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होली के इन रीति-रिवाजों में छुपा है ‘खुशियों का खजाना’, सौंपिए चाबी अगली पीढ़ी को

प्राची |  मार्च 25, 2024

पूरे साल, उस दिन का इंतजार बेसब्री से होता था, जब होली आती थी, क्योंकि मां नए कपड़े देने के साथ-साथ, कितने सारे पकवान बनाती थी। शाम में जब अबीर के रंग-बिरंगे ट्रे के साथ ड्राई फ्रूट्स रखे होते हैं, पूरा ध्यान मुझे बस मुट्ठी में मेवे भरने का होता था, मालपुआ की मिठास न जाने कब तक जुबान पर चढ़ी रहती थी। तो दही वड़े का स्वाद तो हफ्तों बना रहता है। इन सबके बीच, जब शाम में दादू यानी दादी मां, जब अबीर का तिलक लगाती और पैरों पर अबीर डालते थे हम, इसके बीच जो स्नेह मिलता था, उसके ही रंग में पूरे साल रंगा रहता था मन। बदलते दौर के साथ, जब अब चेहरे पर गुलाल सोशल मीडिया के फिल्टर के अनुसार लगाए जा रहे हैं, बचपन की वे यादें थोड़ी दूर होती नजर आती है। लेकिन अगर आप चाहें, तो अपने अगली पीढ़ी को इन सारी परंपराओं से अवगत करा सकती हैं, क्योंकि इससे संस्कृति आगे बढ़ती जायेगी, विलुप्त नहीं होगी। और होली का पर्व हमें वो मौका जरूर देता है, जब छोटी-छोटी पारंपरिक रीति-रिवाज एक बार फिर से नए होकर, नयी पीढ़ी तक पहुंच सकते हैं, तो आइए कुछ ऐसी ही रीति-रिवाजों पर नजर डालते हैं, जो आपको अपने परिवार के करीब और पास ले आएगी। 

गुलाल की चुटकी वाली होली और बड़ों का आशीर्वाद 

बड़ों का आशीर्वाद, जब भी मिले ले लेना चाहिए और खासतौर से तब, जब मौका होली का हो। होली के मौके पर घर से बाहर कदम रखने से पहले घर के बड़े- बुजुर्गों के पैरों पर चुटकी भर गुलाल लगाकर आशीर्वाद लिया जाता है। वहीं घर के बड़े अपने से छोटे के माथे पर गुलाल का तिलक करके इस परंपरा को पूरा करते हैं। एक ही उम्र के लोग आपस में गले मिलकर होली का शुभ आरंभ करते हैं। कई जगहों पर यह भी रिवाज है कि घर में स्थापित मंदिर में होली के रंग रखे जाते हैं। मंदिर में होली के पकवानों का भोग लगाया जाता है। इसी के साथ होली की सुबह की सुखमय शुरुआत होती है।

छोटों और बड़ों को प्यार से देते हैं रूमाल और मेवे 

होली का इंतजार इसलिए भी हमेशा रहा है, क्योंकि इस समय नए कपड़ों के साथ मां या घर की अन्य बुजुर्ग महिलाएं, अबीर के साथ हाथों में रूमाल देती थीं और साथ में मेवा खाने को भी। मेवा खाने का इससे अच्छा मौका कुछ नहीं होता था। यह रूमाल मां बड़े बुजुर्गों को भी देकर उनका आशीर्वाद लेती थीं, इसके पीछे यह मान्यता है कि रूमाल देकर आप सामने वाले को सकारात्मक वाइब्स दे रहे होते हैं कि उनकी जिंदगी में खुशहाली आये। 

होलिका दहन के दिन उबटन

होली से एक दिन पहले रात में सरसो का उबटन लगाने का रिवाज रहा है, जिसे अरसे से बुजुर्ग महिलाएं निभाती आ रही हैं। सरसो के इस उबटन को सरसो के दाने को गरम करके उसे पीस कर बनाया जाता है। सरसों के इस पेस्ट से घर के सदस्यों के हाथ और पैर की मालिश की जाती हैं। मालिश के बाद जमीन पर गिरे हुए उबटन को साफ बर्तन में उठाकर पूजा के लिए रखा जाता हैं। होलिका दहन की पूजा के समय इस उबटन को पूजा करने के बाद आग में जला दिया जाता हैं। होली से पहले किया जाने वाला यह नियम केवल किसी परंपरा का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह माना जाता कि शरीर पर की गयी मालिश से सारे कीटाणु बाहर निकल जाते हैं। इसी मान्यता के आधार पर निरोगी रहने की दुआ, होलिका के सामने मांगी जाती है। वैसे इस उबटन का इस्तेमाल होली खेलने से पहले एक और वजह से किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार राई के दाने में स्क्रब करने के गुण होते हैं, जो शरीर पर मौजूद डेड सेल्स को हटा देता है। इसलिए इसे एक सेहतमंद नुस्खा भी माना जाता है।

शाम की चौपाल में महिलाओं की मस्ती 

नए जमाने की होली में पार्टी और डीजे का शोर सुनाई जरूर देता है, लेकिन होली का दूसरा अर्थ मिलन समारोह भी है। जिस तरह दिवाली में लोग एक दूसरे के घर जाकर शुभकामनाएं देते हैं। ठीक वैसे ही व्हाट्सअप का जमाना आने से पहले घर के बुजुर्ग और महिलाएं शाम की होली चौपाल का आनंद उठाती थीं। इस दौरान सोसायटी और अपने पड़ोस के लोगों के साथ मिलकर शाम की चाय, गुझिया और होली के पारंपरिक गीतों के साथ चौपाल का माहौल मेल-मिलाप और संगीत से सराबोर किया जाता था। होली की शाम में बकायदा घर की महिलाएं अपना सारा काम निपटाकर इस चौपाल का हिस्सा बनती थीं, जहां पर रंगारंग कार्यक्रम के साथ होली के महत्व और पौराणिक कथाओं को सुनाते हुए महिला संगीत जैसे कई सारे आयोजन किये जाते थे। आज भी शहर से दूर गांव में पंचायत में इस तरह के होली चौपाल का आयोजन किया जाता है।

पारिवारिक होली मिलन

होली के दिन दिल खिल जाते हैं…रंगों में रंग मिल जाते हैं। ठीक इसी हिंदी गाने की तरह होली मिलन समारोह है, जो कि शाम की चौपाल से अलग है। शाम की चौपाल, जहां होली के मौके पर समाज में एकता बढ़ाने का काम करती है। वहीं होली मिलन का मतलब है, फैमिली टाइम। घर की महिलाएं अपने परिवार के साथ रिश्तेदारों या फिर पड़ोसी के घर में गुझिया और घर पर बनाए गए होली स्पेशल पकवान के साथ पहुंचती हैं, जहां पर खानों की स्वादिष्ट चीजों का आदान-प्रदान होता है। लजीज खानों के साथ होली मिलन पर परिवार और पड़ोसी के साथ अच्छे संबंधों को बनाए रखने की कोशिश होती है। इस दिन सारे गिले शिकवे भूल कर सब एक हो जाते हैं।

होली पर गिफ्ट्स की बारिश 

महिलाओं और बच्चों को खास तौर पर गिफ्ट दिया जाता है। गिफ्ट के तौर पर पैसों का लिफाफा या फिर कोई भी मनचाहा तोहफा होता है। होली के असली मायने अच्छाई पर बुराई की जीत है। इस खुशी को सेलिब्रेट करने के लिए होली का शगुन दिया जाता है, होली खेलने से पहले जेब पैसों और तोहफों से भरी हुई होती है। घर पर आने वाले रिश्तेदारों और दोस्तों को भी मिठाई का हैम्पर गिफ्ट्स के तौर पर दिया जाता रहा है। 

जब होली से पहले मां उतारती थी नजर ..करती थी पूजा

होली की शुुरुआत बिना होलिका दहन की पूजा के अधूरी है। शास्त्रों के अनुसार आदिकाल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था। वह चाहता था कि लोग केवल उसकी पूजा करें। हिरण्यकश्यप का बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। बेटे की इस भक्ति पर पिता ने फैसला किया कि वह उसकी हत्या कर देगा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में नहीं जलने का वरदान मिला। भाई के कहने पर प्रह्लाद को होलिका गोदी में लेकर आग में बैठ गई। अपनी भक्ति के कारण प्रह्लाद जिंदा रह गया और होलिका जल गई। इसी आधार पर बुराई पर अच्छी की जीत के लिए होलिका दहन का रिवाज है। होली से एक दिन पहले की रात को होलिता दहन का आयोजन होता है। सूखी लकड़ी और गाय के गोबर के उपलों को मिलाकर पिरामिड के आकार की होलिका बनाई जाती है। घर की महिलाएं नारियल लेकर पूरे घर में घुमाती हैं । पूजा होने के बाद इस नारियल को जलती हुई होलिका में फेंकने का रिवाज है। बताया जाता है कि इसे करने से घर के सदस्यों के सामने आने वाली रुकावट दूर हो जाती है।

होली खत्म फिर भी नए कपड़ों के साथ जश्न जारी

होली पर रंग खेलने के लिए नए सफेद कपड़ों को खरीदा जाता है। ऐसा रिवाज है कि नए कपड़ों की बजाए पुराने कपड़ों में होली खेलनी चाहिए, जो कि पिछले साल की होली पर इस्तेमाल हो चुकी होती है। इससे होली पर आप क्या पहनने वाली हैं,  इस झझट से भी दूर हो जायेंगी। साथ ही रंगे हुए कपड़ों पर से दाग छुड़ाने की भी दिक्कत नहीं होती। वहीं होली खेलने के बाद शाम को नए कपड़ों को पहनना चाहिए। होली मेल-मिलाप और रंगों को त्योहार है, ऐसे में नए कपड़ों के साथ आप शाम तक फेस्टिवल मूड में परिवार और दोस्तों के साथ होली का जश्न मना सकती हैं।

 

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