उत्तर प्रदेश की सरकार ने डिजिटल साक्षरता अभियान पर ध्यान केंद्रीत हुए दिव्यांग महिलाओं को सशक्त बनाने का कार्य कर रही हैं। इससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा रहा हैं। उत्तर प्रदेश में दिव्यांग महिलाओं के लिए शुरू किया गया अभियान उनके जीवन को नई दिशा दे रहा है। दिव्यांग महिलाओं के लिए केंद्र सरकार के सुगम्य भारत अभियान और डिजिटल इंडिया की संयुक्त गति ने दिव्यांगजनों खासतौर पर महिलाओं के विकास में महत्तवपूर्ण योगदान दिया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
उत्तर प्रदेश सरकार लगातार डिजिटल साक्षता अभियान के चलते बीते कई सालों से दिव्यांग महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर रही हैं। साल 2017 से पहले रोजगार के सिलसिले में दिव्यांगजनों को 3 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा था। साल 207 के बाद इसे बढ़ाकर 4 प्रतिशत बढ़ा हुआ आरक्षण लागू किया गया है। इससे यह हुआ है कि महिलाओं को पर्याप्त भागीदारी के साथ 3 लाख से अधिक रोजगार के अवसर प्रदान हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत राज्य में 4 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया है, जिससे सभी दिव्यांगजनों और खासतौर पर महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय बढ़त हुई है। इसके फलस्वरूप 3 लाख से अधिक सरकारी नौकरियों की बढ़त हुई है, यह अपने आप में एक रिकॅार्ड है। इसके अलावा राज्य सरकार सभी विकलांग व्यक्तियों के लिए 1403 विशेष विद्यालय भी संचालित कर रही है, जिनमें 50 प्रतिशत नामांकन लड़कियों का है। इस विशेष विद्यालय में कंप्यूटक, मोबाइल एप्लिकेशन और ऑनलाइन लर्निंग जैसे डिजिटल कौशल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2026 तक सभी दिव्यांग महिलाओं को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है।