बिहार में जैविक खेती महिला किसानों की आजीविका बन गई है। जी हां. आत्मनिर्भरता और खेती के संगम के साथ अंजू कुमारी ने नवरात्रि के मौके पर नारी शक्ति का परिचय दिया है। अंजू कुमारी कई महिला किसानों के लिए प्रेरणा बन गईं हैं। खासकर उन महिलाओं के लिए जो कि खेती के आधार पर अपना जीवन यापन करती हैं। अंजू कुमारी ने यह साबित किया है कि किस तरह कृषि प्रधान देश में रहकर कृषि से खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत किया जा सकता है और खुद को राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा कर खुद का नाम इतिहास में दर्ज कराया जा सकता है। आइए जानते हैं विस्तार से।
अंजू कुमार की उपलब्धि

हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अंजू कुमारी को राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया गया। इसके पीछे की वजह यह है कि उन्होंने जैविक खेती को एक नया आकार दिया है। उन्होंने रसायन-मुक्त खाद्य क्रांति की शुरुआत करते हुए भारत में जैविक खेती के आंदोलन का नेतृत्व बखूबी किया है। इसके चलते उन्होंने देश में अपनी पहचान भी स्थापित की है। शादी से पहले अंजू की खेती में दिलचस्पी हमेशा से रही है, लेकिन शादी के बाद उन्होंने अपनी इस ख्वाहिश को पूरा किया और जैविक खेती को अपने जीवन में प्राथमिकता दी। 13 साल तक खेती में कड़ी मेहनत करने के बाद आज उन्हें जैविक खेती के क्षेत्र में एक नाम कमाया है।
ढाई एकड़ जमीन
अंजू ने अपनी खेती के शुरुआत ढाई एकड़ जमीन पर की थी। शुरुआत में यह उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन खेती को उन्होंने हमेशा गंभीरता से लिया। अंजू ने खेती में कुछ अलग करने का सोचा और जैविक खेती करने का फैसला लिया। गोबर की खाद, नीम की खली और प्राकृतिक तरीकों से इस्तेमाल करके उन्होंने खेती को प्राथमिकता दी और दूसरे किसानों को भी जैविक खेती के तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
बाजरा, मशरूम, केला और पपीता की खेती

अंजू ने खेती में मुख्य फसलों से हटकर बाजरा, मशरूम, केला और पपीता की खेती की। इन सभी की सफलतापूर्वक खेती करने के बाद अंजू ने सरसों, तिल, अलसी और रामतिल की खेती की और उससे तेल, खली, लड्डू बनाने के साथ सौंदर्य से जुड़े उत्पाद भी बनाने का कार्य शुरू किया। उल्लेखनीय है कि जैविक खेती से जुड़ा सारा कार्य अंजू खुद करती हैं।
अलसी और तिल की खेती

इतना ही नहीं अंजू को जब अलसी और तिल के पोषक तत्वों के बारे में पता चला, तो उन्होंने मौसम और मिट्टी के अनुसार वैज्ञानिक तरीकों से इनकी खेती शुरू कर दी। वर्तमान में कई लोग अंजू से जैविक खेती का प्रशिक्षण लेने भी आते हैं और खेती से जुड़ी चीजों पर सलाह लेते हैं। विदित हो कि अंजू का मानना है कि खेती शिक्षित या अशिक्षित लोगों के लिए नहीं है ृ,यह एक हुनर है जो आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करती है।
बिहार में महिलाएं कर रही हैं जैविक खेती
यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि बिहार में कई महिलाएं जैविक खेती अपनाकर खुद के साथ समाज को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं। अंजू कुमारी के अलावा, गुंजन देवी और राजकुमारी देवी जैसी महिला किसान गोबर और अन्य जैविक सामग्री की खाद बनाकर जैविक खेती को प्राथमिकता दे रही हैं और इसकी लोकप्रियता भी बढ़ा रही हैं। यह सभी महिलाएं जीविका जैसे स्वयं सहायता समूहों से भी जुड़ी हुई हैं। जैविक खेती के जरिए महिलाएं आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ जैविक खेती के जरिए रासायनिक खादों और कीटनाशकों के बिना खेती करके सेहतमंद उत्पाद समाज को दे रही हैं।