ग्रामीण भारतीय महिलाएं प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा के साथ एक करके स्वास्थ्य सेवा की कमी को पूरा कर रही हैं। यह सशक्त चिकित्सक सुलभ और टिकाऊ स्वास्थ्य सेवा समाधान प्रदान करती हैं, जो कि स्थानीय स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और सामुदायिक कल्याण में सुधार करते हैं। इन सभी चीजों के माध्यम से इन महिलाओं को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की जा रही है। उनका पालन-पोषण और समर्थन किया जा रहा है और ग्रामीण स्वास्थ्य में एक क्रांति लाई जा रही हैं।
भारत के विशाल ग्रामीण इलाकों में एक अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं में भारी कमी है। फिर भी, एक क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। जिसे उन महिलाओं ने शुरू किया है, जो कि न केवल चिकित्सक हैं बल्कि परिवर्तनकारी भी हैं। प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा को आधुनिक सेहत देखभाल के साथ मिलाकर ये महिलाएं दूरदराज के गांवों में स्वास्थ्य देखभाल की असमानता को कम कर रही हैं। उनके प्रयासों को विभिन्न पहलों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें प्रशिक्षण कार्यक्रम और संगठनों के साथ साझेदारी शामिल है।
भारत के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महिलाएं अग्रणी रही हैं। क्योंकि अधिकतर मामलों में वे ही परिवार की देखभाल करने वाली होती हैं। स्थानीय स्वास्थ्य समस्याओं और रीति-रिवाजों से उनका पुराना परिचय उन्हें अपने समुदायों की स्वास्थ्य सेवा की जिम्मेदारी संभालने के लिए खास रूप से योग्य बनाता है। इसके साथ प्रशिक्षण और सशक्तिकरण के साथ ये महिलाएं जमीनी स्तर पर देखभाल करने वाली महिलाओं से पेशेवर रूप से प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में विकसित हो रही हैं, जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य से लेकर दीर्घकालिक बीमारियों तक विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य मुद्दों का प्रबंधन करने में सक्षम है। ज्ञात हो कि आयुर्वेद भारत में उत्पन्न हुई पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है, जो सेहत के लिए प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाती है। जिसमें शरीर में संतुलन और प्रकृति के साथ सामंजस्य को प्राथमिकता दी जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की पहुंच सीमित है। आयुर्वेद व्यावहारिक और टिकाऊ स्वास्थ्य देखभाल उपाय प्रदान करती है।