बिहार में क्या है, क्यों यह बेहद खूबसूरत और सांस्कृतिक विरासत वाला राज्य माना जाता है और क्यों यहां के कुछ ऐसे डेस्टिनेशन हैं, जहां जरूर घूमना चाहिए और जिनके बारे में अबतक उतनी चर्चाएं नहीं हुई हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानें।
सोनभंडार गुफाएं

गौरतलब है कि राजगीर की प्राचीन गुफाओं के बारे में आपका जानना बेहद जरूरी है, यह गुफाएं शानदार हैं और इनका एक खास इतिहास रहा है, इनके बारे में अधिक जानकारी कोई भी नहीं दे पाता है, लेकिन एक बार आपको मौका निकाल कर इन जगहों पर जाने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। यहां इतिहास का खजाना छुपा है। सोन भंडार गुफाओं की जाए, तो इन्हें सोन भंडार भी कहा जाता है, ये दो कृत्रिम गुफाएं हैं, जो भारत के बिहार राज्य के राजगीर में स्थित हैं। वहीं बात करें, तो सबसे बड़ी गुफा में पाए गए समर्पण शिलालेख के आधार पर, जिसमें चौथी शताब्दी ईस्वी की गुप्त लिपि का उपयोग किया गया है, इन गुफाओं का निर्माण सामान्यतः तीसरी या चौथी शताब्दी ईस्वी का माना जाता है। कुछ यह भी मानते हैं कि ये गुफाएं, दरअसल मौर्य साम्राज्य के काल, 319 से 180 ईसा पूर्व, की हो सकती हैं। यह मुख्य गुफा आयताकार है, जिसकी छत नुकीली है और प्रवेश द्वार समलम्बाकार है।
तिलहर कुंड

तिलहर कुंड, एक खूबसूरत घूमने लायक जगह है, जहां जाकर आप बेहद अच्छा महसूस करेंगी, यह जिले में एक सुंदर और दर्शनीय झरना, जो प्राकृतिक सुकून देता है। तिलहर कुंड की बात करें, तो यह तिलहर जलप्रपात, बिहार के कैमूर जिले में रोहतास पठार पर स्थित एक खूबसूरत प्राकृतिक झरना है। दुर्गावती नदी के पास स्थित यह झरना हरे-भरे पहाड़ों और पेड़ों से घिरा है और अपनी ठंडे पानी की धारा के लिए जाना जाता है। लगभग 80 मीटर की ऊंचाई से गिरते हुए, यह पिकनिक मनाने वालों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय और मनमोहक स्थल है। इस झरने की खास बात यह है कि इसका पानी हमेशा ठंडा रहता है। फोटोग्राफी के लिहाज से भी यह जगह शानदार है।
डुंगेश्वरी पहाड़ियां

डुंगेश्वरी पहाड़ियों को कथौली पहाड़ियां भी कहा जाता है, यह भारत के बोधगया के पास स्थित एक पवित्र स्थल है, जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति से पहले छह वर्षों तक ध्यान किया था। इस क्षेत्र में डुंगेश्वरी मंदिर सहित हिंदू और बौद्ध दोनों तीर्थस्थलों वाली गुफाएं हैं और यह आध्यात्मिक शांति और बौद्ध इतिहास से जुड़ाव चाहने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक पूजनीय स्थल है। यह लोकप्रिय हैं और लोग यहां अधिक नहीं जा पाते हैं। इन जगहों को खासतौर से मधुबनी पेंटिंग के लिए भी जाना जाता है।
सिमुलतला हिल्स
बिहार के जमुई जिले में स्थित सिमुलतला हिल्स बेहद लोकप्रिय और खूबसूरत हिल्स में से एक है और यह अपने हरे-भरे प्राकृतिक दृश्यों और पहाड़ी इलाकों के लिए जाना जाने वाला एक शांत प्राकृतिक स्थल है। इसे बिहार का मिनी शिमला कहा जाता है। खास बात यह है कि ब्रिटिश काल में यह ऐतिहासिक रूप से एक स्वास्थ्य सेवा रिसॉर्ट था और समुद्र तल से लगभग हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह विश्राम और तरोताजा होने के लिए एक लोकप्रिय स्थल बना हुआ है। यह क्षेत्र एक प्रमुख आवासीय विद्यालय, सिमुलतला आवासीय विद्यालय के लिए भी प्रसिद्ध है।
केसरिया स्तूप

ताजपुर स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल, केसरिया स्तूप बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थस्थल रहा है। मौर्य सम्राट अशोक द्वारा निर्मित, यह स्तूप भारत का सबसे बड़ा बुद्ध स्तूप है, जो बिहार के केसरिया शहर में स्थित है। बाबा केसरनाथ के नाम से भी प्रसिद्ध, इस स्तूप के बारे में माना जाता है कि इसके अंदर एक शिव मंदिर है, जिसे 1958 में खुदाई के दौरान नष्ट कर दिया गया था। एक पुरातात्विक स्थल होने के अलावा, यह स्तूप उन पर्यटकों के लिए भी एक दर्शनीय स्थल है जो इतिहास और प्राकृतिक दृश्यों में रुचि रखते हैं। केसरिया स्तूप, केसरिया रोड पर स्थित है, जो बिहार की राजधानी पटना से लगभग 110 किमी दूर है। केसरिया स्तूप अतीत की पुरातात्विक उत्कृष्टता का प्रतीक है और इसे खूबसूरती से डिजाइन किया गया है। यह स्तूप लगभग 104 फीट ऊंचा है और इसकी कुल परिधि लगभग 400 फीट है।
रिजवान केसल
रिजवान केसल एक लोकप्रिय स्थान है, लेकिन अनएक्सप्लोर्ड भी है, लेकिन यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई लोग आते हैं, लेकिन अफसोस है कि मेहमानों के ठहरने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रिजवान किला अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। लेकिन सुखद बात यह है कि यह बहुमंजिला किला बिल्कुल वैसा ही है, जैसे कि हम फिल्मों में देखते हैं, यहां की गोलाकार सीढ़ियां, एक दूसरे से मिले हुए कमरे, लकड़ी की बालकनी, आस-पास की मीनारें और प्रवेश के लिए एक विशाल द्वार बेहद देखने लायक है। इसकी गॉथिक शैली की वास्तुकला और कम रखरखाव के कारण, कई लोग इसे डरावना और भूतिया बताते हैं। बता दें कि रिजवान किला 20वीं शताब्दी में किसी समय बनाया गया था। गौरतलब है कि कुछ लोगों का मानना है कि जिस जमीन पर रिजवान किला बना है, वह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मजहरुल हक की है और इसे उस समय के एक लोकप्रिय वकील सैयद इमाम हसन ने खरीदा था।
गृद्धकूट शिखर

अगर हम गृद्धकूट शिखर या गिद्ध शिखर की बात करें, तो यह एक ऐसा स्थान है, जहां प्रकृति और संस्कृति का मिलन होता है और प्रार्थना व विवेक का एक आदर्श संगम देखने को मिलता है। गिद्ध के समान आकार के कारण, गृद्धकूट शिखर का संबंध विभिन्न पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। अगर हम शिखर की चोटी से नीचे देखें, तो वह नजारा भी बेहद अद्भुत होता है। गौरतलब है कि यह बेहद रोमांचकारी तो है ही। साथ ही शिखर तक पहुंचने के लिए, थोड़ी देर पैदल यात्रा करनी पड़ती है, जो एक बेहद रोमांचक अनुभव है और इसमें काफी मजा आता है।