img
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • the strongHER movement
  • bizruptors
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
होम / एन्गेज / प्रेरणा / ट्रेंडिंग

हैंडमेड दीयों से सशक्त बनीं महिलाएं, प्रकृति को मिला उजाला

टीम Her Circle |  अक्टूबर 20, 2025

दिवाली के करीब आने के साथ ही दीपोत्सव की तैयारी भी शुरू हो जाती है। उत्तर प्रदेश के जौनपूर के ग्रामीण स्वंय सहायता समूहों की महिलाओं मे दिवाली की भावना को जीवित रखने के लिए एक खास प्रयास किया है। केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत मुस्लिम समुदाय की महिलाएं भी मिट्टी और मोमबत्ती से बने पर्यावरण के अनुकूल दीए बना रही हैं, जो कि पारपंरिक होने के साथ डिजाइन में भी मौजद हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।

पर्यावरण के अनुकूल दिवाली

यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि पर्यावरण के अनुकूल दिवाली का उत्सव मनाना बीते कई सालों से चलन में है। इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी उत्पादों की खरीदी और बिक्री पर काफी बल दिया है। उल्लेखनीय है कि महिलाओं द्वारा बनाए गए दीए स्वदेशी सामानों की उपयोगिता को बढ़ा रहे हैं और इसके साथ ही ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्तिकरण भी दे रहे हैं, जो कि समाज में उनकी मौजूदगी को मजबूत करता है। ठीक ऐसा ही कार्य मिल्की स्वयं सहायता समूह कर रहा है। 

मिल्की स्वयं सहायता समूह 

इस समूह में तकरीबन 10 से अधिक महिलाएं शामिल होकर सुबह 11 बजे से 5 बजे तक काम करती हैं। इसमें काम करने वालीं अधिकतर महिलाएं मुस्लिम समुदाय से जुड़ी हुई हैं। यह सभी महिलाएं बीते 3 साल से अधिक इस काम से जुड़ी हुई हैं। सबसे पहले इन महिलाओं ने एक हजार दीयों को बनाने से शुरुआत की। साल 2015 में महिलाएं अभी तक मुंबई और विदेशों में भी दीयों को भेज रही हैं। वर्तमान में इन महिलाओं को 15 हजार से अधिक दीयों को बनाने का आर्डर मिल चुका है। महिलाएं बिना किसी मशीन के दियों को हाथ से बनाती हैं। इन दीयों को बनाने के लिए मिट्टी, मोम और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।

ऐसे होता है दीयों को बनाने का काम

महिलाएं अन्य स्वयं सहायता समूह से कच्ची मिट्टी के दीए खरीदती हैं, इससे समुदाय की अन्य महिलाओं की भी आर्थिक सहायता होती है। इस पूरे कार्य में महिलाओं को सरकार की तरफ से एक लाख के करीब की आर्थिक सहायता भी मलती है। जिससे महिलाएं अपने काम का विस्तार कर पाती हैं। इस पूरी योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हर दिवाली के सीजन 10 हजार से अधिक की निजी कमाई कर लेती हैं, जो उनके घरेलू आय में प्रमुख योगदान देता है। यह सभी 100 प्रतिशत स्वदेशी उत्पाद हैं, जो कि गांव की महिलाओं के हाथों से बने होते हैं। इससे इनकी गुणवत्ता भी काफी बाजार में मिलने वाले दीयों से काफी अच्छी होती है। इन दीयों का सबसे बड़ी खूबी यह है कि एक दीया डेढ़ घंटे तक जलता है और इन्हें अलग-अलग 15 रुपए में या फिर 12 दीयों के पैक के रूप में 150 रुपए में बेचा जाता है। इनकी पैकेजिंग और डिजाइन भी काफी सुंदर होती है।




शेयर करें
img
लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle