सुधा मूर्ति ने हमेशा ही इस बात की अगुवाही की है कि हर माता-पिता को अपने बच्चे के विकास के बारे में सोचते हुए पेरेंटिंग के दौरान कई खास बातों का ख्याल रखना चाहिए, जिससे बच्चे के भविष्य में फायदे ही होंगे, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
गैजेट्स का इस्तेमाल
सुधा मूर्ति का मानना है कि हर एक माता-पिता जो इस बात की शिकायत करते हैं कि हमारे बच्चे काफी गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सच यही है कि अगर पेरेंट्स गैजेट्स का इस्तेमाल अगर माता-पिता भी अधिक करेंगे, तो बच्चे भी इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करेंगे, तो यह बच्चे के लिए हानिकारक साबित होगा। इसलिए बच्चों को डांटने से पहले खुद को गैजेट्स से दूर करें। जरूरत से ज्यादा या बच्चों के सामने गैजेट्स का इस्तेमाल न ही करना बेहतर है, तभी वे भी इसके इस्तेमाल के बारे में नहीं सोचेंगे।
शेयर करना सिखाएं
सुधा मूर्ति का साफतौर पर मानना है कि शेयरिंग बेहद जरूरी होती है, यह एक तरह की कला है, जिसमें बच्चों को माहिर बना देना चाहिए। जब भी बच्चे खिलौने या ऐसी कोई भी चीज दूसरे के साथ शेयर करें या किसी अन्य बच्चे के साथ शेयर करें, तो पेरेंट्स को चाहिए कि उन्हें इस बात के लिए कभी टोका नहीं जाये, बल्कि ऐसा करने के लिए और अधिक प्रोत्साहित करें उन्हें, इससे उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी और आगे चल कर वे दयावान बनेंगे। सुधा अपने बेटे को हमेशा राय देती थीं कि बचपन में अपने जन्मदिन पर अपने दोस्तों पर खर्च करने की बजाय, किसी जरूरतमंद की मदद की जाए, इससे भी बच्चे समझदार बनते हैं।
सादा जीवन, उच्च विचार
सुधा मूर्ति मानती हैं कि इस बात का भी ख्याल रखना बेहद जरूरी है कि सादा जीवन जीना बेहद जरूरी है, बच्चों को भी जरूरत से ज्यादा महंगी चीजें देना या उसकी आदत लगना सही नहीं होता है। वह हर माता-पिता को सलाह देती हैं कि महात्मा गांधी के विचारों को अपने जीवन में लागू करें और सादगी से जीवन व्यतीत करें। वह खान-पान से लेकर, कपड़े, मकान और ऐसी हर चीज के बारे में यही ख्याल रखती हैं कि बच्चों को भौतिक चीजों की आदत नहीं, मूल्यों से बच्चों को जोड़ना जरूरी होता है।
सिर्फ अपने बच्चों के बारे में नहीं सोचें
सुधा मूर्ति कहती हैं कि इस बात का भी आपको ख्याल रखना जरूरी है कि आप सिर्फ अपने बच्चे के बारे में सोचा नहीं करें, दूसरे बच्चों के साथ भी प्यार जटाएं, जब बच्चे ये सब देखना शुरू करते हैं, तो वे भी दूसरों के बारे में सोचना शुरू करते हैं और दूसरों के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसलिए बच्चों में ये गुण भी डालने की कोशिश करनी चाहिए।
चिल्लाना छोड़ें
सुधा मूर्ति साफ शब्दों में कहती हैं कि कभी भी बच्चों को चिल्लाना नहीं चाहिए, अपनी बातों को मनवाने के लिए कभी भी आपको किसी गुस्से का सहारा नहीं लेना चाहिए, बच्चों पर चिल्लाना सबसे गलत होता है, इससे बच्चे बिगड़ ही जाते हैं, फिर वे जिद्दी हो जाते हैं और उनको फिर किसी की भी बात पर असर नहीं होता है, इसलिए जरूरी है कि आप अपने बच्चे पर चिल्लाने वाला काम नहीं करें, बल्कि उन्हें समझाएं कि भविष्य में कैसे उन्हें शान्ति से सोच समझ कर आगे बढ़ना चाहिए।
*Lead Image credit : @twitter SudhaMurty