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भारतीय नौसेना दिवस विशेष : इतिहास रचने की तैयारी में जुटी भारतीय नौसेना अधिकारी दिलना के और रूपा ए

रजनी गुप्ता |  फ़रवरी 10, 2025

राह में आनेवाली हर बाधाओं को तोड़ते हुए नारी शक्ति को फिर से परिभाषित करने में लगी भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और रूपा ए निकल चुकी है, अपनी खोजी अभियानों के तहत विश्व भ्रमण पर। फिलहाल इस नौसेना दिवस पर उनके अदम्य साहस को सलाम करते हुए आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें। 

खोजी मिशन का हिस्सा है ये समुद्री अभियान

picture courtesy: @facebook.com

नाविका सागर परिक्रमा एक्सप्रेस के दूसरे संस्करण के अंतर्गत आठ महीने की अपनी लंबी समुद्री यात्रा के दौरान 21600 मील से अधिक दूरी का सफर तय कर इतिहास रचने जा रहीं हैं। इसी के साथ लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और रूपा ए एक खोजी अभियान के तहत अपनी नौसेना टीम और तारिणी नौका के साथ आगे निकली हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य विश्व के तमाम समुद्री पानी के नमूने को इकट्ठा करके समुद्री माइक्रोप्लास्टिक और लौह सामग्री पर अध्ययन करना है। उनका यह अभियान राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान और भारतीय वन्यजीव संस्थान के जरिए वैज्ञानिक अनुसंधान में मददगार साबित होगा। इस अभियान के तहत वे विविध समुद्री जीवों के आधारभूत अध्ययन के लिए विशालकाय समुद्री स्तनधारी प्रजातियों को भी रिकॉर्ड करेंगी।

पिता के नक्शेकदम पर इतिहास रचने की तैयारी 

इसी वर्ष 2 अक्टूबर को शुरू हुए इस अभियान को हरी झंडी दिखाई नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने दिखाई है और इसका श्रेय नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल कर्मबीर सिंह को जाता है। उन्होंने ही अपने कार्यकाल में इस मिशन को प्रारंभिक मंजूरी दी थी। हालांकि लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और रूपा ए का यह अभियान भारतीय नौसेना के लिए ऐतिहासिक पहला कदम है, जो दूसरी महिलाओं को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। गौरतलब है कि कोझिकोड की लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के वर्ष 2014 में अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए नौसेना में शामिल हुई थीं। दिलना के के पिता भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और पुडुचेरी की रहनेवाली लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए के पिता अलगिरिसामी जीपी एक पूर्व वायु सेना अधिकारी थे। अपने परिवार में सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाते हुए रूपा ए वर्ष 2017 में नौसेना में शामिल हुई थीं। 

नौसेना दिवस की शुरुआत

picture courtesy: @thehindu.com

हर वर्ष 4 दिसंबर को मनाये जानेवाले भारतीय नौसेना दिवस की शुरुआत 1972 में हुई थी, जो 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कराची बंदरगाह पर पाकिस्तानी नौसेना को भारी नुकसान पहुंचाने वाले भारतीय नौसेना के अदम्य साहस की याद दिलाता है। मूल रूप से भारत में पहली बार नौसेना दिवस रॉयल इंडियन नेवी द्वारा 21 अक्टूबर 1944 में मनाया गया था। उसके बाद वर्ष 1945 से नौसेना दिवस 1 दिसंबर को मनाया जाने लगा। दरअसल हुआ ये कि 30 नवंबर को आधी रात के करीब भारतीय रेटिंग्स ने इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए थे। जनता के बीच नौसेना के इस उत्साह को देखते हुए नौसेना दिवस 1 दिसंबर को मनाया जाने लगा, जो 1972 तक जारी रहा। उसके बाद एक नौसेना अधिकारी सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना के अदम्य साहस को देखते हुए नौसेना दिवस 4 दिसंबर को मनाया जाए। तब से 4 दिसंबर को मनाए जानेवाले नौसेना दिवस के दौरान 1 से 7 दिसंबर तक नौसेना सप्ताह मनाया जाता है, जिसमें भारतीय नौसेना के युद्धपोत आम जनता के लिए खुले रहते हैं। 

राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा का संकल्प

फिलहाल केप लीउविन, केप हॉर्न और केप ऑफ गुड हॉप के आसपास के खतरनाक पानी के माध्यम से गुजर रही लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और रूपा ए की यह समुद्री यात्रा बिना किसी मदद के सिर्फ उनके अपने कौशल पर लगातार आगे बढ़ती जा रही है। माना जा रहा है कि अक्टूबर में शुरू हुआ उनका यह मिशन मई में गोवा में पूरा होगा। इसमें दो राय नहीं कि वर्ष 2024 के नौसेना दिवस थीम ‘Combat Ready, Credible, Cohesive, Future Ready Force Safeguarding National Maritime Interests – Anytime Anywhere’ के साथ राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा में अपने संकल्प के साथ तत्पर इन महिला अधिकारियों का यह मिशन नौसेना के इतिहास में महत्वपूर्ण उपलब्धि ही नहीं, बल्कि भारतीय नौकायन के तहत एक ऐसा साहसिक कार्य साबित होगा, जो प्रत्येक भारतीय की समुद्री भावना को जागृत करेगा।

 

 

Lead picture courtesy: @indianexpress.com

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