कांजी भारतीय राज्यों में बनाया जाने वाला एक प्रोबायोटिक पेय है।एक प्रोबायोटिक पेय होने के कारण यह आंत के लिए बेहद अच्छा है और पाचन में सुधार करता है। इसके अलावा यह आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है। कुछ रिसर्च में न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के भी कण्ट्रोल होने की बात सामने आयी है। आइए जानते हैं,फायदों से भरपूर कुछ पारम्परिक और बेहद पॉपुलर कांजी की रेसिपीज के बारे में विस्तार से।
चुंकदर की कांजी
सामग्री 2 बड़े चुकंदर,1 गाजर,2 बड़े चम्मच पीली सरसों,1 बड़ा चम्मच साबुत जीरा,1 बड़ा चम्मच काला नमक (या हिमालयन गुलाबी नमक),1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर (या स्वादानुसार),6 कप गुनगुना पानी, एक बड़ा जार
विधि
एक छोटा पैन गरम करें। इसमें जीरा डालें और उन्हें लगभग एक मिनट तक भुनने दें। लगातार जीरे को चलाते रहें, ताकि वे समान रूप से भुन जाएं। साबूत जीरा और पीली सरसों को भी हल्का भून लेंगे और पहले ठंडा होने देंगे। उसके बाद उसे बारीक पीस लेंगे। अब हम चुकंदर का ड्रिंक बनाने के लिए तैयार हैं। पानी को गर्म करें, ताकि यह गुनगुना हो जाए। अपने सभी कटे हुए चुकंदर और गाजर को एक मेसन जार में डालें। जार में पिसे हुए मसाले, नमक और मिर्च पाउडर डालें। जार में गुनगुना पानी डालें। जार के ऊपर लगभग 1 इंच जगह खाली छोड़ दें।जार को घर के किसी अंधेरे गर्म कोने में रखें। दिन में एक बार, इसे चेक करें और जार की सामग्री को लकड़ी के चम्मच या किसी अन्य बड़े चम्मच से हिलाएं। लगभग 3 दिनों के बाद, चुकंदर प्रोबायोटिक ड्रिंक का स्वाद लें। अब तक यह खट्टा होना शुरू हो जाना चाहिए। अगर आपको जार के ऊपर कुछ बुलबुले दिखाई देते हैं, तो घबराएँ नहीं। ऐसा होने की उम्मीद है क्योंकि ड्रिंक में फेरमेंट्स होता है। अगर जरूरत हो तो नमक को एडजस्ट करें और इसे एक और दिन के लिए फेरमेंट्स होने के लिए रहने दें सकते हैं। अगर जिस कोने में आपने यह ड्रिंक रखी है वह बहुत गर्म नहीं है, तो इसे बेहतरीन तरीके से फ्रेगमेन्टेड करने के लिए एक और दिन के लिए रखा रहने दें।एक बार जब यह तैयार हो जाए, तो जार को फ्रिज में रखें और इसे ठंडा करके पिएं । ठंडा होने पर इसका स्वाद सबसे अच्छा होता है। रोजाना लगभग 1/2 कप पियें।
चावल की कांजी

सामग्री :½ कप पका हुआ चावल,1 कप पानी,¼ कप दही, घर का बना,¾ चम्मच नमक या आवश्यकतानुसा,र 1 बड़ा चम्मच ताजा धनिया पत्ता कटा हुआ। तड़का लगाने के लिए½ चम्मच नारियल का तेल,¼ चम्मच सरसों के बीज,¼ चम्मच जीरा,½ चम्मच उड़द दाल,1 चम्मच करी पत्ता, बारीक कटा हुआ ½ चम्मच हरी मिर्च, कटी हुई,4 बड़े चम्मच प्याज, बारीक कटा हुआ,1 चम्मच अदरक, कद्दूकस किया हुआ ½ चम्मच हींग।
विधि
चावल की कांजी बनाने के लिए आप बचे हुए पके चावल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आधा कप पके हुए चावल को आधा कप पानी में मिट्टी के बर्तन में लगभग 10-12 घंटे या रात भर के लिए भिगो दें।अगले दिन, फ्रेग्मेंटेड चावल को ब्लेंडर में डालें, स्वादानुसार नमक डालें और चिकना पेस्ट बना लें।मिश्रित चावल को एक मिश्रण कटोरे में डालें।¼ कप घर का बना दही फेंटें और चावल के पेस्ट में डालें, अच्छी तरह से मिलाएं। थोड़ा खट्टा दही मिलाएं क्योंकि इसका स्वाद ज्यादा अच्छा होता है। अच्छी तरह से मिलाएं और एक तरफ रख दें।एक तड़का पैन में नारियल का तेल गर्म करें। इसमें सरसों के दाने, जीरा, उड़द दाल, कटी हुई करी पत्ता, कटी हुई हरी मिर्च डालें और अच्छी तरह से भूनें।इसमें कटा हुआ प्याज डालें और हल्का भूरा होने तक भूनें। चूल्हा बंद कर दें।अब इसमें कसा हुआ अदरक, हिंग डालें और अच्छी तरह मिलाएं ।तैयार चावल की कांजी पर तड़का डालें। चावल की कांजी खाने के लिए तैयार है।
काले गाजरों की कांजी

सामग्री :1/2 किलो काली गाजर ,2.5 बड़ा चम्मच काला नमक, या स्वादानुसार,3 बड़ा चम्मच लाल सरसों या राई1.5 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर (वैकल्पिक),1 बड़ा चम्मच भुना और पिसा जीरा पाउडर और 2 लीटर पानी, लगभग 8 कप
विधि
काली गाजर को धोकर उसका पानी निकाल दें।उसके बाद गाजर का छिलका छीलें और उसे छोटे -छोटे टुकड़ों में काट लें सबसे पहले एक बड़े बर्तन में पानी डालें और उसमें दरदरी पिसी राई या लाल सरसों डालें।इसमें काली गाजर के कटे हुए टुकड़े भी डालें और पानी का रंग बदलते देखें।काला नमक, जीरा पाउडर और लाल मिर्च पाउडर डालें। चमच्च से चलाएँ और ढक्कन से ढक दें। इसे धूप में कुछ दिनों तक रखें ताकि पेय में खमीर उठ जाए और उसका स्वाद विकसित हो जाए। दिन में कम से कम एक बार इसे हिलाना न भूलें। जब इसका स्वाद विकसित हो जाएगा तो यह थोड़ा तीखा हो जाएगा और इसका रंग वाइन जैसा हो जाएगा। आप ड्रिंक को छलनी से छान सकते हैं और 2 दिन बाद गाजर को फेंक सकते हैं। ड्रिंक को ढक्कन वाले कांच के जार में डालें और कमरे के तापमान पर स्टोर करें। कमरे के तापमान पर सर्व करें ।
सबसे ज्यादा पूछे जानेवाले सवाल

कांजी पीने का सबसे अच्छा समय क्या है?
यूं तो आप सेहतमंद कांजी को कभी भी पी सकते हैं, लेकिन न्यूट्रिशन की मानें तो कांजी पीने का सबसे अच्छा समय सुबह का है सुबह खाली पेट कांजी का एक गिलास पीने से आपको तुरंत एनर्जी मिलती है। इसे पीने के बाद दिनभर में कभी भी आपको चक्कर, कमजोरी , थकावट जैसा महसूस नहीं होगी।
क्या कांजी को रोज पीया जा सकता है ?
हां ,इसे हर रोज पिया जा सकता है क्योंकि यह पेट के स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा तरीका है। कांजी का लगातार एक महीने तक उपयोग करना फायदेमंद है, हालांकि कुछ लोग इसे आवश्यकतानुसार 10, 20, 30 या 40 दिनों तक उपयोग करते हैं।
कांजी कितने दिन में बनकर तैयार होती है ?
कांजी बनाने के लिए कम से कम दो दिन का समय लगता है क्योंकि कांजी फ्रेगमेंटेशन से ही बनता है।
क्या कांजी लीवर के लिए अच्छी है?
कांजी लीवर को डिटॉक्सीफाई करती है और पाचन में सहायता करती है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जैसे पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिन ए, मैंगनीज, कुछ विटामिन बी भी। एंटीऑक्सीडेंट के पावरहाउस के कारण, यह कैंसर से सुरक्षा प्रदान करने में मदद करता है और बच्चों में एक्जिमा को रोकता है। शरीर में सूजन को भी कम करने में यह कारगर है।
कांजी से क्या शुगर का लेवल बढ़ता है ?
कांजी मिक्स में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसका मतलब है कि यह ब्लड शुगर के स्तर में अचानक वृद्धि नहीं करता है। डायबिटीज कंट्रोल कांजी मिक्स में वसा और कैलोरी कम होती है, जो स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण होता है।
कांजी में मौजूद सरसों किस तरह से फायदा पहुंचाता है ?
कांजी ड्रिंक में मौजूद सरसों उत्तर भारत की सर्द सर्दियों में शरीर को गर्म रखती है। फ्रेगमेन्टेड प्रक्रिया पेय के स्वाद को बदल देती है और इसे प्रोबायोटिक बनाती है। इसका स्वाद हल्का मीठा और खट्टा होता है।
क्या कांजी को सिर्फ सर्दियों में ही पीया जाता है ?
नहीं ,कांजी सर्दी और गर्मी दोनों ही मौसमों के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन यह मूल रूप से गाजर और बीटरूट से बनता है और गाजर का मौसम विशेषकर सर्दियों में माना जाता है।
क्या स्टील के बार्टन में कांजी बनायी जा सकती है ?
कांजी को हमेशा मिट्टी के बर्तन, कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में ही रखना चाहिए। इसे स्टील या किसी अन्य धातु के बर्तन में न रखें क्योंकि इससे कांजी खराब हो जाती है और कई बार यह जहरीली भी हो सकती है। नमक, काला नमक, मिर्च पाउडर और पिसी हुई सरसों के बीजों को पानी में मिलाकर कांच के बर्तन या मिट्टी के बर्तन में डालें।
क्या कांजी से एसिडिटी रोकथाम होती है ?
हां ,कांजी उन लोगों को राहत दे सकती है जो रोजाना मतली, सीने में जलन, एसिडिटी, कब्ज और सूजन से पीड़ित हैं। फ्रेगमेन्ट के कारण, कांजी में प्रचुर मात्रा में प्रोबायोटिक्स होते हैं ,जो स्वस्थ आंत बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं। काली गाजर आहार फाइबर में समृद्ध है,जो शरीर के समग्र पाचन स्वास्थ्य में सुधार करता है।