कई साल पहले मोबाइल लग्जरी का हिस्सा बना। जहां पर मोबाइल फोन की जगह लोग टेलीफोन का इस्तेमाल करते थे। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में एक के घर मोबाइल फोन या फिर टेलिफोन से कई घरों के लोग अपने से दूर रहने वाले लोगों से संवाद करते रहे हैं। लेकिन ग्रामीण इलाकों में हालात अभी-भी इसी तरह बरकरार दिखाई दे रहे हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के सर्वेक्षण यानी कि एनएसओ के डेटा अनुसार यह सामने आया है कि 51 प्रतिशत महिलाओं के पास मोबाइल फोन की सुविधा नहीं है। आइए जानते हैं विस्तार से।
कुछ समय पहले एनएसओ ने एक डाटा जारी किया। इसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली लगभग आधी महिलाओं के पास मोबाइल फोन नहीं है। डाटा के आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 15 साल से अधिक और उससे अधिक आयु वर्ग की 51.6 प्रतिशत महिलाओं के पास मोबाइल फोन नहीं है, जबकि 80.7 प्रतिशत पुरुषों के पास मोबाइल फोन नहीं है। इस बीच, शहरी क्षेत्रों में 71.8 प्रतिशत महिलाओं के पास मोबाइल फोन हैं और 91 प्रतिशत के करीब पुरुषों के पास मोबाइल डिवाइस है। ग्रामीण क्षेत्रों के इन आंकड़ों से इस बात की जानकारी मिलती है कि महिलाओं और पुरुषों के बीच मोबाइल ओनरशिप के मामले में लगभग 32 प्रतिशत के करीब का अंतर है।
इस मामले पर अधिक रोशनी डाली जाए, तो ग्रामीण इलाकों में 15 से 24 आयु वर्ग में 95 प्रतिशत महिलाएं फोन का इस्तेमाल करती है, लेकिन 51 प्रतिशत के पास ही मोबाइल फोन है। इस आयु वर्ग के 98 प्रतिशत पुरुष फोन का इस्तेमाल करते हैं। बाकी के 75 प्रतिशत के पास मोबाइल फोन है। ज्ञात हो कि यह सर्वे एक योजना के तहत की गई है। इसमें सबसे पहले मोबाइल फोन की ओनरशिप का होना है। यानी कि मालिक के पास ऐसा मोबाइल है, जिसका इस्तेमाल वो खुद करते हैं। इसमें वो फोन भी शामिल है, जो आपकी कंपनी ने दिए हों, जो आपके नाम पर रजिस्टर्ड न हो। अगर एक मोबाइल फोन दो लोग इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसे जॉइंट ओनरशिप नहीं माना जाएगा। इसके अलावा किसी के पास सिम कार्ड नहीं है और मोबाइल फोन है, तो उसे भी मोबाइल का ओनर नहीं माना जाएगा।