प्रयागराज के गांवों में कई सारी महिलाएं अपनी घरेलू जिम्मेदारियों से बाहर आकर व्यवसाय में जुट गई हैं। इन सारी महिलाओं में एक नाम 42 साल की शीला देवी का भी है। ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी में एक शांत बदलाव आकार ले रहा है। इसके तहत स्वयं सहायता समूह की कई सारी महिलाओं ने घरेलू सीमाओं से बाहर निकलकर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत खुद को सक्षम बनाने का जिम्मा उठाया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
प्रयागराज के गांवों में कई सारी महिलाएं सशक्तिकरण का परिचय दे रही हैं। शीला देवी भी उन्हीं में से एक हैं। यमुना नदी के पार स्थित टिकरी कंजासा गांव की निवासी शीला कई सालों से घर में रह रही थीं। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। बीएड की पढ़ाई पूरी करने का उनका सपना अधूरा रह गया। उनके पति अनुज यादव की नौकरी भी अस्थिर थी, साथ ही परिवार की जिम्मेदारी को संभालना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा था। हालांकि साल 2021 में उन्होंने खुद को उजाला महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। इस माध्यम से उन्हें 80 हजार रुपए प्राप्त हुए। इस पैसे में उन्होंने अपने पैसे जोड़कर तंबू आधारित व्यवसाय की शुरुआत की। तेजी से अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाया।
इसके बाद उन्होंने बिजली सखी के तौर पर काम करना शुरू किया। बिजली सखी के लिए उन्होंने ट्रेनिंग हासिल की और गांव में बिजली से जुड़ी समस्या को सुलझाने का कार्य शुरू किया। अपने इस कार्य को लेकर उन्होंने कहा कि मैं अपने इन दोनों काम की सहायता से साल में 12 से 15 लाख की कमाई की। शीला ने खुद को यहीं तक सीमित नहीं किया। अपने आस-पास के गावों की कई शिक्षित लेकिन गृहस्थ महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों में शामिल होने के लिए भी प्रोत्साहित किया। कई ऐसी महिलाएं हैं, जो कि बिजली सखी बन चुकी हैं। जाहिर सी बात है कि इस तरह से मिली वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण के जरिए महिलाओं को अपने सपनों को हकीकत में बदलने और खुद को आर्थिक तौर पर सक्षम बनाने का प्रबल रास्ता मिल रहा है।