मां का दूसरा नाम प्रकाश लाना है, जो न सिर्फ अपने बच्चे के जीवन को प्रकाशमय करने का प्रयास हर पल करती है, बल्कि उसकी ममता की रोशनी कई ऐसे बच्चों तक भी पहुंचती है, जो कि अंधकार में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। तो हम आपको कुछ ऐसी प्रेरणादायक माताओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने प्रभाव से समाज में उजाला फैलाया है।
मदर टेरेसा

मदर टेरेसा का नाम इस फेहरिस्त में सबसे पहले आता है। उन्होंने ऐसा काम किया , जिस वजह से उन्हें मां की उपाधि मिल गयी । उन्होंने अनाथ और गरीब बच्चों के जीवन को सुधारने में अपने जीवन समर्पित कर दिया। मदर टेरेसा ने मात्र 18 वर्ष की उम्र में आयरलैंड जाकर "लोरेटो कॉन्वेंट" में प्रवेश लिया और फिर उन्होंने कोलकाता के एक स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम किया। इसी के बाद साल 1950 में उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। इस संस्था का काम उन सभी की सेवा करना था, जिसे समाज द्वारा त्याग दिया गया। गरीब और अनाथ बच्चों के साथ बीमार लोगों के लिए भी मदर टेरेसा मां बन गईं।मदर टेरेसा को 2016 में पोप फ्रांसिस द्वारा "संत" घोषित किया गया। यह उपाधि उन्हें उनकी सेवा और चमत्कारी प्रभावों के कारण दी गयी।
सावित्रीबाई फुले

भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले की कोई अपनी संतान नहीं थी। लेकिन उन्होंने एक ब्राह्मण विधवा के बच्चे को गोद लिया था, जिसका नाम यशवंतराव फुले था। इसके बाद भी उन्होंने समाज सेवा के कार्यों में कभी विराम नहीं लिया, बल्कि एक मां होने के बाद उनका समर्पण और भी गहरा हो गया।1896–97 में पुणे में जब प्लेग फैला, तब सावित्रीबाई फुले ने प्लेग पीड़ितों की देखभाल के लिए अस्पताल खोला।सावित्रीबाई फुले ने विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन दिया, जो उस समय समाज में वर्जित माना जाता था। मां बनने के बाद भी उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए विद्यालय चलाना नहीं छोड़ा। सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवनकाल में हर दलित, शोषित और पीड़ित की मां बनकर उनकी सेवा की है।
कस्तूरबा गांधी
महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी ने चार बेटों को जन्म दिया। मां बनने के बाद भी उन्होंने समाज के लिए कई अहम कार्य किए। देश की आजादी के आंदोलन में भाग लेने के बाद वह कई बार जेल में गईं और वहां पर कई महिला कैदियों को शिक्षित करती रही हैं। कस्तूरबा ने महिलाओं को शिक्षा, स्वावलंबन और स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया। गांव में जाकर उन्होंने सभाएं करते हुए महिलाओं के जीवन में शिक्षा और सेहत का प्रकाश लाया।
माता अमृतानंदमयी

माता अमृतानंदमयी को प्यार से अम्मा कहा जाता है और उन्होंने समाज के लिए कई कार्य किए हैं। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा की स्थापना की। शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया। उन्होंने अमृता विश्वविद्यालय की स्थापना की। उन्होंने गरीबों और आपदा पीड़ितों के लिए घर निर्माण किया। आपदा राहत कार्य किया। इसके लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए माइक्रो फाइनेंस, सिलाई, बुनाई, और अन्य कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया।
कमला नेहरू

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू ने मां बनने के बाद भी समाज के लिए सतत अपना काम जारी रखा।कमला नेहरू की इकलौती संतान थीं, इंदिरा गांधी (1917 में जन्मीं ), जो आगे चलकर भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।1920 के दशक में जब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया, तो कमला नेहरू ने उसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया।वे कई बार जेल गईं, जहां उन्होंने महिलाओं को शिक्षित किया और उन्हें राजनीतिक रूप से जागरूक बनाया।बार-बार के आंदोलन और स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद उन्होंने काम जारी रखा।