करियर और पेरेंटिंग के बीच तालमेल बनाना मुश्किल है। एक तरफ आप अपने प्रोफेशनल वादों को निभाने की कोशिश करते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ घर पर अपने बच्चे की चिंता आपको घेरे रखती है। ऐसे में प्रोफेशनल और निजी जीवन की दोनों बड़ी जिम्मेदारी को संभालना कई बार मुश्किल हो जाता है। जाहिर-सी बात है कि करियर और पेरेंटिंग के बीच तालमेल बिठा कर जीवन में आगे बढ़ना कठिन है, हालांकि आप कुछ नियमों का पालन कर करियर और पेरेंटिंग के बीच की खाली जगह को भरने की कोशिश कर सकती हैं। आइए जानते हैं काउंसलर श्वेता से इस बारे में विस्तार से।
टाइम मैनेजमेंट

किसी भी काम को पूरा करने या फिर दो कार्यों को एक साथ करने के लिए टाइम मैनेजमेंट के गणित को समझना जरूरी हो जाता है। करियर और पेरेंटिंग को समझने के लिए सबसे पहले समय की कीमत करना और समय पर अपने कामों को पूरा करना आपका पहला लक्ष्य होना चाहिए। आपको खुद के लिए एक सख्त समय सारणी तैयार करना होगा और साथ ही आपको अपने काम और परिवार के लिए पर्याप्त समय देना होगा। इसके लिए आप अपने दिन को समय सारणी के हिसाब से मैनेज कर सकती हैं। स्कूल और कॉलेज के दिनों में आप जिस तरह अपने लिए टाइम टेबल बनाती थीं, ठीक आपको यहां पर भी ऐसा ही करना है। कई बार इस समय में फेरबदल हो सकता है, लेकिन ऐसा करने से आपको समय को अपने हाथों में रखकर करियर और पेरेंटिंग के जीवन को संतुलित करने में काफी सहायता मिलेगी।
अपनी प्राथमिकताओं को तय करें

आपके लिए यह भी जरूरी है कि आप अपनी प्राथमिकताओं को तय करें। आपके लिए यह समझना जरूरी होगा कि आपको पहले किस काम को और किन लोगों को प्राथमिकता देनी है। कई बार ऐसे हालात होंगे कि आपको करियर को और काम को प्राथमिकता देनी होगी और कई दफा आपको बतौर पेरेंट्स अपनी जिम्मेदारी को आगे रखना होगा। आपको यह समझना होगा कि कुछ दिन आपके करियर के लिए और कुछ दिन परिवार के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इस समझ के साथ निर्णय लें। यह भी ध्यान रखें कि आपको एक काम के लिए दूसरे को अनदेखा नहीं करना है। आपको यह भी ध्यान रखना है कि आप जहां पर हैं, वहां पर आपको अपना ध्यान केंद्रित अधिक करना है।
मदद के लिए पूछें

आपको हमेशा मदद लेने के लिए तैयार रहना है। परिवार और दोस्तों से सहायता लें। यदि आपके पास छोटे बच्चे हैं, तो नाना-नानी या अन्य परिजन मदद कर सकते हैं। आप नैनी या बेबी सिटर की मदद भी ले सकती हैं। अगर आपका बच्चा 2 साल की उम्र से बड़ा है, तो आप उसे किसी प्ले ग्रुप में भी कुछ देर के लिए उसे रख सकती हैं। इससे बच्चा खेलने और पढ़ने जैसी कई सारी एक्टिविटी में खुद को व्यस्त रखता है। साथ ही बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास भी अच्छी तरह होता है। साथ ही अगर आपको काम के दौरान कोई इमरजेंसी है और उसी वक्त आपको अपने बच्चे की तरफ भी ध्यान देना है, तो आप इस दौरान अपने सहकर्मी की मदद काम के सिलसिले में ले सकती हैं।
खुद का रखें ख्याल

अक्सर ऐसा होता है कि निजी और प्रोफेशनल जीवन के बीच संतुलन बनाने के दौरान आप खुद का ख्याल नहीं रखती हैं। इससे यह होता है कि एक समय ऐसा आता है कि आप मानसिक और शारीरिक तौर पर पूरी तरह से थक जाती हैं और करियर के साथ बतौर पेरेंट्स भी अपनी जिम्मेदारी को अच्छी तरह से नहीं निभा सकते हैं। आपको यह समझना होगा कि अगर आप स्वस्थ्य रहेंगे और खुद का ख्याल रखेंगे, तभी आप अपने काम के साथ परिवार का भी ध्यान रख पायेंगे। अपनी मानसिक और शारीरिक सेहत का ध्यान रखें। जब आप स्वस्थ होंगे तो ही आप अपने परिवार और करियर के दोनों पहलुओं को बेहतर तरीके से संभाल पाएंगे।नियमित व्यायाम और सही आहार से शरीर और मन को ताजगी मिलेगी, जिससे आप दोनों जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा सकती हैं।
लचीलापन भी जरूरी
अपने करियर में लचीलापन लाने के तरीके ढूंढें। अगर संभव हो तो वर्क-फ्रॉम-होम के अवसरों का लाभ उठाएं या अपने काम के घंटे बदलने के बारे में सोचें। आप इस तरह के काम की भी तलाश कर सकती हैं, जहां पर आपको सप्ताह में 2 से 3 बार ही दफ्तर जाना होता है। यह भी ध्यान रखें कि ऑफिस में लंच, ब्रेकफास्ट या फिर चाय के समय पर आपको अपने परिवार से जुड़े रहना है। इस दौरान आप काम से ब्रेक लेकर फोन काॅल या फिर वीडियो के जरिए परिवार की मदद ले सकती हैं।