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होम / एन्गेज / प्रेरणा / ट्रेंडिंग

बिहार की इस महिला ने किसानों के हित के साथ मखाना का बनाया खास ब्रांड

टीम Her Circle |  नवंबर 05, 2025

बिहार की दरभंगा की रहने वालीं प्रतिभा बोंदिया खेरिया ने मखाना को पूरी दुनिया में पहचान दिला दी है, वह भी अपनी सूझ-बूझ से। आइए जानते हैं विस्तार से। 

सुपरफूड माना जाने वाला मखाना बेहद टेस्टी माना जाता है और इसकी खूबी यही है कि यह हेल्दी भी है, इसके कई पौष्टिक गुण है, जिसकी वजह से लोग इसे खाना पसंद करते हैं। ऐसे में बिहार के दरभंगा की रहने वालीं प्रतिभा बोंदिया खेरिया ने कमाल किया है, उन्होंने अपनी इस धरोहर के महत्व को समझा और उसे व्यवसाय के रूप में एक नया आयाम दिया। जी हां, प्रतिभा ने बिहार के सोना और सफेद मोती कहे जाने वाले मखाना के व्यवसाय को पूरे विश्व में पहचान दिलाई है, वह भी अपनी सूझ-बूझ और शैक्षणिक गुणों से। उन्होंने पर्ल मिथिला मखाना के नाम से अपना ब्रांड शुरू किया है और इनकी खासियत यह है कि उन्होंने किसानों को हर तरह से लाभ कमाने का मौका दिया है, उन्होंने उनके दर्द को समझा है कि कैसे कई कंपनियां उनसे मखाना कम पैसों में खरीद कर ऊंचे दामों पर बेचती हैं और उन्हें उनका मेहनताना भी नहीं मिल पाता है। इसलिए उन्होंने खुद एक तरीका ढूंढ़ा और उस पर काम शुरू किया। वर्ष 2018 में प्रतिभा की शादी दरभंगा में हुई, तो उन्होंने मखाना के पूरे व्यवसाय को समझा कि कैसे किसान बहुत मेहनत से इसे उगाते हैं और बिक्री के लिए तैयार करते हैं, लेकिन बिचौलिए पैसे हड़प करते जाते हैं।

प्रतिभा ने इस बात का आकलन किया कि कैसे बिहार का मखाना सिर्फ एक स्थानीय हीरो नहीं है, बल्कि भारत के कुल उत्पादन का 85 प्रतिशत हिस्से की उपज यही होती है, ऐसे में प्रतिभा के मन में एक विचार आया कि इसे एक बड़े ब्रांड के रूप में तब्दील किया जाए और यही वजह रही कि उन्होंने खुद को इसे आगे बढ़ाने में पूरी तरह से निवेश किया। खास बात यह है कि इस काम के लिए वह संयुक्त राज्य अमेरिका से कृषि व्यवसाय प्रबंधन में स्नातकोत्तर करने के बाद वर्ष 2010 में भारत आयीं और  कैलिफोर्निया में जैविक खेतों में इंटर्नशिप ने उन्हें नैतिक कृषि पद्धतियों से परिचित कराया, साथ ही यह एक ऐसा दृष्टिकोण, जिसके माध्यम से उन्होंने दुनिया के खाद्य उद्योगों को देखना शुरू किया। उन्होंने अपने इस काम को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की ट्रेनिंग की, खुद लेक्चर का हिस्सा बनीं और काफी कुछ किया, जैसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में उन्होंने लेक्चर दिया, साथ ही फार्मिंग में कई तरह के सर्टिफिकेशन कोर्स भी किये और गौरतलब है कि वर्ष 2022 में मखाना को जीआई टैग पहचान मिली, उस वक्त से प्रतिभा ने अपने काम को और अधिक विस्तार दिया। ऐसा नहीं है कि प्रतिभा ने अपने काम को विस्तार ऊपरी तौर पर दिया है, बल्कि उन्होंने पर्ल मिथिला मखाना शुरू करने की प्रतिभा की यात्रा में किसानों के साथ जुड़ने के लिए कीचड़ भरे पानी में उतरना, मखाना के बीज इकट्ठा करने की श्रमसाध्य प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण करना और स्थानीय लोगों की सांस्कृतिक बारीकियों से खुद को परिचित कराने जैसी प्रक्रिया किये। धीरे-धीरे प्रतिभा ने मखाने की खेती को एक खास पहचान दिला दी और किसानों के साथ हाथ मिलाते हुए अपने ब्रांड के साथ खुद ब्रांड बनीं। वाकई, अगर महिलाएं अपनी समझ से कई कामों को शानदार बना सकती हैं।

*Image is used only for representational purpose

 

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