आपके जीवन की सबसे बड़ी पूंजी यही है कि आपको जीवन में किसी पर भी आश्रित नहीं रहना पड़े। इसी सोच के साथ महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं, अनीता गुप्ता। इन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के एकमात्र लक्ष्य के साथ अपना एनजीओ भोजपुर महिला कला केंद्र शुरू किया है। आइए जानते हैं विस्तार से।
बिहार के आरा जिला की रहने वालीं अनीता गुप्ता, महिलाओं के लिए शानदार तरीके से काम कर रही हैं और उन्हें आत्म-निर्भर बनाने के लिए कई ठोस कदम उठा रही हैं। लेकिन उनके लिए यह सफर आसान नहीं रहा था, क्योंकि उन्हें पूरी तरह से अपने परिवार का सपोर्ट नहीं मिला था। लेकिन अनीता ने तय किया कि वह किसी भी हाल में अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ेंगी और बच्चों को और खासतौर से लड़कियों की शिक्षित करेंगी। बता दें कि अनीता गुप्ता ने एनजीओ भोजपुर महिला कला केंद्र की शुरुआत की, उन्होंने वर्ष 2000 में इसे संचालित करना शुरू किया था। उन्होंने शुरुआत में खुद सिलाई, कढ़ाई और ऐसे कई काम में खुद को निपुण किया, ताकि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी न हो और वह खुद को आर्थिक रूप से किसी पर भी निर्भर न बनाएं। खुशी की बात यह है कि उन्होंने अपने एनजीओ भोजपुर महिला कला केंद्र (बीएमकेके) के साथ, अब तक एक लाख महिलाओं को हस्तशिल्प बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण देकर सशक्त बना लिया है, जिनमें से लगभग 10 हजार महिलाएं अब आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं। वर्ष 1993 में, अपने दो छात्रों के साथ, उन्होंने BMKK का विज्ञापन करते हुए एक बोर्ड लगाया, ताकि अधिक महिलाओं को ये कौशल मुफ्त में सीखने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। महिलाओं को अपने साथ शामिल करने के लिए और उन्हें समझाने में काफी वक्त लगता था। शुरुआत में उन्हें रोकने के लिए उनके परिवार वालों ने कई बार उनके बोर्ड को भी नष्ट किया, कई बार डराया धमकाया भी। लेकिन अनीता डरी नहीं। उन्होंने सबसे पहले तो अपनी कम्पनी रजिस्टर की और एक लाख से ज्यादा महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई और आभूषण बनाने और हाथ की कठपुतलियां , मुलायम खिलौने, गुड़िया वगैरह जैसी हस्तशिल्प चीजें बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया और वह भी मुफ्त में। फिर धीरे-धीरे कई प्रदर्शनी का भी हिस्सा बनीं। और इस तरह उनके काम को एक आकार मिला और नयी पहचान बनीं। इसलिए अनीता मानती हैं कि जीवन में बेहद जरूरी है कि आत्मनिर्भर बनें और वह अपनी साथी महिलाओं को भी यही सिखाने की कोशिश कर रही हैं। गौरतलब है कि लगभग 6,000 महिलाओं ने हस्तशिल्प विभाग से कारीगर पहचान पत्र भी प्राप्त कर लिए हैं और अब वे सभी हस्तशिल्प मेलों और सरकारी आयोजनों में अपने उत्पाद निःशुल्क बेच सकती हैं। इन कार्डों से महिलाओं के लिए अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण लेना भी आसान हो गया है।