आज मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि मुझे मेरे सास-ससुर ने दोस्तों के साथ पार्टी पर जाने के लिए ‘अलाउ’ कर दिया है, यानी इजाजत दे दी है। ऐसी बातें अमूमन बहू बन चुकीं महिलाएं और खासतौर से अपने सास-ससुर के साथ रहने वाले परिवारों की बहुएं, अक्सर ऐसी बातें करती हैं। कुछ लड़कियां यह भी कहती हैं कि मुझे शादी के बाद, मेरे ससुराल वाले और पति काम करने के लिए इजाजत दे रहे हैं, इससे बड़ी बात और क्या होगी। दरअसल, महिलाओं की यही सोच गलत हो जाती है, जब उन्हें लगता है कि कोई उन्हें ‘अलाउ’ कर रहा है, मतलब वह सही है, जबकि यह तो आपका हक है कि आप अपनी मर्जी और आजादी से अपने जीवन का निर्णय लें। तो, किस तरह आप अपने हक की बात को इजाजत लेने की श्रेणी में शामिल न करें, आइए इस बारे में विस्तार से बात करते हैं।
जैसे आपके पति का हक है, आपका भी हक है
अगर आप फिलहाल कुंवारी हैं और आपने अपने घर में यही प्रचलन देखा है कि आपकी मम्मी हर बात पर आपके पापा से इजाजत लेती है और आप भी आगे यही करने वाली हैं, तो कृपया जाग जाइए और दुनिया के साथ चलना शुरू कीजिए। यह बेहद जरूरी है कि आप शादी के लिए जब भी कोई लड़का देखें, उनसे विस्तार से यह बातचीत करें कि आप शादी के बाद अपने करियर को विराम नहीं देंगी। इसके लिए कभी उनसे पूछने की जरूरत नहीं कि क्या आप मुझे काम करने के लिए ‘अलाउ’ करेंगे। यह आपका हक है और आपसे इसे कोई नहीं छीन सकता। ऐसी कई लड़कियां हैं, जो शादी के बाद इसलिए अपना करियर नहीं बना पाती हैं, क्योंकि उनके ससुराल वालों को पसंद नहीं था और लड़कियां इसे अपना फर्ज मान कर अपना भी लेती हैं। जबकि सच्चाई यही है कि आपकी जिंदगी है, जैसी चाहें जिएं।
अपनी पसंद के करियर विकल्प
अमूमन शादी के बाद, कुछ ससुराल वाले या पति ऐसे भी होते हैं, जो कहते हैं, हम तुम्हें काम करने से तो मना नहीं करेंगे, लेकिन वक्त पर आ जाना होगा और इतने समय ही बाहर रह सकती हो। इस तरह की बातों से अपना ध्यान हटाइए, आप उनकी कठपुतली नहीं हैं। आपको पूरा हक है कि आप अपने करियर विकल्प चुनें, अगर शादी के पहले आपको अपनी नौकरी में विदेश दौरे पर या कहीं फील्ड पर रहना पड़ता है और रात में आने से देर होती है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। अपने लिए स्टैंड लें, साफ-साफ बातें कहें कि आपके काम की यह जरूरत है और आप इसे करेंगी ही। जैसे आपके पति का प्रोमोशन और करियर में आगे बढ़ना जरूरी है, आपका भी है, खुद को कभी इजाजत के चक्कर में करियर में उड़ान भरने से न रोकें।
आपकी बॉडी, आपका चॉइस, आपकी ब्यूटी
कई लड़कियां ऐसी भी होती हैं, जो शादी से पहले, अपनी पसंद की सारी शॉपिंग किया करती थीं, लेकिन अब उनकी पसंद पर उनके पति और सास-ससुर का हक हो गया है, वे आपको बताते हैं कि आपकी स्किन टोन के अनुसार कौन सी लिपस्टिक जंचेगी, आपको कौन से कपड़े नहीं पहनने हैं, क्यों साड़ी ही पहननी है, बिंदी तो लगानी ही है। फिर किसी एक दिन जब आपको आपकी मर्जी के कपड़े पहनने की आजादी मिलती है, तो आपको लगता है, वाह ! मेरे ससुराल वाले काफी कूल हैं कि उन्होंने मुझे इसे पहनने दिया, यही आप गलत सोच बैठती हैं, यह आपकी अपनी जिंदगी है, इस पर किसी का हक नहीं। आपको क्या पहनना है, आपकी अपनी बॉडी है, आपकी पसंद-नापसंद हैं, उसको ही सर्वोपरि मानें। साड़ी को कभी ‘ जरूरी है’ यह समझ कर न पहनें, आप साड़ी पहनना एन्जॉय करती हैं, तो साड़ी को अलग-अलग अंदाज से पहनें, शॉर्ट्स पहनना और फिर चाहे शॉपिंग करना, जो भी पसंद हैं, करें।
दोस्तों से मिलने और पार्टी के लिए इजाजत क्यों लेनी है
अक्सर, यह भी एक ऐसा बिंदु होता है, जहां लड़कियां शादी के बाद, अपने दोस्त से मिलने के लिए जाने के लिए भी अपने ससुराल वालों से इजाजत लेने का इंतजार करती हैं और फिर जब उन्हें इजाजत मिल जाती है, तो अपने दोस्तों से खुशी-खुशी इस बात का इजहार भी करती हैं, जब भी यह आपका हक है, आपकी जिंदगी है, जिससे चाहें, जैसे चाहें मिलें। जैसे आपके पति को कभी कोई अपडेट्स नहीं देने होते हैं, आप भी न दें। आप जितना अपनी जिंदगी का नियंत्रण किसी और देंगी, वह खुशी-खुशी उसे लेंगे, क्योंकि हुक्म देना और शासन चलाना कौन नहीं चाहता है।
शौक से खुशी-खुशी पेरेंट्स के पास जाएं
यह मानसिकता तो सबसे अधिक होती है कि लड़कियां शादी के बाद, अपने माता-पिता मिलने और उनके घर पर रहने के लिए भी अपने सास-ससुर से इजाजत लेती हैं, वह जितने दिन कहते हैं, उतने दिन ही रहती हैं। लेकिन क्यों, आपके माता-पिता का परिवार भी आपका परिवार है। उनके सुख और दुख दोनों में शामिल होना चाहिए और इसमें किसी की इजाजत की जरूरत नहीं। आप तय करें और किसी की भी बातों को न सुनें।
कॉर्पोरेट जगत में काम करने वालीं निमिषा तो बताती हैं कि उनके घर में उनकी छोटी ननद की चलती है, वहीं निर्णय लेती हैं कि मुझे क्या करना है क्या नहीं। ननद का मूड खराब है, तो आप कहीं नहीं जा सकती हैं। तो नम्रता बताती हैं कि उनके ससुराल वाले भले साथ न रहें, लेकिन फिर भी कई स्तर पर उन्हें अनुमति लेनी होती है, फिर जाकर वह मायके जा पाती हैं।
आत्म-ग्लानि में रहना छोड़ें
महिलाओं के साथ यह भी सबसे बड़ी परेशानी होती है कि अगर वह कभी देर से आयीं और किचन में सास को खाना बनाते देख लेती हैं या दोस्तों के साथ पार्टी करके आती हैं या कभी उन्हें सुबह उठने में देर हो जाए, ऐसी सारी स्थिति में उन्हें खुद में आत्म-ग्लानि हो जाती है कि जैसे उन्होंने कोई पाप कर दिया हो। इस तरह की सोच से निकलना जरूरी है। आप इंसान हैं, हो सकता है कि आप कभी देर से उठें, लेकिन आपके ससुराल में यह ‘अलाउ’ नहीं, तो बदलने की जरूरत उनको है आपको नहीं।
क्या कहती हैं एक्सपर्ट , डिप्रेशन का बनता जाता है कारण
कंसल्टिंग साइकोलॉजिस्ट किरण का कहना है कि महिलाओं में बढ़ते डिप्रेशन का एक बड़ा कारण, हर छोटी-छोटी बातों के लिए अपने ससुराल वालों या पति से इजाजत लेना है। यह इतने स्तर पर होता है कि धीरे-धीरे कैद सा महसूस करने लगती हैं महिलाएं और इसका सीधा असर उनकी मानसिक हालत पर पड़ता है। वह कहती हैं कि उनके पास ऐसे अधिक केस आते हैं, जिसमें एक महिला सिर्फ इसलिए दुखी होती है कि उसे अपने मायके जाने की इजाजत नहीं मिलती है। उसके दोस्तों को घर पर आने से पाबंदी है। एक महिला ने तो बताया कि उनका भाई विदेश से सिर्फ कुछ घंटों के लिए आया था, लेकिन ससुराल वालों ने उन्हें एयरपोर्ट पर इसलिए नहीं जाने दिया, क्योंकि शादी के वक्त उस भाई ने कुछ कह दिया था, वह इस बात की खुन्नस इस तरह से निकालना पसंद करते हैं। किरण साफ कहती हैं, वह लड़कियों को समझाती हैं कि खुद के लिए आजादी की खोज खुद करें, किसी से मांगने की जरूरत नहीं है, वह आपका हक है। महिलाओं में एंजाइटी( बेचैनी) होने का भी ये अलाउ न होना सबसे बड़ी परेशानी का कारण बनती हैं। किरण का यह भी कहना है कि कई महिलाएं, सिर्फ ससुराल वालों के गुड बुक्स में रहने के लिए, अपनी आवाज नहीं उठाती हैं और यही गलती कर बैठती हैं, फिर धीरे-धीरे उन्हें हर छोटी चीज पर इजाजत लेने की आदत हो जाती है, इसलिए जरूरी है कि शुरू से ही अपने आप में यह बदलाव लाएं। वह यह भी कहती हैं कि बचपन से ही लड़कियों की परवरिश में माता-पिता को चाहिए कि वह स्पष्ट कहें कि उन्हें किसी की अनुमति की जरूरत नहीं हैं, इससे बचपन से ही जो कंडीशनिंग होती है, उसका असर बाद तक रहेगा। कई ससुराल वालों को भी हम कहते हुए सुनते हैं, हम तो बहुत फॉरवर्डेड लोग हैं, हम अपनी बहू पर कोई पाबंदी नहीं लगाते। दरअसल, सच यही है कि उन्हें इसका हक है ही नहीं कि वह इजाजत दें, यह आपका खुद हक है, जिसे आपको किसी की अनुमति का गुलाम नहीं बनाना चाहिए और अपनी खुशियों पर विराम नहीं लगाना चाहिए, फिर चाहे इसकी वजह से आपके ससुराल वाले, आपके पति आपको जो भी समझें।