उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले की रिशा वर्मा खुद पैर से दिव्यांग हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी अपनी उम्मीद को टूटने नहीं दिया है और वह मानसिक रूप से कमजोर को पढ़ा रही हैं एक विद्यालय के माध्यम से। आइए जानें विस्तार से। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले की रिशा वर्मा खुद पैर से दिव्यांग हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी अपनी उम्मीद को टूटने नहीं दिया है और वह मानसिक रूप से अस्थिर को पढ़ा रही हैं एक विद्यालय के माध्यम से। जी हां, रिशा वर्मा हमेशा से हौसले से बुलंद रहीं और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में काफी बड़ा योगदान इस लिहाज से दिया है कि उन्होंने दिव्यांग और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया है और अब तक उनके इस विद्यालय से कई बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं। बता दें कि उन्होंने रूरल इंफॉर्मेटिव एंड सोशल हार्मोनी अकादमी नाम से 1998 में इस संस्था की स्थापना की और इसका संचालन वर्ष 2001 से शुरुआत की और साथ ही उन्होंने केवल दो बच्चों से संस्था की शुरुआत की थी और वर्तमान में उनके पास से 40 से भी ज्यादा बच्चों का उद्धार हो चुका है और वह उनके जीवन को सफल बनाने का प्रयास कर रही हैं। आपको बता दें कि इस संस्था में मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के अध्यापन का कार्य किया जाता है। गौरतलब है कि 6 वर्ष से लेकर 45 वर्ष तक के मानसिक व्याधि से पीड़ित लोग अध्ययन कर रहे हैं, जिसमें सुल्तानपुर के अलावा अन्य जिलों के बच्चे भी प्रवेश लिए हैं। यहां से बच्चे पढ़ कर अपना भविष्य बेहतर करने की कोशिश में लगातार जुटे हुए है। वाकई, रिशा वर्मा शानदार काम कर रही हैं।