उत्तर प्रदेश में महिलाएं नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी। हाल ही में राज्य सरकार ने कारखानों में 12 घंटे तक काम करने की अनुमति दी है। सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए कारखानों को कड़े इंतजाम करने का निर्देश दिए हैं। माना जा रहा है कि यह निर्णय महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक खास कदम उठाया गया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
राज्य सरकार का यह कदम इसलिए भी माना गया है कि महिलाओं को आर्थिक मजबूती मिल पाए। हालांकि अगर महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करना है, तो इसके लिए उन्हें लिखित अनुमति देनी होगी। इसके पीछे की वजह यह है कि लिखित अनुमति के साथ महिलाओं के लिए कारखाने में सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सभी नियमों का पालन किया जाए। ज्ञात हो कि नाइट शिफ्ट में काम करने के साथ बाकी के कर्मचारियों के लिए काम की अवधि 12 घंटे प्रतिदिन तक तय की जा सकेगी। लेकिन पूरे सप्ताह का कार्य केवल 48 घंटे से अधिक नहीं होने का तय किया गया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के नए नियम के अनुसार यदि कोई कर्मचारी अपनी लिखित सहमति देता है, तो उसे छह घंटे बिना किसी ब्रेक के काम करने की अनुमति मिल सकती है। इसके साथ ही तय किए गए सीमा से अधिक काम करने वाले कर्मचारियों को साधारण मजदूरी की दोगुनी दर से ओवरटाइम भुगतान भी दिया जाएगा। इस नए नियम को अक्टूबर 2025 से लागू कर दिया गया है।
दिलचस्प है कि उत्तर प्रदेश में महिलाएं घर से बाहर निकलकर काम करने को प्राथमिकता दे रही हैं। महिला श्रम बल की भागीदारी 2017 में 14 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में 36 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही सरकारी नीतियां भी महिलाओं के आर्थिक विकास में सहायता कर रही हैं। इसके फलस्वरूप 10 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों ने 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को आर्थिक तौर पर अधिक बल दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार महिला श्रम भागीदारी दर 2017-18 में लगभग 14 % थी, जो 2023-24 में लगभग 36 % हो गई है।अन्य स्रोत के अनुसार, 2022-23 में महिला श्रम भागीदारी (LFP दर) लगभग 32.10 % थी।