महिलाएं अगर चाह लें, तो क्या नहीं कर सकतीं, इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि महिलाओं ने अपना बायोगैस प्लांट संचालित करना शुरू किया है। आइए जानें विस्तार से।
महिला अगर चाह लें, तो क्या नहीं कर सकतीं, इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि महिलाओं ने अपना बायोगैस प्लांट संचालित करना शुरू किया है। जी हां और वह भी बहुत ही कम लागत में उन्होंने इस काम को अंजाम देना शुरू किया है। गौरतलब है कि बेगूसराय के तेघरा में लगभग 50 लाख रुपये की लागत से निर्मित एक विशिष्ट बायोगैस संयंत्र का संचालन मर्यादा जीविका ग्राम संगठन द्वारा किया गया है, जिसमें स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) शामिल हैं। स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के दूसरे चरण के अंतर्गत बिहार के बेगूसराय में निर्मित एक बायोगैस संयंत्र, पर्यावरण संरक्षण, कृषि अपशिष्ट प्रबंधन और जैविक अपशिष्ट निपटान में योगदान देते हुए, स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। यह पहल न केवल सतत ऊर्जा को बढ़ावा देती है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण आर्थिक विकास के लिए एक आदर्श भी है। उल्लेखनीय है कि शुरू से ही, सस्टेनेब्लिटी को हमेशा से ही प्राथमिकता दी गई है और प्रभावी और दीर्घकालिक प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए, संयंत्र का संचालन जीविका स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को सौंप दिया गया। तेघरा स्थित मर्यादा जीविका ग्राम संगठन (वीओ) को इसका प्रबंधन सौंपा गया, जो महिलाओं के नेतृत्व वाली ग्रामीण उद्यमिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल ने न केवल ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराया है, बल्कि अपशिष्ट प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण ऊर्जा समाधानों के लिए एक स्थायी मॉडल भी स्थापित किया है। महिलाओं को सशक्त बनाकर, जैविक खेती को बढ़ावा देकर और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करके, यह परियोजना ग्रामीण विकास और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में एक मील का पत्थर स्थापित कर रही है।