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होम / एन्गेज / रिलेशनशिप्स / फ़ैमिली ऐंड फ्रेंड्स

ग्रुप चैट से पनपी औपचारिकताओं की संस्कृति, घट रहा है बातों का सिलसिला

टीम Her Circle |  जुलाई 25, 2024

सुबह-सुबह के समय आपके पास भी तो किसी न किसी सगे-संबंधी ने सुविचार या गुड मॉर्निंग, गुड नाइट वाले फॉरवाडेड मेसेज जरूर किये होंगे। कई बार हम भूल जाते हैं कि सोशल मीडिया पर भी दोस्तों या अपनों को जोड़ने की एक संस्कृति होती है। आइए जानें इसके बारे में विस्तार से। 

मन मिले न मिले, ग्रुप मिलना चाहिए 

एक सोशल नेटवर्किंग साइट, जो बेहद लोकप्रिय है, आजकल लगभग हर परिवार में लोगों ने अपनी सहूलियत के अनुसार कई ग्रुप बना लिए हैं, जिनमें परिवार के उन सदस्यों को भी शामिल किया है, जिनकी आपस में भी बातचीत न के बराबर ही होती है। वे जब ग्रुप का हिस्सा बनते हैं, तो बेवजह न चाहते हुए भी उन्हें अपने सगे-संबंधियों की बातों को झेलना पड़ता है। सुबह से उसमें फॉरवर्डेड यानी दूसरों के भेजे हुए कई सारे मेसेज पढ़ने पढ़ते हैं और कई बार उनके जवाब भी देने पड़ते हैं, जबकि यह बिल्कुल उचित नहीं होता है कि आप बेवजह किसी को ग्रुप में जोड़ें और फिर उन्हें अनचाहे मेसेज से तंग करें, सबसे अच्छा तरीका यही है कि हम पहले यह सोचें कि ग्रुप बनाने का सही औचित्य क्या है, फिर किसी को अपने ग्रुप में जोड़ने से पहले उस इंसान या सदस्य की अनुमति लें। फिर जाकर उन्हें जोड़ें। 

मिलने पर भी ग्रुप अपडेट में रहते हैं व्यस्त 

एक बात और गौरतलब है कि यह भी एक अलग तरह की संस्कृति ने घर कर लिया है कि लोगों को ग्रुप अपडेट में इस कदर मजा आता है कि कई बार मिलने पर भी उनका ध्यान ग्रुप पर ही होता है और सामने बैठे लोगों के साथ बात करने की बजाय वे ग्रुप के अपडेट्स में लगे रहते हैं। जबकि मिलने पर फोन तो आपके पास होने ही नहीं चाहिए, बल्कि कहीं तो दूर हो जाना चाहिए, लेकिन ग्रुप अपडेट्स देखते हुए ही हमें लत लग जाती है कि हम इससे पीछा ही नहीं छुड़ा पा रहे। लेकिन बेहद जरूरी है कि हम इसके बारे में सोचें। 

समझें कि ग्रुप कौन-सा है

कई बार हम यह समझ ही नहीं पाते हैं कि आपका ग्रुप कौन सा है, आप किसी भी ग्रुप में किसी भी तरह की बातें करने लग जाते हैं। जबकि यह समझना भी आपकी एक जिम्मेदारी है कि किस ग्रुप में क्या बात की जाए, कई बार अगर सिर्फ काम के लिए ऑफिशियल ग्रुप भी बने हैं, तो गैर जरूरी बातें ग्रुप पर करना बिल्कुल उचित नहीं होता है, इसलिए ग्रुप की मर्यादा को समझें।  

टेम्पररी ग्रुप बनाया है, तो डिलीट भी करें 

जाहिर सी बात है कि कई बार आपको किसी जरूरत के लिए जब आपके लिए सबको एक साथ मेसेज देना है, तो ग्रुप बना दें, फिर वह खास इवेंट या प्रोग्राम या कारण जब पूरा हो जाये, तो अगर आपने ग्रुप बनाया है, तो उसको पूरी तरह से डिलीट मार दें, नहीं तो कई बार ऐसा होता है कि जो ग्रुप के एडमिन होते हैं और जिस कारण से वह ग्रुप बना है, वह खुद उससे दूर हो जाते हैं और बाकी के लोग बेफिजूल की चीजें इसमें डालते रहते हैं, जिससे परेशानी होती है। इसलिए यह आपकी जिम्मेदारी है कि ग्रुप बनाया है, तो उसके इस्तेमाल के बाद, उसको डिलीट मार दें। 

धार्मिक मतभेद न होने दें 

इन दिनों सोशल मीडिया की सबसे बड़ी परेशानी ही यही है कि सभी बैठ कर एक-दूसरे पर अपने धार्मिक सोच या विचार को थोपते हैं, जबकि ग्रुप पर कभी भी यह बातें नहीं होनी चाहिए, न ही किसी पर अपने विचारों को थोपा जाना चाहिए। साथ ही ग्रुप पर किसी का मजाक भी नहीं बनाना चाहिए। आपको इस बात का ख्याल रखना चाहिए। धार्मिक विचार न शेयर करें न एक दूसरे को फॉरवर्ड करें, यह बेसिक बातें हैं, जो जरूर ध्यान में रखी जानी चाहिए। 

ग्रुप बनने से और बढ़ीं दूरियां 

यह बात भी देखने और ध्यान देने योग्य है कि ग्रुप बनने से अब लोगों ने एक दूसरे के साथ संवाद और कम  कर दिए हैं, क्योंकि सारी बातें आपस में शेयर हो जाती हैं और फिर लोग जो कम से कम एक दूसरे को खास मौके पर भी बधाई देते थे, अब नहीं देते हैं, अब सब एक औपचारिकताओं को पूरा करने लगे हैं और ग्रुप में मेसेज डाल कर खानापूर्ति कर देते हैं, मतलब अब एक दूसरे से जुड़ना केवल दिखावा और एक औपचारिकता हो गई है। ऐसे में गौर करें, तो दूरियां घटने की जगह बढ़ गई हैं, अब सबको लगता है कि बातों में समय बर्बाद करने की जगह मेसेज से बात बन जाएगी। 

कभी भी वीडियो कॉल  

एक और परेशानी जो ग्रुप की बढ़ती संस्कृति के कारण हुई है कि  जितने भी ग्रुप होते हैं, वे बिना सोचे-समझे कभी भी एक दूसरे को कॉल कर देते हैं, यह बिना दिमाग लगाए कि कौन से व्यक्ति किस परिस्थिति में होगा। जबकि होना यह चाहिए कि अगर आपको वीडियो कॉल से पहले ग्रुप में ही एक अनुमति का मेसेज मांग लिया जाये और जो नहीं जुड़ना चाहते, उन्हें जबरदस्ती न जोड़ें। ऐसे में ग्रुप की महिमा बरकरार रहेगी। सो, इस बात को जेहन में रखने की कोशिश करनी चाहिए। 

मजाक की सीमा न हो पार

आपने जब एक ग्रुप बनाया है, जाहिर है कि उसमें जो भी सदस्य हैं, सभी का एक दूसरे से एक जैसा संबंध नहीं होगा, किसी को कुछ पसंद नहीं होगा, किसी को कुछ नहीं, ऐसे में अगर आप उनमें से किसी एक के साथ भी मजाक करती हैं या करते हैं, तो हो सकता है कि जिनसे मजाक किया जा रहा है या जिनके बारे में वहां बात हो रही है, वह उन्हें पसंद नहीं आये, इसलिए बेहद जरूरी है कि मजाक की सीमा को पार नहीं किया जाए। हर किसी की मान-मर्यादा का ख्याल रखना जाए, गरिमा का ख्याल रखा जाए, आपके साथ उस इंसान का जो भी इक्वेशन है, वो अलग रखें, ग्रुप के सामने सबको उनका मजाक बनने का मौका न दें। साथ ही बॉडी सेमिंग जैसी कोई चीज नहीं होनी चाहिए। किसी को भी जाति, धर्म, रंग, वजन या कद से जुड़े मजाकिया जोक्स न भेजें।

 

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