भागलपुर की सुनीता ने महिलाओं को हर महीने होने वाली परेशानी के बारे में समझा है और महिलाएं गंदे कपड़े पीरियड में इस्तेमाल न करें, उनके लिए उन्होंने एक प्रयास करने की कोशिश की है। आइए जानें विस्तार से।
कौन हैं सुनीता
जाहिर-सी बात है कि इतने प्रसार और प्रचार के बावजूद पीरियड में हाइजीन को लेकर जो स्थिति है, उनमें पूर्ण रूप से सुधार नहीं हुआ है, लेकिन कुछ लोग हैं, जो इसके लिए लगातार प्रयास करने की कोशिशों में जुटे हैं, इनमें भागलपुर की सुनीता का नाम भी शामिल हैं। जी हां, बिहार के पटना के मसौढ़ी में महिलाओं खासकर महादलित बस्ती की महिलाओं को सुनीता पीरियड के दौरान हाइजीन रखने के लिए जागरूक करने में लगी हैं। वह खुद सक्रिय होकर महिलाओं और लड़कियों को सुनीता सेनेटरी पैड के इस्तेमाल के फायदे बताती हैं और इससे जुड़ीं रूढ़िवादी सोच को बदलने की कोशिशों में लगी हुई हैं। दिलचस्प बात यह है कि सुनीता ने एक सेनेटरी पैड बैंक शुरू किया है।
क्या है पैड बैंक

दरअसल, यह जो सेनेटरी पैड बैंक बना है, वह इमरजेंसी में महिलाओं और लड़कियों मदद पहुंचाने का काम करता है, इसमें बस महिलाओं या लड़कियों को बस एक रुपये ही देने होते हैं और फिर उन्हें इस बैंक से सेनेटरी पैड मिलते हैं और फिर लड़कियां और महिलाएं इसका इस्तेमाल कर पाती हैं और खुद को गंभीर बीमारियों से भी बचा पाती हैं।
गांव-गांव जागरूकता
सुनीता इस बैंक के माध्यम से गांव-गांव में जाकर सेनेटरी पैड बैंक बनाकर चर्चा का विषय महिलाओं के बीच बनी हुई हैं। वह गांव-गांव में घूम-घूमकर सेनेटरी पेटी बैंक के बारे में लोगों को जानकारी दे रही हैं और उन्हें सेनेटरी पैड के बारे में जागरूक भी कर रही हैं और दुष्प्रभाव बीमारियों के प्रति उन्हें जागरूक कर रही हैं। उन्हें अच्छी बात यह है कि काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और जिससे उनका मनोबल बढ़ा है और वह आगे भी कई महिलाओं को इस काम से जोड़ रही हैं। ऐसी कई युवा या किशोरियां लड़कियां हैं, जो सुनीता से प्रेरित होकर अब पैड्स के इस्तेमाल के फायदे को समझ रही हैं और इस्तेमाल कर रही हैं। इसलिए सुनीता की बहुत तारीफें होती रहती हैं।
भारत के अन्य ग्रामीण इलाकों में भी उठे हैं कदम
जयपुर की पैड सिस्टर्स मुफ्त में पैड उपलब्ध कराती हैं, सुहानी और पूर्वी ने यह काम शुरू किया है। वे दोनों मिल कर उन लोगों के लिए एक पैडबैंक खोला है जो हर महीने सैनिटरी नैपकिन नहीं खरीद सकते। विभिन्न संग्रह केंद्रों के माध्यम से, यह टीम सैनिटरी नैपकिन एकत्र करती है और उन्हें वंचित महिलाओं में मुफ्त में वितरित करती है। साथ ही जागरूकता बढ़ाने के लिए, यह टीम मासिक धर्म स्वच्छता जागरूकता सत्र भी आयोजित करती है। वहीं, 2012 में, जब 62 वर्षीय मीना मेहता ने चार लड़कियों को कूड़ेदान से इस्तेमाल किए हुए सैनिटरी नैपकिन उठाकर उनका दोबारा इस्तेमाल करते देखा, तो उन्हें देश में पीरियड के दौरान स्वच्छता की स्थिति का एहसास हुआ और उन्होंने इसे बदलने का फैसला किया। वह अपने पति के साथ मिलकर महिलाओं और लड़कियों को में मुफ्त में हाइजीन किट बांटती हैं।
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