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होम / एन्गेज / रिलेशनशिप्स / फ़ैमिली ऐंड फ्रेंड्स

होम सिकनेस से निबटना है जरूरी, जानिए कैसे अच्छा करें माहौल

टीम Her Circle |  मार्च 07, 2024

कभी-कभी हमें पता नहीं चलता, लेकिन जब हम घर से दूर रह रहे होते हैं, तो हमें घर की बार-बार याद सताने लगती है, फिर हमारा कहीं भी मन नहीं लगता है, इसे होम सिकनेस की स्थिति कहा जाता है। आइए जानें ऐसी स्थिति से कैसे निबटा जा सकता है। 

क्या है होम सिकनेस 

होम सिकनेस की बात की जाए तो यह एक ऐसी भावना है, जो तब आती है जब आप किसी नए या अपरिचित वातावरण में होते हैं और आप बस एक आरामदायक जगह पर वापस आना चाहते हैं और यह जगह आपका घर होता है। फिर अगर आप आपके घर से दूर होते हैं, तब भी आपको इस बात की चिंता रहती है कि आपके घर में वक्त क्या हो रहा होगा या फिर मैं घर पर होती तो कितना अच्छा होता, इस तरह की चीजें होम सिकनेस के लक्षण में होती है। यह आपकी उम्र या आपके परिचित चीजों से दूर रहने के कारण की परवाह किए बिना भी हो सकता है। बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें घर की याद आती है, क्योंकि वे उन लोगों, स्थानों और दिनचर्या से जुड़ाव खो देते हैं, जो उन्हें सुरक्षित और आपको खुशी महसूस कराते हैं। साथ ही साथ जब हम अपने आरामदायक यानी कम्फर्ट जोन से बाहर निकलते हैं, तो हमारा दिमाग उस चीज की लालसा की भावनाओं का संकेत दे सकता है, जो हमने पीछे छोड़ दी है। यह अचानक से हुए बड़े बदलाव के प्रति एक आम प्रतिक्रिया हो जाती है और यह उन लोगों और स्थानों के साथ मजबूत जुड़ाव बनाने की आपकी क्षमता को मजबूत करता है। एक और बात यह भी होती है कि अगर आप किसी नयी जगह पर खुद को थोड़ा अस्वस्थ महसूस करती हैं और घर के बारे में बहुत अधिक सोचती हैं, तो आपको घर की याद आ सकती है। 

ध्यान नहीं होता है केंद्रित 

गौरतलब है कि होम सिकनेस के खास लक्षण रहे हैं और यह भी सच है कि आपको जब घर की याद आती है, तो आपका शरीर और मस्तिष्क आपको यह संकेत दे देते हैं कि कुछ ठीक नहीं है। वहीं होम सिकनेस के लक्षणों को पहचानना हमेशा आसान नहीं होता है।  कई बार ऐसा भी होता है कि घर की याद के कारण ध्यान केंद्रित करना कठिन हो सकता है, साथ ही कार्यों या बातचीत पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो सकता है, क्योंकि आपके विचार बार-बार घर की ओर मुड़ते रहते हैं। काम, पढ़ाई या यहां तक ​​कि दोस्तों के साथ समय बिताने जैसे कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो सकता है। यह सब होम सिकनेस को दर्शाते हैं। 

पुरानी यादों में खोये रहना 

हर बार आपको नया घर पुराने घर की याद दिला सकता है। साथ ही साथ जब आप घर के बारे में बहुत अधिक सोचते हुए पाते हैं। आप अपने परिवार, अपने पालतू जानवर या यहां तक ​​कि अपने बिस्तर या किसी परिचित किराने की दुकान के गायब होने जैसी चीजों के साथ समय बिताने के बारे में भी बार-बार सोचते हैं, तब भी यह होम सिकनेस की स्थिति को ही दर्शाता है। आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि घर की बार-बार याद आना, आपको नयापन के एहसास और उससे जुड़े फ्रेशनेस को नहीं दर्शाने देती है और आपको प्रेरित भी महसूस नहीं होने देती है। फिर ऐसा हो जाता है कि आपको जिन बातों में या चीजों में दिलचस्पी है, आप उसमें भी प्रेरणा या दिलचस्पी नहीं लेते हैं, अपने शौक को पूरा नहीं करते हैं। एक स्थिति यह भी होती है कि भले ही दूसरों के आसपास रहने से आपको कुछ हद तक राहत मिलती हो, लेकिन आप अकेले बहुत सारा समय बिताना पसंद करते हैं, क्योंकि घर की याद आने से आपको सामजिक होने में भी दिक्कतें आती हैं। सामाजिक रूप से समायोजन करने में कठिनाई हो सकती है।

शारीरिक लक्षणों में भी दिखती है होम सिकनेस

जब आपको शारीरिक रूप से असहजता महसूस होती सकती है, सिरदर्द, पेट दर्द या सुस्ती ला सकती है और साथ ही अवसाद जैसी स्थिति भी हो सकती है। 

क्या करें जब होम सिकनेस महसूस हो

आप यह कोशिश करें कि आप किसी क्लब, खेल टीम का हिस्सा बन जाएं। साथ ही आप अपनी रुचि से  संबंधित किसी अन्य समूह में शामिल हों। साथ ही किसी समुदाय का हिस्सा होने से आपको अपनेपन का एहसास हो होगा, तो कोशिश करें कि आप अपने नए समुदाय का हिस्सा बनें, उनके साथ आप नया कुछ सीखने और समझने की कोशिश करेंगे तो इससे उबरने में आपको मदद मिलेगी, तो आप यह जरूर कोशिश करें कि कुछ नए लोगों से जुड़ें और नए तरीके से काम करने की और नए माहौल में जुड़ने की कोशिश करें। 

स्क्रॉल न करें 

इस बात का हमें एहसास नहीं होता है, हमें लगता है कि हम अगर स्क्रॉल करेंगे, तो हमारा अकेलापन दूर हो जाएगा, लेकिन हमें इस बात का एहसास भी नहीं होता है कि यह हमारे लिए काफी परेशानी का सबब बन जाता है, क्योंकि सोशल मीडिया पर बहुत अधिक समय बिताने से आप अपने आस-पास के वातावरण से और अधिक दूर होने का अनुभव होने लगता है या आप ऐसा महसूस या अनुभव कर सकते हैं। फिर घर पर हर कोई जो कर रहा है, उसके बारे में भी हमेशा आपको जानकारी मिलती है, तो उससे भी आपको तकलीफ होती है। इसलिए जरूरी है कि हरदम स्क्रॉल न करें और फोमो वाली फीलिंग खुद में कभी नहीं आने दें। इससे अच्छा होगा कि किताबों को अपने अकेलेपन का दोस्त बनाएं। 

अकेले अधिक समय नहीं बिताएं 

इस बात का भी खास ख्याल आपको रखना चाहिए कि अगर आप होम सिकनेस वाली स्थिति में हैं, तो आपको कभी भी अकेले अधिक समय नहीं बिताना चाहिए, यह आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। इससे आपको बार-बार किसी के साथ न होने की कमी खलने का एहसास होगा और फिर आपको अच्छी फीलिंग नहीं होगी। बेहतर होगा कि लोगों से मिलें। 

तुरंत में कोई निर्णय न लें 

कई बार इस सिकनेस के कारण आप तुरंत में निर्णय भी लेने लग जाते हैं कि आपको उस शहर को छोड़ कर कहीं और चले जाना है। लेकिन ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए, हमेशा इस बात का ख्याल रखें कि तुरंत में किसी भी तरह का निर्णय नहीं लें। थोड़ा रुकें और नए लोगों से बातचीत करने की कोशिश करें, तब जाकर निर्णय लें। तुरंत में किया गया निर्णय आपके जॉब या आपकी पढ़ाई दोनों को ही नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए बेहद जरूरी है कि आप तुरंत में कोई भी निर्णय लेने के बारे में हरगिज न सोचें। 

अपनी सेहत से नहीं करें समझौता 

होम सिकनेस का खराब असर इस बात पर भी होता है कि हम अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते हैं, हम परेशान होकर कुछ भी खाने लग जाते हैं, जबकि हमें अपने खान-पान का इस वक़्त बहुत ध्यान रखना चाहिए, कुछ भी गड़बड़ चीजें बेवजह नहीं खानी चाहिए, क्योंकि यह सेहत पर गलत तरीके से असर कर देता है। 

किसी विश्वसनीय आदमी से जुड़ें

आपको जब कभी भी ऐसा किसी ऐसे व्यक्ति से जुड़ें जिस पर आप भरोसा करते हैं और उन्हें बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं। यह कोई मित्र, परिवार का सदस्य या परामर्शदाता हो सकता है। आप उनसे अपनी मन की बातें शेयर कर सकती हैं, इससे आपको ख़ुशी मिलेगी और  विचार साझा करने से आपका बोझ हल्का हो सकता है और आपको अकेलापन कम महसूस होगा।

 

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