भारतीय महिला टीम की चर्चा अभी पूरे विश्व में हो रही है। हो भी क्यों न उन्होंने वर्ल्ड कप 2025 जीत कर एक नया इतिहास रचा है। लेकिन इस जीत के पीछे हर एक खिलाड़ी की अपनी जंग, अपना संघर्ष रहा है। आइए जानते हैं विस्तार से।
हरमनप्रीत कौर
हरमनप्रीत कौर एक अग्रणी क्रिकेटर हैं जो बिग बैश लीग और किआ सुपर लीग में खेलने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं। वह अपनी आक्रामक बल्लेबाजी और बड़े मैचों में प्रदर्शन के लिए जानी जाती हैं, जिसमें वर्ष 2018 विश्व कप में टी20 शतक और वर्ष 2017 के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ महिला विश्व कप नॉकआउट मैच (171) में सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर बनाना शामिल है। क्रिकेट से इतर अगर बात करें, तो वह भारतीय रेलवे से स्नातक हैं और पंजाबी संगीत की प्रशंसक हैं। उनके बारे में एक खास बात यह भी है कि वह एक जोड़ी दस्तानों का इस्तेमाल तब तक करती हैं, जब तक वे घिस न जाएं, जैसा कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 रन की रिकॉर्ड पारी के दौरान किया था। बता दें कि पंजाब के मोगा में जन्मीं हरमनप्रीत बचपन से ही वीरेंद्र सहवाग को अपना आदर्श मानती थीं और उनकी आक्रामक बल्लेबाजी शैली को अपनाने का सपना देखती थीं। उनके पिता, हरमंदर सिंह भुल्लर, उनके पहले कोच थे, जिन्होंने उन्हें ऐसे क्षेत्र में क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया, जहां महिलाओं के खेलों के लिए बुनियादी ढांचा बहुत कम था।
अच्छी तरह से प्रशिक्षण लेने के लिए, वह अक्सर अपनी अकादमी पहुंचने के लिए रोजाना 30 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करती थीं, जो उनके शुरुआती दृढ़ संकल्प का प्रतीक था। बहुत कम लोग जानते हैं कि हरमनप्रीत किसी विदेशी टी20 फ्रैंचाइजी द्वारा अनुबंधित होने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर थीं। वर्ष 2016 में, वह ऑस्ट्रेलिया की महिला बिग बैश लीग (WBBL) में सिडनी थंडर में शामिल हुईं, जिससे अन्य भारतीय खिलाड़ियों के लिए वैश्विक लीग में भाग लेने का मार्ग प्रशस्त हुआ। वह वॉलीबॉल और बास्केटबॉल भी खेलती हैं।
स्मृति मंधाना
स्मृति मंधाना एक प्रतिभाशाली लेफ्ट हैंड बल्लेबाज हैं, जिन्होंने कम उम्र में ही कई रिकॉर्ड तोड़ दिए और अपने पूरे करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। वह तीनों अंतरराष्ट्रीय प्रारूपों में शतक बनाने वाली पहली भारतीय महिला हैं और 17 साल की उम्र में घरेलू एकदिवसीय मैच में दोहरा शतक लगाने वाली भी मशहूर हैं। स्मृति भारत की सबसे कम उम्र की टी20 अंतरराष्ट्रीय कप्तान भी हैं और उन्होंने अपनी टीम, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को वर्ष 2024 में अपना पहला WPL खिताब दिलाया। स्वाभाविक रूप से राइट हैंड से खेलने के बावजूद उन्होंने अपने बड़े भाई को देखकर बाएं हाथ की बल्लेबाज के रूप में अपना कौशल विकसित किया।
दीप्ति शर्मा
बचपन में, दीप्ति हाथ में क्रिकेट का बल्ला लेकर आगरा की गलियों में घूमती थीं, अपने हुनर को निखारती थीं और बल्लेबाजी और स्पिन गेंदबाजी, दोनों में अपनी स्वाभाविक प्रतिभा का प्रदर्शन करती थीं। स्थानीय क्रिकेट के मैदानों से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक का उनका सफर उनकी जन्मजात प्रतिभा और अटूट दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। स्थानीय प्रशिक्षकों ने उनकी प्रतिभा को तुरंत पहचान लिया और एक स्थानीय क्रिकेट प्रेमी से एक पेशेवर क्रिकेटर बनने का उनका सफर शुरू हो गया। शुरुआती दिनों में उन्होंने अनगिनत घंटों अभ्यास किया, जिससे उनकी बल्लेबाजी और स्पिन गेंदबाजी की तकनीक में निखार आया। जैसे-जैसे दीप्ति का क्रिकेट कौशल स्पष्ट होता गया, उन्होंने स्थानीय टूर्नामेंटों से हटकर अधिक प्रतिस्पर्धी मैदानों में कदम रखा। राष्ट्रीय स्तर पर कदम रखने की चुनौतियां कठिन थीं, लेकिन क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान बनाने के दीप्ति के दृढ़ संकल्प ने उन्हें आगे बढ़ाया।
जेमिमा रोड्रिग्स
जेमिमा एक शुद्ध एथलीट हैं और उनकी प्रतिभा सिर्फ़ क्रिकेट तक ही सीमित नहीं है। वह एक कुशल हॉकी खिलाड़ी भी हैं, जिन्होंने महाराष्ट्र की अंडर-17 और अंडर-19 हॉकी टीमों के लिए खेला है। जेमिमा रोड्रिग्स ने चार साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उनके पिता, इवान रोड्रिग्स, उनके स्कूल में जूनियर क्रिकेट कोच थे और शुरुआती दिनों में उन्हें कोचिंग देते थे। बच्चों के छोटे होने पर उनका परिवार उन्हें बेहतर खेल सुविधाएं प्रदान करने के लिए बांद्रा चला गया, और वह अपने भाइयों के लिए गेंदबाजी करती रहीं।
रेणुका ठाकुर
रेणुका ठाकुर की कहानी भी दिलचस्प रही है, वह एक भारतीय तेज गेंदबाज रही हैं, जो अपनी शानदार गेंदबाजी के लिए जानी जाती हैं और उन्होंने एक छोटे से गांव से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक का सफर तय किया है। उनकी कुछ रोचक बातें यह भी हैं कि उन्होंने कपड़े की गेंद से खेलना शुरू किया था और वर्ष 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज बनीं। जब वह सिर्फ 3-4 साल की थीं, तब वह अपने भाइयों और चचेरे भाइयों के साथ कपड़े की गेंद और लकड़ी के बैट से क्रिकेट खेलती थीं। उनके पिता का निधन तब हो गया था, जब वह बहुत छोटी थीं, और उनकी मां ने उनकी पढ़ाई के लिए संघर्ष किया और आज वहीं रेणुका विश्व विजेता बन गई हैं।
ऋचा घोष
ऋचा घोष की विश्व कप में की गई शानदार उपलब्धियों की जड़ें सिलीगुड़ी के धूल भरे मैदानों में हैं, जहां एक अकेली लड़की ने लड़कों के बीच प्रशिक्षण लिया, अपने साहस से निडरता का परिचय दिया और दबाव के बावजूद भारत की सर्वश्रेष्ठ फिनिशर बनी।
शेफाली वर्मा
शेफाली वर्मा का जन्म हरियाणा के रोहतक में हुआ था, जहां क्रिकेट के सपने अक्सर लड़कों के ही होते थे। लेकिन शेफाली बेतुके नियमों से खेलने वालों में से नहीं थी। वह अपने पिता संजय वर्मा को एक छोटी सी ज्वेलरी की दुकान चलाते हुए देखकर बड़ी हुई थी, लेकिन उनके पिता की असली चमक क्रिकेट के प्रति उनके प्रेम में थी। उन्होंने अपनी बेटी की प्रतिभा को बहुत पहले ही पहचान लिया था। लेकिन, उनके इलाके में लड़कियों के लिए कोई क्रिकेट अकादमी नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने अपने लिए राह खुद चुनीं। उनके पिता ने एक तरकीब निकाली। उसके पिता ने उसके बाल छोटे करवा दिए, उसे लड़कों जैसे कपड़े पहनाए और प्रैक्टिस के लिए लेकर गए। 15 साल की उम्र में, उन्होंने भारत के लिए पदार्पण किया और आज व विश्व चैम्पियन टीम का हिस्सा। हैं
यास्तिका भाटिया
यस्तिका भाटिया एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर हैं, जो लेफ्ट हैंड बल्लेबाज हैं और साथ ही विकेटकीपर भी हैं। उनका कई खेलों में अनुभव रहा है, वह कराटे में ब्लैक बेल्ट हैं और तैराकी और बैडमिंटन में भी वे उत्कृष्ट हैं। उनकी ट्रेनिंग का एक बड़ा हिस्सा स्मृति मंधाना और एडम गिलक्रिस्ट जैसे क्रिकेटरों से प्रेरित रहा है। उन्होंने गिटार बजाना सीखा और फ्रेंच भाषा भी सीख रखी है।
राधा यादव
राधा यादव ने अपने पिता की सब्जी की दुकान के पीछे 225 वर्ग फुट के घर में रहने की साधारण शुरुआत की थी। वह एक प्रीमैच्योर बच्ची थीं। अपनी सोसाइटी के परिसर में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने से लेकर भारत की एक प्रमुख खिलाड़ी बनने तक का उनका सफर शानदार रहा है। वह गुजरात की घरेलू टीम से राष्ट्रीय टीम में चुनी जाने वाली पहली महिला भी हैं, जो उनकी प्रतिभा और दृढ़ता का प्रमाण है।
श्रेयंका पाटिल
श्रेयंका ने लगभग आठ या नौ साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। फिर शुरुआत में एक तेज गेंदबाज और लेग स्पिनर के रूप में गेंदबाजी की, फिर एक ऑफ स्पिनर के रूप में अपनी जगह बनायीं।
उनके पिता, जो एक क्रिकेट अकादमी चलाते हैं, शुरू में महिलाओं के क्रिकेट खेलने पर संदेह था, लेकिन उनकी क्षमता को देखने के बाद वे उनका समर्थन करने के लिए राजी हो गए। वह अपने प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक किराए के आवास में रहने लगी हैं और रोजाना यॉर्कर गेंदबाजी का अभ्यास करती हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यॉर्कर गेंदबाजी करना उतना मुश्किल नहीं है।
तीतास साधु
तीतास साधु एक युवा भारतीय तेज गेंदबाज हैं, जिन्होंने पहले अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप में अहम भूमिका निभाई थी और फाइनल में उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था। उनके क्रिकेट करियर की शुरुआत तब हुई, जब उन्होंने अपने पिता को उनके पारिवारिक क्रिकेट क्लब में मैचों में स्कोरिंग में मदद की। क्रिकेट के अलावा, साधु एक प्रतिभाशाली एथलीट भी हैं, जिन्हें तैराकी और स्प्रिंटिंग में भी सफलता मिली है।
अरुंधति रेड्डी
अरुंधति की मां, जो एक पूर्व अर्ध-पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थीं, उन्होंने उन्हें 12 वर्ष की आयु में क्रिकेट अकादमी में दाखिला दिलाया। हालांकि वह एमएस धोनी को अपना आदर्श मानती थीं और शुरू में विकेटकीपर बनना चाहती थीं, लेकिन उनके कोच ने उन्हें तेज गेंदबाज बनने के लिए प्रोत्साहित किया। वह 15 साल की उम्र में, वह हैदराबाद महिला अंडर-19 टीम की कप्तान थीं।
अमनजोत कौर
अमनजोत कौर भी विश्व महिला कप की विजेता टीम में शामिल थीं, उनकी दादी का देहांत उनके मैच के समय ही हो गया था, लेकिन उन्हें इस बारे में बताया नहीं गया था, ताकि वह अपना बेस्ट दे सकें। वह एक बहुमुखी ऑलराउंडर हैं, जिन्होंने टी20 और वनडे दोनों फॉर्मेट में खेला है और अपनी दमदार बल्लेबाजी और गेंदबाजी के लिए जानी जाती हैं। उनके पिता, जो एक कारपेंटर हैं, उन्होंने उनके क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाने में मदद की, उनका पहला बल्ला तैयार किया और जब वे अन्य परिवहन का खर्च नहीं उठा सकते थे, लेकिन फिर भी वह उन्हें प्रशिक्षण सत्रों के लिए गाड़ी से ले जाते थे।
उमा छेत्री
उमा छेत्री असम, भारत की एक विकेटकीपर बल्लेबाज हैं, जिन्होंने भारतीय सीनियर महिला क्रिकेट टीम में चयनित होने वाली अपने राज्य की पहली खिलाड़ी बनकर इतिहास रच दिया। वह भारत की सीनियर महिला क्रिकेट टीम के लिए चयनित होने वाली असम की पहली खिलाड़ी हैं, यह चयन भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उमा वर्ष 2025 महिला क्रिकेट विश्व कप की विजयी भारतीय टीम का हिस्सा थीं। छेत्री असम के बोकाखाट के पास कंधुलिमारी गांव की एक साधारण पृष्ठभूमि से आती हैं। उन्होंने प्लास्टिक के बल्ले और गेंद से क्रिकेट खेलना शुरू किया, और आर्थिक तंगी के कारण अक्सर अस्थायी उपकरणों का इस्तेमाल करती थीं।
स्नेह राणा
स्नेह राणा एक भारतीय ऑलराउंडर हैं, जिन्होंने अपने टेस्ट डेब्यू में शानदार प्रदर्शन करते हुए अर्धशतक बनाया और चार विकेट लिए। उन्हें 2025 महिला क्रिकेट विश्व कप में अपने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन के लिए भी जाना जाता है, जहां वह एक ही बहु-टीम वनडे सीरीज में 15 विकेट लेने वाली पहली खिलाड़ी बनीं। राणा महिला टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक पारी में दूसरी सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज हैं और मैदान के अंदर और बाहर अपने शांत और संयमित व्यवहार के लिए जानी जाती हैं।
पूजा वस्त्रकार
पूजा वस्त्रकार मध्य प्रदेश की एक प्रतिभाशाली ऑलराउंडर हैं, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत लड़कों के साथ क्रिकेट खेलकर की थी क्योंकि उनके गृहनगर में लड़कियों की टीमें कम थीं। 15 साल की उम्र में करियर के लिए खतरा बन चुकी एसीएल चोट के बावजूद, उन्होंने जोरदार वापसी की और भारतीय टीम की एक अहम खिलाड़ी बन गयीं। वह अपनी जबरदस्त बल्लेबाजी और तेज गति से गेंदबाजी करने और मूवमेंट और विविधता लाने की अपनी क्षमता के लिए जानी जाती हैं।