सोलर दीदी के नाम से जानी जाने वालीं बिहार के मुजफ्फरपुर के रत्नापुर जिले से संबंध रखने वालीं बलवेश्वरी देवी और उषा देवी ने अपने गांव के लिए कमाल का काम किया है। उन्होंने गांव में सौर ऊर्जा की तकनीक को कायम किया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
कौन हैं ये सोलर दीदी

अमूमन हम या तो ऐसी खबरें सुनते हैं कि दो महिलाएं कभी दोस्त नहीं बन सकतीं, न ही दोनों साथ में कोई काम कर सकती हैं, तो दूसरी तरफ यह खबरें भी हमारे कानों तक पहुंचती हैं कि दो महिलाओं ने मिल कर एक बड़ा रोजगार या बिजनेस खड़ा किया और फिर मीडिया से लेकर पूरी दुनिया में उनके चर्चे शुरू हो जाते हैं। लेकिन हम आपको बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रतनपुर इलाके से संबंध रखने वालीं बलवेश्वरी देवी और उषा देवी, उन दो महिलाओं के नाम है, जिन्होंने छोटी-सी जगह में रह कर भी बड़ा कारनामा अपने गांव के लिए कर दिखाया है, जी हां, उन्होंने सौर ऊर्जा को अपनी सोच और सूझ-बूझ से लोगों तक पहुंचाया, क्योंकि उन्हें यह हरगिज मंजूर नहीं था कि उनके गांव की स्थिति बदतर रहे और वे कुछ न कर पाएं। इन दोनों ने मिल कर ठाना और अपने जिले के लिए कुछ कर दिखाया। बालेश्वरी देवी और उषा देवी न केवल किसानों के लिए बदलाव का चेहरा बनीं, बल्कि उन्होंने छोटे किसानों को कम लागत पर अपने खेतों की सिंचाई करने में मदद की, जबकि अन्य किसानों को उद्यमिता अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। सिर्फ यही दो महिलाएं ही नहीं, इनके साथ अन्य महिलाओं ने भी इनका पूरा साथ दिया।
आसान नहीं रही थी राह
पहले पुरुषों को सोलर ऊर्जा की अहमियत को समझना मुश्किल होता था, लेकिन इन दो महिलाओं ने कभी हिम्मत नहीं हारी और हमेशा तय किया कि वे किसी भी हाल में अपने विचार को यूं ही जाने नहीं होने देंगी और लगातार उन्होंने इस पर काम करने का निर्णय लिया, अंतत: उनकी राहें आसान हुईं और लोगों का विश्वास उन पर जगा।
ऐसे हुई शुरुआत

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दरअसल, वर्ष 2023 तक बालेश्वरी और उषा का काम वहां की बाकी की महिलाओं की तरह ही घर के कामकाज और थोड़ा बहुत पशु पालन के काम तक ही सीमित था। इसी क्रम में उन्होंने देखा कि उनके यहां के किसान को परेशानी हो रही है और फिर दोनों ने कुछ मिल कर करने के बारे में सोचा। उन्होंने फैसला लिया और सौर ऊर्जा से चलने वाले सिंचाई पंपों को इस्तेमाल करना शुरू किया। ऐसे में अपने खेतों में ऊर्जा का इस्तेमाल करने के अलावा, उन्होंने सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई सुविधा प्रदान करके अन्य किसानों को किफायती दामों पर पानी उपलब्ध कराकर खुद को उद्यमी बना लिया। इससे उनका मनोबल बढ़ा और उनकी आय में भी वृद्धि हुई।
सौर ऊर्जा है सस्ता विकल्प
यह जानना उल्लेखनीय है कि इन दोनों के काम की चर्चा इसलिए भी होनी चाहिए कि यहां के किसानों के लिए सिंचाई हमेशा से एक महंगा सौदा रहा है, क्योंकि यहां के डीजल पंप काफी महंगे होते हैं, वहीं बार-बार बिजली कटौती के कारण इलेक्ट्रिक पंप भी भरोसेमंद नहीं रह जाते। जबकि, सौर पंप एक अच्छे बदलाव के रूप में सामने आए हैं। तो ऐसे में जो पंप होते हैं, उन्हें इस्तेमाल करने पर अधिक खर्च नहीं आता है और इसलिए भी यहां के किसान जम कर, इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। अब हुआ यह है कि किसानों का ध्यान अब डीजल की बढ़ती कीमतों पर नहीं होता है, बल्कि बाकी के कामों पर है।
हो रही है अच्छी खेती

गौरतलब है कि पंप के कारण अब अच्छी खेती हो रही है। सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप किसानों को धान और मक्का जैसी मुख्य फसलों के अलावा, सब्जियों जैसी नकदी फसलों सहित कई तरह की फसलें उगाने में मदद कर रहे हैं। इसलिए अब अधिक और बेहतर पैदावार हो रहा है तो किसान भी अच्छे पैसे कमा रहे हैं।
मिल रहा है रोजगार
इन दो महिलाओं ने इस तरह से गांव की तस्वीर बदली है कि अब किसान दुखी नहीं होते हैं, तो दूसरे शहर या गांव में उनका स्थानांतरण नहीं हो रहा है, साथ ही किसानों के साथ नए किसान जुड़ रहे हैं और फिर पम्प के काम में भी कई महिलाएं जुड़ कर हाथ बंटाती हैं। अब उन्हें कहीं बाहर से भी पानी लाने की जरूरत नहीं होती है। जीविका और आगा खान ग्रामीण सहायता कार्यक्रम (एकेआरएसपी) जैसे संगठनों ने जागरूकता फैलाने और संसाधन उपलब्ध कराने में बड़ी भूमिका निभाई है। ये महिलाएं अपने परिवारों के लिए अच्छी कमाई कर रही हैं, बल्कि अपने समुदाय को खेती के एक ज्यादा टिकाऊ तरीके की ओर भी ले जा रही हैं।
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