उत्तर प्रदेश की चार बेटियों की प्रेरणादायक यात्रा कई युवाओं के लिए प्रेरणा बनी है। पूर्वांचल की चार बेटियों ने अपने सपने को साकार करने की एक प्रेरणादायक कहानी लिखी है। उन्होंने लगातार कड़ी मेहनत से अपनी किस्मत बदली है और कई युवा लड़कियों के लिए सफलता की नई राह दिखाई है। हम बात कर रहे हैं पूर्वांचल के बनारस जिले की चार हैंडबॅाल महिला खिलाड़ियों के बारे में। आइए जानते हैं विस्तार से।
जानें लड़कियों के नाम
नैना, प्रीति, शताक्षी और कोमल अंडर-15 और अंडर-18 टीमों में खेलेंगी। इन चारों ने 20 से अधिक राज्य और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेल चुकी हैं। इन सभी ने साथ मिलकर काम करते हुए आठ पदक अपने नाम किए हैं। टीम की शीर्ष खिलाड़ियों ने बताया कि कैसे उनकी जिंदगी इस खेल प्रतियोगिता के बाद पूरी तरह से बदल गई। इन सभी ने एक गरीब परिवार से होने के बाद भी कभी-भी अपने सपने से खुद को पीछे नहीं किया। कभी हार नहीं मानी। नैना कहती हैं कि इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं है। उनके घर की स्थिति काफी खराब रही है। संसाधनों की कमी के बाद भी इन सभी लड़कियों ने अपने हुनर को निखारा है और इससे दूसरे उभरते हुए खिलाड़ियों को प्रेरणा मिल रही है। अपनी प्रतिभा को पूरा होते हुए देखकर
सपनों को कभी पीछे नहीं छोड़ा
शताक्षी का कहना है कि जब उन्होंने हैंडबॅाल को करियर के तौर पर चुना, तो उनके परिवार और समाज ने उन्हें खूब ताने मारे। यहां तक कि घर के अधिक खर्च उनके अभ्यास में बाधा भी डाल रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को कभी पीछे नहीं छोड़ा। कोमल कहती हैं कि रोजाना अपने गांव से मैदान तक 10 किलोमीटर साइकिल चलाने के बाद सुबह 6 बजे मैदान पहुंच जाती हैं और फिर 9 बजे तक अभ्यास करने के बाद फिर दोपहर में पढ़ाई करती हैं। शाम को कसरत करने के बाद घर जाती हैं।
बच्चों को निशुल्क खेल प्रशिक्षण
ऐसा माना जा रहा है कि यह पहला अवसर है जब ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले परिवार की चार बेटियों का राष्ट्रीय शिविर के लिए चयन हुआ है। यह बेटियां वाराणसी स्थित एक खेल अकादमी में अभ्यास करती हैं, जो बच्चों को निशुल्क खेल प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। आर्थिक तौर से कमजोर पृष्ठभूमि से होने के बावजूद भारत के लिए पदक जीतने की उनकी महत्वाकांक्षा ने उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ने में मदद की है।