img
हेल्प
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • कनेक्ट
  • एक्स्क्लूसिव
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
होम / एन्गेज / रिलेशनशिप्स / फ़ैमिली ऐंड फ्रेंड्स

महाराष्ट्र से गणेश चतुर्थी का है अटूट रिश्ता, देश प्रेम से लेकर महिला सम्मान तक का है प्रतीक

प्राची |  सितंबर 08, 2024

गणपति और महाराष्ट्र का खास रिश्ता रहा है। गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र में हर्ष, उल्लास और समृद्धि का पर्व माना जाता है। केवल मुंबई तक ही गणेशोत्सव नहीं सिमटा है, बल्कि महाराष्ट्र के हर कोने, हर गली और मोहल्ले में गणपति का आगमन होता है, आपको जानकर हैरानी होगी कि क्यों महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी मनाया जाता है, तो हम आपको बता दें कि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह आजादी है। जी हां, आजादी से जुड़ा गणेश चतुर्थी का इतिहास है। गणेश चतुर्थी के त्योहार के कारण ही लोगों में सामाजिक भावना और इंसानियत को जीवित रखने की शुरुआत कई सालों पहले हुए थी। तो आइए विस्तार से जानते हैं कि कैसे गणेश चतुर्थी का महाराष्ट्र के साथ कैसा खास रिश्ता रहा है।

पेशवाओं से जुड़ा है रिश्ता

गणेश चतुर्थी बनाने की परंपरा पेशवाओं ने काफी सालों पहले की थी। पेशवा सवाई माधवराव के शासन में पुणे के लोकप्रिय शनिवार वाड़ा नामक राजमहल में गणेश उत्सव मनाया जाता था। यह पहला मौका था, जब इस त्योहार का आगमन हुआ। इसके बाद साल 1890 के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन में गणेश चतुर्थी ने बड़ी भूमिका निभायी। वर्ष 1890 के दौरान बाल गंगाधर तिलक ने इस बारे में विचार किया कि कैसे एक इंसान को दूसरे इंसान से जोड़ा जाए। साथ ही कैसे लोगों को एक साथ एक जगह पर इकट्ठा किया जाए। इस दौरान उनके मन में यह विचार आया कि लोगों को एक साथ लाने के लिए सार्वजनिक गणेशोत्सव की परंपरा पूरे महाराष्ट्र में शुरू की जाए।

राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने के लिए

कई शहरों में गणेश उत्सव के जरिए आजादी का आंदोलन शुरू किया गया। यह भी माना जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने के लिए भी सार्वजनिक गणेशोत्सव को बढ़ावा दिया। गणेशोत्सव के दौरान इस बात पर अधिक फोकस किया जाता था कि कैसे मानव कल्याण और देश कल्याण से जुड़े रास्ते और संदेश इस गणेशोत्सव के जरिए लोगों तक पहुंचा जाए। इसके लिए कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता रहा है। कई जगहों पर नाटक मंचन, भाषण, कविता और लोक संगीत के जरिए देशभक्ति की भावना वाले कई कार्यक्रम किए जाते थे। कई लोग बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा भी लेते थे। इसका असर आजादी की लड़ाई में दिखा। लाखों की संख्या में महाराष्ट्र से लोगों ने आजादी की लड़ाई में अपना सहयोग दिया। 

आजादी के बाद भी महाराष्ट्र से गणेशोत्सव का रिश्ता कायम रहा

दिलचस्प है कि महाराष्ट्र में लोगों का रिश्ता गणेशोत्सव के साथ केवल धर्म से जुड़ा नहीं रहा है। कई सार्वजिनक पर गणेशोत्सव के दौरान रोड शो का भी आयोजन किया जाता रहा है। जहां पर लोगों के समक्ष ऐसी घटनाओं की झांकी प्रस्तुत की जाती थी, जहां से उन्हें सीख मिले। खासतौर पर प्रकृति की देखभाल, महिलाओं से जुड़े अपराध और शिक्षा से जुड़ी हुई जरूरी बातें झांकी और नाटक द्वारा लोगों के समक्ष रखी जाती थी। वहीं घर में कई लोग गणेश स्थापना के साथ अपने करीबी लोगों को घर पर बुलाते हैं, जहां पर परिवार और दोस्तों के बीच रिश्ते मजबूत करने में गणेशोत्सव ने अहम भूमिका निभाई है।

महाराष्ट्र के इस शहर का नाम गणपति के नाम पर

कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी जिले में मौजूद गणपति पुले की गिनती महाराष्ट्र के खूबसूरत शहरों में होती है। प्रकृति की गोद में गणपति पुले की शोभा और भी निखरती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि महाराष्ट्र के इतिहास में गणपति पुले का गांव 400 साल पुराना है। इस जगह में 1600 साल पहले खोजी गई गणेश मूर्ति की स्थापना की गई है। कई लोग ऐसे हैं, जो कि शादी या फिर छोटी सी यात्रा के लिए गणपति पुले जाने की योजना जरूर बनाते हैं। समुद्र तट के करीब मौजूद यह गांव अपने दार्शनिक स्थल के लिए काफी लोकप्रिय है। गणपति पुले में 16 वीं शताब्दी का जयगढ़ किला मौजूद है। गणपति पुले बीच के साथ प्रसिद्ध मराठी कवि मालगुंड का घर भी है। 






शेयर करें
img
लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle