डार्क टूरिज्म सुनकर आपको ताजुब होगा, लेकिन आपको बता दें कि इन दिनों इसका ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ रहा है। हर किसी को घूमना पसंद होता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए घूमने का मतलब नई जगहों पर जाना और वहां पर आराम करना है, लेकिन आजकल टूरिज्म का मतलब बदल गया है। इस तरह की यात्रा में उन स्थानों पर जाना शामिल है, जो मृत्यु, त्रासदी और पीड़ा से जुड़ा होता है। डार्क टूरिज्म में युद्ध वाली जगहों के साथ भूतिया स्थान भी शामिल हैं। ऐसी जगहों का नाम अधिक है, जिसे डरावना घोषित कर दिया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
रोमांच के साथ इतिहास का सफर

डार्क टूरिज्म एक तरह से रोमांच के साथ इतिहास का सफर होता है। इन स्थलों की यात्रा करने का मुख्य उद्देश्य उन घटनाओं और स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त करना है, जिनसे लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा हो। यह एक ऐसा अनोखा ट्रेंड हैं, जो यात्रियों को इतिहास की तरफ खींच कर ले जाता है, जहां सिर्फ घूमना नहीं होता, बल्कि इतिहास से गुजरना और उसे महसूस करना भी होता है। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि डार्क टूरिज्म न केवल रोमांचक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि इतिहास, मानवता और समाज के पहलुओं को भी उजागर करता है। इतना ही नहीं डार्क टूरिज्म के अंतर्गत ऐसे स्थानों की यात्रा की जाती है, जहां किसी न किसी प्राकृतिक आपदा, युद्ध या फिर आतंकवादी हमले का प्रभाव रहा है। उदाहरण के तौर पर मुंबई के ताज पर हुआ आतंकवादी हमला या फिर मुंबई स्थित कमला मील, जो कि हांटेड जगह है। इन स्थानों पर जाना एक रोमांचक, लेकिन संवेदनशील अनुभव होता है।
मानसिक प्रभाव

जाहिर-सी बात है कि जब आप ऐसी किसी जगह का चयन करती हैं,तो इसका असर आपके दिमाग पर भी होता है, क्योंकि आप किसी सोच के साथ इस तरह के स्थान पर जाती हैं और फिर उसी सोच में इजाफा करते हुए उस स्थान पर मौजूद होती हैं और उसे महसूस करती हैं। इन स्थानों पर यात्रा करते हुए, पर्यटकों को मानसिक और भावनात्मक अनुभव होते हैं। यह स्थान कुछ हद तक डर और आतंक का एहसास कराते हैं, लेकिन वहीं वे इतिहास और मानवता की भयानक घटनाओं के बारे में भी सीखने का मौका देते हैं।
जानें डार्क टूरिज्म का ऐतिहासिक महत्व

डार्क टूरिज्म एक तरह से इतिहास को जीवित रखने का एक खास तरीका है। जब भी हम इस तरह के स्थान पर जाते हैं, तो बीती हुई घटनाओं के बारे में सोचने और समझने का अवसर भी मिलता है, जिसकी वजह से कई सारी जिंदगियां प्रभावित हो चुकी हैं। यह हमें मानवता की त्रासदी और उसके प्रभावों को याद रखने के लिए प्रेरित करता है। दूसरी तरह से डार्क टूरिज्म ऐसे स्थानों को सम्मान देने और श्रद्धांजलि अर्पित करने का भी एक तरीका है। जैसे किसी आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों की याद में स्मारक स्थापित किया गया। उल्लेखनीय है कि डार्क टूरिज्म इतिहास को नए दृष्टिकोण से देखता है, और हमें उन घटनाओं के बारे में सिखाता है, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता है। यह ट्रेंड ऐसे स्थलों की महत्व को बढ़ावा देता है, जहां इतिहास के काले पन्नों को उजागर किया जाता है, ताकि लोग उनसे सीख सकें और भविष्य में ऐसे कार्यों से बचने का प्रयास करें।
भारत में जेनेरशन Z की डार्क टूरिज्म की बढ़ती हुई रुचि

जनरेशन Z (जो आमतौर पर 1997 से 2012 के बीच जन्मे होते हैं) के लिए यात्रा केवल मनोरंजन और आराम के लिए नहीं, बल्कि अनुभव और शिक्षा के रूप में भी महत्वपूर्ण हो गई है। यह पीढ़ी इतिहास, संस्कृति और सामाजिक मुद्दों से गहरे तरीके से जुड़ने की कोशिश कर रही है, और यही वजह है कि डार्क टूरिज्म के प्रति उनकी रुचि में बढ़ोतरी हो रही है। दूसरी तरफ जनरेशन Z के लोग इन स्थानों पर यात्रा करने को एक शैक्षिक अनुभव के तौर पर देखते हैं, जिसस वे अतीत से सीख सकती हैं और भविष्य को बेहतर बदलाव की दिशा में काम कर सकती हैं।
जानें भारत में डार्क टूरिज्म के स्थान

जलियांवाला बाग इस लिस्ट में सबसे पहले आता है। यह स्थल ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्रामियों पर किए गए अत्याचारों की याद दिलाता है। यहां 1919 में जनरल डायर द्वारा निहत्थे भारतीयों पर गोलियां चलाई गई थीं, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। इसके बाद बारी आती है, सेलुलर जेल की। यह जेल भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए यातना और दमन का प्रतीक बन गई थी। इसके बाद चेन्नई के कांची युद्ध मैदान की बारी आती है। मन्नार के ऐतिहासिक क्षेत्रों में डार्क टूरिज्म से जुड़े कई स्थल हैं, जहां युद्ध, संघर्ष और जीवन के दुखद पहलुओं को समझा जा सकता है। बिहार का पटनागढ़ क्षेत्र भी प्राकृतिक आपदाओं, अकाल और सामाजिक असमानताओं से प्रभावित रहा है। यहां के ऐतिहासिक स्थल युवा पीढ़ी को इतिहास और संघर्षों से जोड़ते हैं। जैसलमेर में कुलधरा गांव एक रहस्यमयी गांव के तौर पर जाना जाता है, जिसे उसके निवासियों से अचानक छोड़ दिया था। इसे एक तरह से शापित माना जाता है। उत्तराखंड में मौजूद रूपकुंड झील भी खास मानी जाती है। कंकाल झील के नाम से लोकप्रिय यह जगह हजारों साल पुराने मानव कंकाल आज भी रहस्य का हिस्सा बने हुए हैं। पुणे का शनिवारवाड़ा भी ऐतिहासिक किला है, जहां पेशवा नारायण राव की आत्मा की चीखें सुनाई देने की कहानियां प्रचलित हैं।
डार्क टूरिज्म पर जाने से पहले जरूरी बातें

यह यात्रा कुछ दुखद, भयावह और ऐतिहासिक त्रासदियों से जुड़ी होती है, इसलिए इन स्थलों पर यात्रा करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों को समझना और पालन करना जरूरी है। आपको यह ध्यान रखना है कि हर जगह की अपनी संवेदनशीलता होती है और उसे समझना आपके लिए जरूरी है। ऐसे स्थानों पर यात्रा करते समय यह जरूरी है कि आप संवेदनशीलता और सम्मान के साथ पेश आएं। आपको यह समझना होगा कि यह स्थान निजी शोक, आक्रोश या मानसिक तनाव का कारण हो सकता है। इन स्थानों पर यात्रा करने से पहले वहां के इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को समझना जरूरी है। आपको यात्रा करने से पहले शोध करना जरूरी है। आप जहां पर भी जा रहे हैं, वहां की पूरी जानकारी आपको रहनी चाहिए। इससे आपको उस जगह के इतिहास को समझने से अधिक वहां पहुंचकर महसूस करने को भी मिलता है। जिस भी जगह पर जा रही हैं, वहां शांति और सम्मान बनाए रखें। ये स्मारक और संग्रहालय किसी की व्यक्तिगत त्रासदी का प्रतीक हो सकते हैं और यहां हल्के-फुल्के या अनुचित व्यवहार से बचना चाहिए।
यात्रा करने से पहले सुरक्षा का ध्यान
आप जिस भी स्थल पर जा रही हैं, वहां पर जाने से पहले आपको अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखना है। कई डार्क टूरिज्म स्थल ऐसे क्षेत्रों में स्थित होते हैं जो संघर्ष, युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हो सकते हैं। इन स्थलों पर जाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपकी यात्रा सुरक्षित है। साथ ही, अगर आप किसी ऐसे स्थान पर जा रहे हैं जो शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो, तो अपनी सेहत का ध्यान रखें और यात्रा से पहले जरूरी सावधानियां लें। आपको ब्लड प्रेशर से लेकर कमजोरी महसूस न होने और बुखार के साथ सिरदर्द की भी दवा रख लेनी चाहिए। साथ ही अुपनी भावनात्मक सेहत का भी आपको अच्छी तरह से ध्यान रखना है। आप जो भी स्थान चुनें, वहां के स्थानीय लोग या प्रभावित समुदाय उस स्थल को एक विशेष दृष्टिकोण से देखते हैं। उनका सम्मान करें और यात्रा करते समय उनके संवेदनशील अनुभवों को समझने की कोशिश करें। आपको यात्रा की सही समय सीमा और नियमों का भी पालन करना है। आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि यह स्थलों पर जाने का उद्देश्य शिक्षा और संवेदनशीलता के साथ जुड़ा होता है, न कि सिर्फ रोमांच के रूप में।