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बाल दिवस स्पेशल : छोटी बच्ची हो क्या ! पूछने वाले को अपने बचपने अंदाज में ही जवाब दें, हां, दिल तो बच्चा है जी ...

अनुप्रिया वर्मा |  नवंबर 14, 2022

अब तुम बच्ची नहीं रही, जो ऐसी शरारत करती हो, बच्ची जैसा बर्ताव मत करो, तुम में अब तक बचपना गया नहीं है, अमूमन ऐसी बातें, आपके आस-पास के वे लोग कहते नजर आते हैं, जो आपको आपकी उम्र का तकाजा देते हुए यही कहते हैं कि अब आप बड़ी हो चुकी हैं, अब आपको बिल्कुल गंभीर हो जाना चाहिए, लेकिन यकीनन आपकी बढ़ती उम्र के साथ जिम्मेदारियां भी लगातार बढ़ जाती हैं, लेकिन फिर भी इन सबके बीच बेहद जरूरी है कि आप अपने अंदर के बच्चे को हमेशा जिंदा रखें, यानी अपने पचपन में भी बचपन को याद रखना चाहिए, क्योंकि दिल में अगर बच्चा होता है, तभी आप एक अच्छे इंसान बने रहते हैं, क्योंकि बच्चे मन के सच्चे होते हैं। तो बाल दिवस के बहाने आइए जानें, कुछ ऐसी बातें, जिन्हें आपको खुद में कभी बदलने की जरूरत नहीं है। 

हर वक्त गंभीर रहना जरूरी नहीं 

मुमकिन है कि आप किसी ऐसे काम में हों, जहां पूरा माहौल काफी गंभीर रहता हो, लोग केवल गंभीर ही बातें  करते हो, ऐसे में आप भी अपना हंसमुख स्वभाव भूल कर, उनकी तरह ही ढलने की कोशिश करती हैं, जो कि आपको बिल्कुल नहीं करना चाहिए, क्योंकि हंसता हुआ चेहरा किसी को बुरा नहीं लगता और हंसने से आपके आस-पास पॉजिटिविटी बनी रहती है, इसलिए अपनी मुस्कुराहट को बरकरार रखें। 

बचपन की हॉबी रखें बरकरार 

सिर्फ पैसों में नहीं ढूंढें खुशी 

यह भी बेहद जरूरी है कि आप जिंदगी में वे चीजें करना, जो आपको खुशी देती हैं, उसे कभी भी छोड़ने के बारे में  सोचना चाहिए, क्योंकि जिंदगी में नौकरी-पैसे और काम करना जरूरी है, लेकिन आपको दिल से जो चीजें खुशी देती हैं, वह हमेशा ही करते रहना जरूरी है। तभी आप असल मायने में जिंदगी को एन्जॉय कर सकती हैं। 

खुल कर हंसें 

इस बात पर भी हमारा ध्यान  नहीं जाता है, लेकिन यही सच्चाई है कि हम जैसे-जैसे बड़े होते हैं,लोग क्या सोचेंगे, इस पर फोकस करना शुरू कर देते हैं। इस चक्कर में हम अपने हंसने तक के अंदाज पर अंकुश लगा देते हैं, जो कि हरगिज नहीं होना चाहिए, आपकी जो भी नेचुरल हंसी है, उसे बरकरार रखें और खुल कर हंसें और  जिस तरह से हंसना है, हंसें। किसी की परवाह करने की जरूरत नहीं है। 

बचपन के दोस्तों से रहें संपर्क में

कई बार खास दोस्त बनाते हुए भी हम बचपन के दोस्तों से दरकिनारा करने लगते हैं और यही वजह है कि हम कई बार काफी अधिक बड़े होने का दावा करने लगते हैं और निजी जिंदगी में भी काफी प्रोफेशनल हो जाते हैं, इसलिए भी यह जरूरी है कि बचपन की यादों में जाने के लिए, आपके बचपन के दोस्तों का आपके साथ बने रहना, ताकि आप वास्तविक इंसान बने रहें, कोई बनावटी जिंदगी न जिएं।

 

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