एक सकारात्मक बदलाव के तहत झारखंड के खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड की महिलाओं ने मशरूम की खेती के जरिए खुद के लिए कमाई का नया जरिया शुरू किया है। इससे पहले यह सभी महिलाएं घर के कामों में या फिर खेती में अपने पतियों की मदद किया करती थीं। इसके बाद उन्होंने जिला प्रशासन की मदद से आयस्टर मशरूम की खेती कर रही हैं और खुद को बिजनेस बन गई हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
उल्लेखनीय है कि आजीविका के अवसरों की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहर में भी लोग बड़े पैमाने पर पलायन कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए स्वरोजगार ही एकमात्र उपाय है। इसका असर ग्रामीण इलाकों में अधिक देखा जा रहा है। लेकिन, झारखंड के खूंटी जिले में बदलाव की बयार बह रही है और इस बार इसकी अगुवाई महिलाएं कर रही हैं।
मुरहू की महिलाएं किसान बन गई हैं और खुद को मशरूम की खेती के जरिए आर्थिक तौर पर प्रबल बना रही हैं। साल 2014 बैच के आईएएस अधिकारी शशि रंजन के कुशल नेतृत्व में जिला प्रशासन उन्हें प्रोत्साहित करने और उनकी मदद करने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रहा है। इसके चलते 400 सखी मंडलों की महिला किसानों को 16 हजार मशरूम बैग प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा, उन्हें मशरूम की खेती पर 5 दिवसीय पंचायत स्तरीय प्रशिक्षण भी दिया गया है।
साथ ही अगर किसी भी महिला को मदद की आवश्यकता है, तो उन्हें भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस पूरी योजनाा के जरिए मशरूम की खेती के जरिए महिलाओं को उनके अपने घरों में ही आजीविका का एक वैकल्पिक अवसर प्रदान किया गया है। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि गांव में आजीविका के सीमित विकल्पों के बावजूद, मशरूम की खेती ने आय बढ़ाने का एक नया रास्ता खोल दिया है, क्योंकि इसका बाजार पहले से तैयार है।