अमूमन हम किसी भी इंसान को लेकर जजमेंटल हो जाते हैं. कई बार, हम एक ही मुलाक़ात में या बिना सोचे समझे, दिमाग में किसी को लेकर बिठा लेते हैं कि यह इंसान नेगेटिव हैं, इनसे दूर रहना ही बेहतर है, ऐसे में कई बार, हम एक अकेले आदमी को और अकेला कर देते है, जबकि हमें जरूरत यह है कि किसी भी इंसान के अंदर की नेगेटिविटी को दूर किया जाये न कि उस इंसान को ही जिंदगी से कट ऑफ़ कर दिया जाये. वह इंसान आपके परिवार, पड़ोस या आपकी कोई करीबी साथी भी हो सकती हैं, एक बात हमेशा जेहन में रखनी चाहिए किसी भी रिश्ते को जोड़ कर रखना ही बड़ी कला है, तोड़ना बेहद आसान है, सो आज हम आपको पांच कारण व तरीके बताना चाहेंगे, जिससे आप एक इंसान के अंदर से नेगेटिविटी को हटाने की कोशिश करें, न कि उन्हें ही खुद से दूर कर दें.
सामने वाले की मन की बात समझने की कोशिश
कई बार इंसान की जिंदगी में, जब चारों तरफ से रिजेक्शन और निराशा होती है तो वह इंसान हर चीज में कमियां निकालना शुरू कर देते हैं या कर देती हैं, ऐसे में यह जरूरी है कि आप उस इंसान के मन में झाँकने की कोशिश कीजिए कि ऐसी क्या परिस्थिति है, जिसकी वजह से वह इंसान नेगेटिव बातें करता है या करती हैं.
मनोवैज्ञानिक शिल्पा राणा का मानना है कि हमारे दिमाग पर अच्छी चीजों का असर कम होता है और बुरी घटनाओं का असर लम्बे समय तक रहता है, इसलिए बुरी घटना दिमाग में अधिक समय तक एक्टिव रहती हैं और फिर वह हमारी सोच पर भी हावी होकर नेगेटिव बनाती हैं, इसलिए जो इंसान नेगेटिव हो रही हैं या हो रहे हैं, उनसे उनकी मन की बात जानने की कोशिश करें, इससे उनका दर्द कम होगा, तो शायद नेगेटिविटी भी काम हो जाये.
प्रैक्टिकल तरीके से बातों को समझाएं
कई बार हम एक और बड़ी गलती कर बैठते हैं कि अगर हमारे आस-पास किसी को सिर्फ नेगेटिव सोचने की परेशानी हो गई है, तो हम उन्हें बात-बात पर पॉजिटिव सोचो का ज्ञान देते रहते हैं, कई स्वप्नीली बातें भी करते हैं, जबकि ऐसी सिचुएशन में अगर आप उस इंसान के साथ, अपने रिश्ते को स्ट्रांग बनाना चाहती हैं, तो कोशिश कीजिए कि उन्हें जीवन का प्रैक्टिकल रूप दिखाएँ कि जिंदगी है, तो अच्छे और बुरे पल दोनों ही आएंगे और आपको इसे झेलना ही होगा, इसके लिए मन में नेगेटिव थॉट्स लाने से कुछ नहीं होगा, बल्कि सामना करना होगा. बार-बार यह बातें कहने से, उस इंसान में कुछ न कुछ बदलाव तो जरूर आएंगे.
खुद में गलतियां निकालना कम करें
कई बार, हम खुद में ही इतनी गलतियां ढूंढ लेती हैं, कमियां ढूंढ लेती हैं और खुद में ही सोचती रह जाती हैं कि मैं कुछ नहीं कर सकती और ऐसे में कई बार जमाने वाले भी आपका मजाक बनाते रहते हैं, यह बातें भी दिमाग में नेगेटिविटी को भर देती हैं, तो सबसे पहले तो कोशिश यह होनी चाहिए कि खुद में गलतियों को तलाशना बंद करें, कमियां निकालना बंद करें और खुद में कॉन्फिडेंस लाएं, यह आपके मन से नेगेटिविटी को खत्म करने में काफी सहायक होगा, आप बेस्ट क्या कर सकती हैं, उस पर फोकस करें, उसे सँवारने और निखारने की कोशिश करें, यह आपके लिए बेस्ट होगा.
नयी चीजों को एक्सप्लोर करें
जब आप अपनी किसी ऐसी करीबी दोस्त या इंसान से मिलें, जो नेगेटिव ख्यालों में जकड़ी हुई हैं, तो उन्हें नयी चीजें एक्सप्लोर करने को कहें, जो उन्होंने जिंदगी में कभी की ही नहीं हैं, इससे आपका दिमाग नयी चीजों को सीखने और समझने में लग जायेगा और आपके दिमाग में नेगेटिव चीजों के लिए जगह ही नहीं होगा.
अच्छा है तो बुरा आएगा
जिंदगी के इस सच को स्वीकारना बेहद जरूरी है, यह कोई भाषणबाजी नहीं है, बल्कि सत्य है कि जिंदगी में अगर अच्छा आया है, तो बुरा भी आएगा. इसलिए आपको उन परिस्थितियों के लिए तैयार रहना है, ऐसे में कई बार आप सिचुएशन के साथ डील कर पाएंगी, कई बार नहीं कर पाएंगी, ऐसे में आपको खुद को कोसना नहीं है कि मैं इससे डील नहीं कर पायी, मैं कमजोर हूँ, याद रखिये सचिन तेंदुलकर भी हर बार शतक नहीं बनाते थे, तो अच्छे और बुरे दिन होंगे ही, इसलिए खुद को कोसना छोड़िये और इस पर अधिक ध्यान दीजिए कि आपने जो भी किया,उसे बेस्ट तरीके से कैसे किया. आप खुद महसूस करेंगी कि इस प्रैक्टिस से आपके अंदर की नेगेटिविटी खत्म होती जायेगी.