मोरिंगा यानी कि सहजन सेहत के लिए सबसे अधिक लाभकारी माना जाता है। प्रोटीन का खजाना मोरिंगा को माना जाता है। ऐसे में बीते कुछ सालों से मोरिंगा की मांग बाजार में बढ़ी है। इसे ही देखते हुए उत्तर प्रदेश की डॅा. कामिनी सिंह ने मोरिंगा आर्मी की शुरुआत की है। डॅा. कामिनी सिंह ने अपनी इस आर्मी से ग्रामीण महिलाओं को जोड़ने का प्रयास किया है। डॅा. कामिनी सिंह ने एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड योजना के तहत अपने इस कार्य को आगे बढ़ाने का कार्य शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
उत्तर प्रदेश की महिला किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मोरिंगा आर्मी की अहम भूमिका रही है। इस मोरिंगा आर्मी के जरिए कामिनी सिंह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा भर दी है। कामिनी सिंह ने एफपीओ के जरिए एक हजार से अधिक महिला किसानों को अपनी मोरिंगा आर्मी से जोड़ा है। उन्होंने महिलाओं को मोरिंगा यानी कि सहजन की खेती के लिए भी प्रेरित किया है।
उल्लेखनीय है कि एफपीओ की अधिकतम सदस्य महिलाएं हैं। इस वजह से महिला किसानों को सहजन की खेती की अहमियत को समझने में भी सहलूयित मिल रही है। एफपीओ की महिलाएं सहजन की खेती के साथ-साथ उसकी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग भी करती है। ज्ञात हो कि डॅा. कामिनी सिंह ने खुद का कारोबार शुरू करने के लिए सरकारी नौकरी को छोड़ दिया है। इससे पहले कामिनी लखनऊ की एक संस्था में वैज्ञानिक के तौर पर नौकरी करती थीं। इस दौरान उनकी रुचि खेती के लिए बढ़ी और उन्होंने इसके बाद 2015 में मोरिंगा की खेती पर रिसर्च करना शुरू किया और इसी दौरान उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। इस बीच किसानों से संपर्क करने के लिए कामिनी सिंह किसानों से जुड़ी हुई कंपनी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनीं और फिर कई किसानों से संपर्क साधा।
साल 2017 में मोरिंगा कारोबार की शुरुआत
साल 2017 में कामिनी सिंह ने मोरिंगा के कारोबार की शुरुआत की। उन्होंने मोरिंगा खेती का काम शुरू किया। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की। कामिनी का मानना रहा है कि मोरिंगा की पत्तियों से लेकर जड़ तक में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। इसके अर्क का इस्तेमाल एंटी कैंसर,एंटी- इंफ्लेमेटरी और एंटी डायबिटिक जैसे कई सारे गुण पाए जाते हैं। इसके बाद कामिनी ने साल 2019 में एक संस्था बनाई और अपने काम को बड़ा आकार देने का फैसला किया। कामिनी ने किसानों के साथ मिलकर मोरिंगा के साथ कई सारे प्रयोग किए। उन्होंने मोरिंगा पाउडर, साबुन, तेल, कैप्सूल आदि बनाना शुरू किया। अपने इस काम के दौरान कामिनी ने आईआईटी बीएचयू में एक एग्री- बिजनेस इनक्यूबेटर के बारे में सुना और आवेदन किया। अपने इस प्रोजेक्ट को पेश करने पर उन्हें 25 लाख का अनुदान मिला और इससे उन्होंने अपने इस कारोबार को आगे बढ़ाया। वर्तमान में कामिनी मोरिंगा के जरिए 2 करोड़ से अधिक की कमाई कर रही हैं।