भौतिकवादी होने से बचने के लिए, सबसे पहले तो आपको ऐसी चीजों की कद्र करनी आनी चाहिए, जो कि बेहद जरूरी है, न कि जिसकी कीमत बहुत अधिक हो। इसके कई तरीके हो सकते हैं, जिन्हें आपको अपनी जिंदगी में शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए। आइए जानें विस्तार से।
भौतिकतावाद क्या है

भौतिकवाद को मोटे तौर पर एक नकारात्मक गुण, मूल्य या व्यवहार माना जाता है, जो दिखावेपन और लालच से जुड़ा होता है। कोलिन्स डिक्शनरी के अनुसार भौतिकवाद को उस व्यक्ति के दृष्टिकोण के रूप में परिभाषित करती है, जो पैसे को महत्व देता है और ढेर सारी भौतिक चीजें पाने के चक्रव्यू में फंसा रहना जानता है। आप शायद अपने जीवन में ऐसे लोगों को जानते होंगे जो ब्रांडेड कपड़े, कार, घर की सजावट खरीदने के आदी होते हैं और फिर अपनी नई चीजों का प्रदर्शन करने के लिए बेताब रहते हैं। यह पूर्ण रूप से दिखावापन और खोखलापन है। और इससे आपको दूर रहने की पूरी जरूरत है और इसलिए आपको इससे खुद को दूर रखने की पूरी कोशिश भी करती रहनी चाहिए।
अपनी मानसिकता बदलें
यह बेहद जरूरी है कि आपको सबसे पहले अपनी मानसिकता को बदलना है, ताकि आप इस बारे में सोच पाएं कि जीवन में क्या हो रहा है, किस तरह की मानसिकता को खुद से दूर करने की जरूरत है कि अगर मेरे पास महंगी या नयी चीज नहीं हुई, तो कोई बात नहीं, इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं कि आपके पास कुछ है ही नहीं या आप किसी भी जगह उठने बैठने के लायक ही नहीं। इस सोच को पूरी तरह से आपको बदलना ही होगा। दरअसल, आपको चीजों को छोड़ कर आपके अंदर की खासियत को बाहर निकालने की जरूरत है, जैसे कि किसी के प्रति कृतज्ञ होना, यह आपके अंदर या आपके पास पहले से है और जो आपके जीवन में है, उसे नियमित रूप से स्वीकार करें और उसकी सराहना करें, जिससे आपको कम में भी संतुष्ट रहने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा ध्यान रखें कि आपका बहुमूल्य हैं और आपको कभी भी रिप्लेस नहीं किया जा सकता है। आपकी पहचान आपके चरित्र, रिश्तों और जुनून पर आधारित है, न कि आपकी भौतिक वस्तुओं पर।
अनुभव पर फोकस करें सामान पर नहीं

अमूमन जब हमलोग यात्राओं में जाते हैं, तो हमारा इस बात पर फोकस ज्यादा हो जाता है कि वहां का सामान हमारे पास रहे, हमारे पास बाकी क्या-क्या है, फिर हमने वहां से क्या-क्या खरीदा, जबकि इस सोच से पूर्ण रूप से बचने की जरूरत है। आपको अपने अनुभव पर ध्यान देना चाहिए कि वहां जाने पर आपको किस तरह के अनुभव हो रहे हैं, न कि इस बात पर फोकस करें कि हमने कितनी महंगी चीजें ली हैं, तो इस बात को फ्लॉन्ट करें। अपना समय और पैसा यात्रा करने, नए शौक अपनाने या प्रियजनों के साथ समय बिताने जैसे अनुभवों पर खर्च करने का चुनाव करें, क्योंकि ये स्थायी यादें बनाते हैं, जो भौतिक संपत्तियां नहीं बना सकतीं। साथ ही साथ इस बात पर भी फोकस करें कि यह समझने के लिए समय निकालें कि आपके लिए वास्तव में क्या महत्वपूर्ण है और क्या आपकी खर्च करने की आदतें उन मूल्यों के अनुरूप हैं।
अपने इर्द-गिर्द माहौल बनाएं
आपको इस बात पर यकीन न हो, लेकिन कई बार हम अपने पढ़ने-लिखने, खाना बनाने या ऑफिस में भी इतना सारा सामान जमा कर लेते हैं कि हमको पता ही नहीं होता है कि हम गैर-जरूरी चीजों से सबकुछ भरते जा रहे हैं। इसलिए एक माहौल बनाने के लिए आपका दिमाग अधिक न भटके आपको खुद को इन भौतिक चीजों से दूर करना ही होगा खुद को। इसलिए जरूरी है कि उन चीजों को हटा दें, जो बेवजह पड़ी हुई है। इस बात से अवगत रहें कि कौन से कारक आपको खर्च करने के लिए प्रेरित करते हैं, जैसे कि सोशल मीडिया या विज्ञापन जैसी चीजें, ताकि जबरदस्ती उस पर खर्च करने से बचें। दरअसल, इसका एक अच्छा तरीका यह भी है कि कुछ भी खरीदने से पहले, खुद से पूछें कि क्या आपको सचमुच इसकी जरूरत है और क्या यह आपके जीवन में स्थायी मूल्य जोड़ेगा। गैर-जरूरी खरीदारी करने से पहले कुछ दिन इंतजार करने की कोशिश करें और फिर देखें क्या उसके बिना आपका काम चल जायेगा और अगर चल जायेगा, तो फिर इसकी खरीदारी हरगिज न करें और थोड़ी दूरी बना कर रखें। एक चीज पर और भी आपको ध्यान देने की जरूरत है कि अपने आस-पास ऐसे दोस्तों और परिवार के लोगों को रखें, जो भौतिक संपत्ति को प्राथमिकता नहीं देते। इससे आपकी सोच और नजरिये पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
खुशियों को सामान या गिफ्ट्स की महोताज न बनाएं

एक बात का आपको पूरा ध्यान रखना है कि आपको खुशियों को किसी सामान या गिफ्ट्स के मोहताज बना कर नहीं रखना है। पूरी तरह से सिर्फ यह सोचना कि मैंने उसको गिफ्ट नहीं दिया तो क्या होगा या उसने मुझे गिफ्ट क्यों नहीं दिया वाली बात में फंसेंगे, तो फंसे ही रह जायेंगे। आपको इस बारे में सोचने की जरूरत है कि आपको अपने शौक या गतिविधियों पर समय व्यतीत करना जरूरी है, क्योंकि वे आपको अपने लिए आनंद देते हैं, न कि बाहरी तोहफों जैसे कि उनसे मिलने वाली स्थिति के लिए। इसलिए इस पर फोकस कीजिए।
स्टेटस गेम में फंसने से बचें
उसके पास जो है, मुझे वैसा बनना है या फिर मैं भी उसको देख कर कुछ खरीदूंगी ही, यह सबकुछ होने के पीछे बड़ी परेशानी यही होती है कि आप स्टेटस वाले गेम में फंसने लगते हैं और फिर आपकी परेशानी बढ़ जाती है और आप हमेशा किसी दूसरे की तरह दिखने के लिए खर्च पर खर्च करने लगते हैं और आपकी ये आदतें आपको भौतिकतावादी बनाती जाती है, इसलिए आपको इस सोच से बचने की बेहद जरूरत है और स्टेटस गेम में फंसते हुए आपको सिर्फ परेशानी होगी, आपका बजट बिगड़ेगा, इसलिए स्टेटस गेम में खुद को न फंसाएं।