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कल्पना सरोज के 2 रूपये की मजदूर से 2000 करोड़ की मालकिन बनने का सफर

टीम Her Circle |  जनवरी 22, 2025

इसमें दो राय नहीं कि किस्मत भी उन्हें ही आजमाती है, जो उसे चुनौती देते हैं और फिर वही रचते हैं इतिहास। ऐसा ही एक इतिहास रच चुकी हैं कमानी ट्यूब्स की चेयरपर्सन कल्पना सरोज। आइए जानते हैं महाराष्ट्र के अकोला के एक छोटे से गांव रोपरखेड़ा में जन्मीं कल्पना सरोज की मिडास टच कहानी। 

12 वर्ष की उम्र में हुई घरेलू हिंसा का शिकार

image courtesy: @bollywoodshaadis.com

बचपन से ही पढ़ने लिखने की शौकीन कल्पना सरोज का जन्म 1961 को महाराष्ट्र के अकोला के रोपरखेड़ा नामक गांव में एक दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता यूं तो पुलिस कॉन्स्टेबल थे, लेकिन पत्नी के साथ पांच बच्चों की जिम्मेदारी होने के कारण आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी। 5 भाई बहनों में सबसे बड़ी कल्पना सरोज का पढ़ाई-लिखाई का सपना तब टूट गया, जब महज 12 वर्ष की उम्र में उनका विवाह उनसे 10 वर्ष बड़े लड़के से करके उन्हें मुंबई भेज दिया गया। एक छोटे से गांव से मुंबई की झुग्गी में शादी करके आई कल्पना के लिए इतने बड़े शहर में आना बहुत बड़ी बात थी, लेकिन उनकी यह खुशी भी ज्यादा दिन नहीं रह सकी। 12 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही शादी के बाद मुंबई आई कल्पना पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब छोटी-छोटी बातों पर अपने घर वालों के साथ मिलकर उनके पति उन पर शारीरिक अत्याचार करने लगे।

परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए की आत्महत्या की कोशिश 

अपने घरवालों से इतनी दूर रह रही कल्पना को समझ नहीं आ रहा था, कि वे क्या करें लेकिन सौभाग्य से शादी के छः महीने बाद कल्पना से मिलने मुंबई पहुंचे उनके पिता ने जब उनकी हालत देखी तो वे भी रोने लगे। रोती-बिलखती कल्पना को इस हालत में देखकर और उनसे पूरी कहानी सुनकर वे कल्पना को अपने साथ घर ले आए लेकिन गांव आने के बाद उनकी परेशानियां खत्म होने की बजाय और बढ़ गईं। ग्रामीण समाज को एक शादी-शुदा लड़की का अपने मायके आकर रहना इस कदर अखर रहा था कि उन्होंने पंचायत बुलाकर उनके घरवालों को समाज से बाहर कर दिया। अपनी वजह से अपने घरवालों पर गिरी गाज को देखते हुए कल्पना ने अपनी जान देने की भी कोशिश की, लेकिन अफसोस उसमें भी असफल रहीं। बकौल कल्पना, उन्हें लगा कि यदि इतनी मुश्किल परिस्थितियों में भी वे बच गई हैं, तो जरूर उन्हें किसी बहुत बड़े काम के लिए चुना गया है। 

2 रूपये की मजदूरी से शुरू किया काम

image courtesy: @bollywoodshaadis.com

अपने मजबूत आत्मविश्वास और बुलंद हौंसलों के साथ उन्होंने एक बार फिर से शुरुआत करने की ठानी और मुंबई आ गईं। मुंबई आकर उन्होंने एक गारमेंट फैक्ट्री में 2 रूपये की मजदूरी से काम शुरू किया। इसी दौरान पैसों की तंगी के कारण उचित स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में उनकी छोटी बहन की मृत्यु हो गई। इस मानसिक आघात से कल्पना सरोज को एक बार फिर धक्का लगा था, लेकिन इससे टूटकर बिखरने की बजाय उन्होंने अपने साथ अपने पूरे परिवार के लिए एक बहुत बड़ा फैसला किया। किसी तरह सिलाई मशीन खरीदकर उन्होंने खुद लोगों के कपड़े सिलने शुरू किए और देखते ही देखते अपना बुटीक खोल लिया। 22 वर्ष की उम्र में जब उन्हें लगा कि वे आर्थिक रूप से थोड़ी मजबूत हो चुकी हैं, तो उन्होंने एक फर्नीचर बिजनेस शुरू करने के साथ ही एक स्टील व्यापारी समीर सरोज से दूसरी शादी कर ली। हालांकि वर्ष 1989 में ही उनके पति सरोज का निधन हो गया और वे अपनी 2 वर्षीय बेटी सीमा सरोज और 4 वर्षीय बेटे अमर सरोज के साथ अकेली रह गईं। हालांकि इस वक्त तक कल्पना सरोज मुंबई का एक बहुत बड़ा नाम बन चुकी थीं।   

इस तरह बनीं कमानी ट्यूब्स की चेयर पर्सन   

अपनी राह में आनेवाली हर चुनौतियों से लड़नेवाली कल्पना सरोज ने वर्ष 2000 में एक ऐतिहासिक फैसला लिया, जिसने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। दरअसल 17 सालों से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स कंपनी को सुप्रीम कोर्ट ने मालिकों के हाथ से लेकर कर्मचारियों को सौंप दिया था। ऐसे में पहले से ही अपने बिजनेस स्किल के लिए पहचानी जानेवाली कल्पना सरोज से उन कर्मचारियों ने मिलकर कंपनी को अपने हाथों में लेने की गुहार लगाई। अपनी तरह बेबस कर्मचारियों को देखकर कल्पना सरोज ने एक और जोखिम उठाने का फैसला कर लिया। उन्होंने न सिर्फ उस कंपनी से जुड़े सारे विवाद खत्म करवाए, बल्कि सारे कर्ज का निपटारा भी करवाया। उनकी कोशिशों को देखते हुए वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कमानी ट्यूब्स की कमान कल्पना सरोज को सौंप दी और कल्पना सरोज ने दो दशक से बंद पड़ी कंपनी को न सिर्फ शुरू किया, बल्कि देश की बड़ी कंपनियों में लाकर खड़ा कर दिया। 2 रूपये की मजदूरी से 2000 करोड़ की मालकिन बनने का सफर पूरा कर चुकी कल्पना सरोज आज कमानी ट्यूब्स की चेयरपर्सन होने के साथ-साथ कमानी स्टील्स, कल्पना बिल्डर एंड डेवेलपर्स और केएस क्रिएशंस जैसी कई कंपनियों की मालकिन भी हैं। 

बिजनेस के हर रंग से हैं वाकिफ

image courtesy: @bollywoodshaadis.com

बिजनेस के अलावा रियल एस्टेट और फिल्म निर्माण में हाथ आजमा चुकीं कल्पना सरोज की बुद्धिमत्ता और मैनेजमेंट नॉलेज को देखते हुए वर्ष 2013 में पद्मश्री और राजीव गांधी रत्न के साथ-साथ देश-विदेश में कई अवार्ड्स भी दिए जा चुके हैं। सिर्फ यही नहीं भारत सरकार द्वारा भारतीय महिला बैंक के निदेशक मंडल और भारतीय प्रबंधन संस्थान में भी वे महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं।

Lead image courtesy: @hindi.thebetterindia.com

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