों का एहसास कराएं।

 

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