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प्रेरणा

मेरी जिंदगी की असली आमदनी यही है कि मेरी मेहनत से मैंने मेरे परिवार की जीविका कमायी : उर्मिला जमनादास असर

अनुप्रिया वर्मा |  जुलाई 14, 2023

रिटायरमेंट हो गयी, अब बस और क्या आराम करना है, अब तो सब कुछ देख लिया है, अब बस आराम कीजिए। दिन काटने के लिए बागवानी क्यों नहीं कर लेती हैं, पोतों और नाती के साथ खेलिए, एक उम्र के बाद ये सारी नसीहतें देने वालों को एक बार उर्मिला जमनादास असर उर्फ गुज्जू बहन की जिंदगी से जरूर वाकिफ होने की कोशिश करनी चाहिए, जिन्होंने अपनी जिंदगी की ‘नयी शुरुआत’ की है, वह भी 77 वर्ष की उम्र में। हाल ही में वह टीवी शो मास्टर शेफ में भी नजर आयीं। उन्होंने अपने इस सफर के बारे में Her Circle से खास बातचीत की है, पेश है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश। 

फर्ज कीजिए, आपने सोशल मीडिया पर एक प्रोफाइल ओपन किया है, जहां आपको सिर्फ और सिर्फ जिंदगी को सकारात्मक तरीके से जीने वाली एक जिंदादिल इंसान नजर आ रही हैं, जो कभी पतंगें उड़ाती हुईं नजर आती हैं, तो कभी सब्जी खरीदते हुए, तो कभी खूब मुस्कुराती हुईं नजर आएंगी, मुमकिन है कि आपके जेहन में एक जो छवि बनेगी, वह किसी युवा लड़की की बने, जो जिंदादिली से जीना पसंद करती हैं। लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी कि हम यहां 80 वर्षीय उर्मिला जमनादास असर उर्फ गुज्जू बेन की बात कर रहे हैं, जिन्होंने ऐसी उम्र में आकर काम अपने पैशन को नए रंग से भरा है, 70 की उम्र पार करने पर वह उद्यमी बनी हैं और अपने हाथों से बना खाना खिला कर सब पर अपना जादू चला रही हैं। हालांकि उनके लिए अपने पैशन के साथ जीना इतना आसान भी नहीं रहा। 

गुज्जू बेन मानती हैं गॉड गिफ्टेड हैं उनकी कला 

उर्मिला मुंबई शहर के प्रार्थना समाज रोड पर बने केएन भाटिया चॉल में रहती हैं, वे मुख्य रूप से गुजराती नाश्ता बनाती हैं। वह बताती हैं कि उनके लिए जिंदगी इतनी आसान नहीं रही थी। वह कहती हैं, ‘’मुझे बचपन से ही खाना बनाने में काफी रुचि रही है। बचपन में भी मैं कुछ न कुछ मां के साथ बनाती रहती थी। मेरे परिवार के लोग हमेशा मेरे खाने की तारीफ करते थे। मैं तब भी कुछ न कुछ नाश्ता बना कर रखा करती थी और ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि मैंने कुछ बनाया हो और किसी को पसंद नहीं आया हो, किसी-किसी के हाथों में काफी यश रहता है, मुझे भगवान ने शायद वही यश दे रखा है। 

जिंदगी हमेशा से गुलजार नहीं गुज्जू बेन की 

उर्मिला अपनी जिंदगी की कहानी बताती हैं, मैं काफी अच्छे परिवार से रही, कभी मुझे किसी चीज की कमी नहीं हुई, लेकिन शादी के बाद, मैं यह भी नहीं सोचती थी कि अरे कहां चली आई हूं, क्योंकि हमारे जमाने में 17 साल की उम्र में शादी कर देते थे और यही देखते थे कि परिवार खानदान कैसा है, तो इस तरह मेरी शादी हो गयी। लेकिन शादी के बाद बहुत कठिन परिस्थिति रही, 23 साल की उम्र तक मेरे तीन बच्चे हो गए थे, तो सारा समय तो इसी में उनके पालन-पोषण पर रहा, मैं क्या कर सकती हूं या करना चाहती हूं, यह सोचने का का मौका नहीं मिला। 

फिर वह आगे कहती हैं “ मेरे घर के हालात कभी भी अच्छे नहीं थे, इस वजह से मुझे कई लोगों के घर में खाना बनाने जाना होता था, लेकिन मुझे इसे करने में कोई शर्म नहीं आती थी, क्योंकि मैं उनकी रेसिपी से भी बहुत कुछ सीखती थी, मुझे ट्रेडिशन को लेकर चलना अच्छा लगता था। तो मैं वहां से उनके ट्रेडिशन की रेसिपी लेकर आती थी और फिर उसे घर में आकर बनाने की कोशिश करती थी और इस तरह से मैंने काफी कुछ नया सीख किया। वह बताती हैं कि उनके तीन बच्चों की मृत्यु हो गयी थी, शादी के कुछ सालों बाद ही एक दुर्घटना में उनकी बेटी की मृत्यु हो गयी। फिर ब्रेन ट्यूमर की वजह से उनके बड़े बेटे की मौत हो गयी और फिर उनके एक और बेटे की मृत्यु हुई। जाहिर है, उन्हें यह दर्द आज भी सालता है। लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है। वह अपने पोते हर्ष को ही अपनी ताकत मानती हैं, जिनके साथ उन्होंने अपने नाश्ते, अचार और कई खाद्य पदार्थ बनाने और फिर इसका व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। उर्मिला कहती हैं कि उन्हें एम्ब्रोडरी भी आती थी, वह कहती हैं कि उनके पति ने उनका सपोर्ट किया, हालांकि उन्हें कोई अपेक्षा नहीं होती, बस दोनों की कोशिश होती थी कि दोनों कमा कर अच्छे से घर की जिम्मेदारी को पूरी करें। उर्मिला कहती हैं कि मेरे सास, देवर, उनके बच्चे और सभी परिवार को हम दोनों ने ही चलाया। उर्मिला कहती हैं कि मुझे इस बात का फक्र है कि मैंने मेरे परिवार के लिए कुछ किया। उनकी सबसे अच्छी बात यह है कि वह नए जमाने के साथ कदमताल करके चलना चाहती हैं। वह नए प्रयोग करना चाहती हैं, नए डिशेज भी सीखने की कोशिश करना चाहती हैं। 

और हुई एक नयी शुरुआत 

उर्मिला बताती हैं कि उनके पोते हर्ष के साथ भी एक दुर्घटना हुई, जिसमें उन्हें गंभीर चोट आयी, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और तय किया कि एक व्यवसाय की शुरुआत करेंगे। कोरोना काल में आर्थिक स्थिति बिगड़ी, तो उर्मिला ने नाश्ता बनाना शुरू किया और हर्ष ने इसकी मार्केटिंग शुरू की। अचार की खूब बिक्री हुई और फिर धीरे-धीरे Gujju ben na nasta ( गुज्जू बेन न नाश्ता) एक ब्रांड बन गया। यह एक होम मेड और सेल्फ मेड स्टार्ट अप है, जहां वे कई तरह के नाश्ते बनाती हैं और फिर ऑनलाइन इसकी बिक्री होती है। खास बात यह है कि मुंबई से बाहर भी इसकी बिक्री होती है। इनकी डिमांड इतनी बढ़ गई है कि एक साल में ही 45 लाख तक की कमाई इन्होंने कर ली है। 

मास्टर शेफ का सफर 

उर्मिला बताती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें मास्टर शेफ जैसे शोज में आने का मौका मिलेगा, उन्होंने इस शो के बारे में सुना था, लेकिन उन्हें कभी नहीं लगा था कि मौका मिलेगा। वह कहती हैं कि हर्ष ने ही कहा कि दादी चलते हैं न, नहीं भी होगा तो क्या हुआ, घूम कर आएंगे। तो मैं गयी। वहां मुझे सारे शेफ ने जो तारीफ की, मुझे बेहद खुशी मिली। यह एक बड़ा चैलेंज था कि वहां सबके सामने कुछ बना पाऊं, क्योंकि वहां सबकुछ उपलब्ध नहीं थी सामग्री, तो मौजूद सामग्री में भी मैंने जो बनाया, वो मुझे मेरी कामयाबी लगी।

*Image courtsey : Sony TV @gujjubenanasta instagram

 

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