कहते हैं कि हौसले की उड़ान, हिम्मत की गाड़ी पर आपको आसमान तक पहुंचा सकती है। ठीक ऐसा ही हुआ है हरदोई की सावित्री देवी के साथ। हरदोई की सावित्री देवी ने अपने जीवन के बुरे हालातों से हार न मानते हुए जंगली घास से हस्तशिल्प बनाकर खुद के लिए और बाकी की महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह बनाया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
उत्तर प्रदेश के हरदोई गांव के छोटे से घर में अपना जीवन सावित्री देवी मुश्किल से अपना जीवन बिता रही थीं, लेकिन अपनी हिम्मत के दम पर सावित्री देवी लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। गृहस्थी की आग से खुद को बाहर निकालते हुए उन्होंने खुद को आर्थिक तौर पर प्रबल बनाने का फैसला लिया। सावित्री देवी ने जंगली घास, मंजू और कास से शिल्पकारी करने का फैसला लिया और खुद को इसमें प्रशिक्षित किया। इसके साथ उन्होंने स्वयं सहायता समूह का भी निर्माण किया और अपनी तरह कई महिलाओं के लिए आजीविका का जरिया बनीं।
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के संडीला तहसील क्षेत्र में कछौना ब्लाक मढ़ौरा नाम का एक छोटा-सा गांव है। सावित्री देवी इसी गांव की निवासी हैं। परिवार के विरोध में जाकर सावित्री ने खुद के परिवार को आर्थिक बल देने का फैसला किया। इसके बाद सावित्री देवी ने सरकारी योजना का लाभ लिया और खुद को प्रशिक्षित किया। उन्होंने साल 2018 में तुलसी महिला स्वयं सहायता समूह बनाया और फिर आगे बढ़ने का फैसला लिया।
सरकारी योजना की सहायता से उन्होंने हस्तशिल्प उत्पादन का प्रशिक्षण लिया और हस्तशिल्प की ट्रेनिंग ली। उन्होंने बांस और जूट का उपयोग करते हुए लॉन्ड्री बास्केट, शॉपिंग और टोट बैग, ट्रैवल पाउच, कॉस्मेटिक बैग, फाइल फोल्डर, आईपैड स्लीव, मिनी ब्रीफकेस, वेस्ट पेपर बास्केट, गिफ्ट बॉक्स, आदि चीजें बनाने का प्रशिक्षण लिया। ज्ञात हो कि इन सभी सामानों को बनाने के बाद सावित्री देवी और अन्य महिलाओं की कमाई हर दिन 5 हजार रुपए तक की होती है। खुद सावित्री देवी अन्य महिलाओं को इसे बनाने की ट्रेनिंग देती हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि सावित्री देवी का जीवन कई महिलाओं के लिए आदर्श बन गया है कि जिस तरह उन्होंने खुद को जमीन से उठाकर फलक पर पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है।