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खानपान

पंजाब दी मक्के की रोटी, तो थेपले से लेकर अक्की तक, इमोशन ही इमोशन छुपा है हर प्रांत की रोटियों में

अनुप्रिया वर्मा |  नवंबर 01, 2022

लग-अलग राज्यों की रोटियों हम किसलिए जीते हैं, रोटी, कपड़ा और मकान के लिए, है न ! यह अब एक कहावत ही बन गई है कि जिंदगी में कुछ मिले या न मिले, रोटी तो सबसे पहले चाहिए। रोटी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है और यह सिर्फ एक खाद्य पदार्थ नहीं, बल्कि हम सबके लिए एक इमोशन भी है, जहां एक तरफ इसमें मां के हाथों का स्वाद छुपा होता है, तो दूसरी तरफ इसमें पेट भरे होना का सुकून भी होता है, यही वजह है कि हमारे पूरे देश में, हर राज्य के अपनी-अपनी रोटियों की शब्दावली है, लेकिन भावना सबकी एक ही है। यूं तो घरों में अमूमन, कई राज्यों में चावल और गेंहू की ही रोटियां नियमित रूप से बनती हैं, लेकिन आज हम आपको भारत के प्रमुख ऐसे राज्य और उनकी और भी लोकप्रिय रोटियों की किस्मों की खासियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनमें उस प्रांत की मिट्टी की खुशबू छुपी है। 

पंजाब दी शान है कुलचा और मक्के दी रोटी 

ठंड के मौसम में जब तक मक्के दी रोटी और सरसो दा साग न खा लिया जाए, मजा नहीं आता है। और जब-जब मक्के की रोटियां खाई जाती हैं, पंजाब का जिक्र आएगा ही। मक्के दी रोटी मोइये , सरेआं दा साग हो , पिप्पल मरोड़ी मरोड़ी करी खाना हो, मक्के दी रोटी खाते हुए खूब ये लोकगीत गए जाते हैं। वैसे जानकारों का कहना है कि मक्का को भारत के पंजाब में ब्रिटिश साम्राज्य ने 1850 के दशक में लेकर आये थे। इसके अलावा, पंजाब में कुलचा भी हमेशा से लोकप्रिय रहा है, खासतौर से पंजाब के अमृतसर में कुलचा खाने का प्रचलन खूब है। इसकी लोकप्रियता की बात की जाये, तो सिंधु घाटी सभ्यता के समय से तंदूर के तकनीक का उपयोग किया जाता था, और नान को ही बिना स्टफ किये बनाया जी तो ये कुलचा कहलाने लगा। छोले के साथ इसका कॉम्बिनेशन काफी पसंद किया जाता है, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में इसे खूब पसंद से खाया जाता है। कुलचा मैदा से बनाया जाता है। पंजाब में नान भी बेहद शौक से खाई जाती है। 

बिहार की आन है सत्तू की रोटी, दाल की रोटी  

बिहार में सत्तू की लिट्टी या सत्तू की रोटी खूब चाव से खाई जाती है, बिहार की पहचान तो सत्तू से हैं ही, इससे बने व्यंजन अब पूरे भारत में बड़े ही शौक से खाये जाते हैं। सत्तू पूरे बिहार में, हर मौसम में खाया जाता है, आम के मौसम में तो लोग आम के साथ इसकी रोटी को खाना पसंद करते हैं। सत्तू चने से बनता है, इसके अलावा जौ का भी सत्तू काफी लोकप्रिय है। सत्तू को आटे की रोटी में भर कर बनाया जाता है और इसके साथ-साथ दाल भर की रोटी भी बिहार में हर खास मौके पर खाई जाती है, जब कोई नई दुल्हन अपने ससुराल में आती है, तब भी उसे सबसे पहले दाल भर की रोटी ही खिलाई जाती है, इसके अलावा चैत पूजा और अद्रा पूजा में भी लोग इसे शौक से खाते हैं। 

कर्नाटक की अक्की रोटी का जलवा 

कर्नाटक की अक्की रोटी भी पूरे भारत में काफी लोकप्रिय है। कर्नाटक में इस रोटी को चावल से बनाया जाता है, केरल में यह रोटी पाथिरी कहलाती है, इस रोटी में ढेर सारी सब्जियां मिला कर बनाई जाती है और इसे बड़े ही चाव से वेज और नॉन-वेज दोनों ही व्यंजनों के साथ खाया जाता है। दक्षिण भारत में रागी की रोटी भी नियमित रूप से खाई जाती है। 

महाराष्ट्र की थालीपीठ में सेहत का खजाना 

थालीपीठ, एक पारंपरिक महाराष्ट्र की रोटी है, जो चावल, काबुली चने, बाजरा और ज्वार के आटे जैसे आटे से बनाई जाती है। इसमें सेहत का खजाना छुपा होता है।  इस प्रकार की रोटी के समान भाकरी है, जो गुजरात और महाराष्ट्र दोनों में लोकप्रिय है।

रूमाली रोटी के स्वाद में खो जाएंगी 

रूमाली रोटी को मुगलों का भोजन माना गया है, यह मैदे से बनी बेहद पतली रोटियां होती हैं, इन्हें बनाने की प्रक्रिया कठिन और बारीक होती है, रूमाली रोटी उत्तर-भारत की लोकप्रिय रोटी है। रूमल शब्द का मतलब रूमाल से है। यह जानना रोचक है कि इन रोटियों को तेल पोछने के लिए राजाओं की खाने की मेज पर रख दी जाती थीं, लेकिन बाद में इनमें इतना स्वाद आने लगा कि यह अहम रोटियां बन गयीं। रूमाली रोटी का मजा सबसे ज्यादा नॉन वेज व्यंजनों के साथ आता है। 

कश्मीर की रोटी में जन्नत का स्वाद 

कश्मीर को धरती का स्वर्ग माना जाता है, ऐसे में वहां की जो रोटियां होती हैं, उनमें भी अद्भुत स्वाद होता है, कश्मीरी रोटी गेंहू के आटे से ही बनती हैं। कई जगहों पर इसे मैदे से भी बना लेते हैं। कश्मीर में वहां की चाय के साथ इन रोटियों को खाने की परंपरा है। 

गुजरात के थेपले का स्वाद नहीं चखा तो क्या चखा

गुजरात की पहचान भी उनके थेपले से है, नाश्ते में थेपले खूब शौक से बनाये और खाये जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह कुछ समुदाय की महिलाओं द्वारा अपने यात्रा करने वाले पतियों के लिए बनाया गया था, क्योंकि गुजराती मुख्य रूप से व्यापारी होते हैं, तो जब पुरुष अपना माल बेचने के लिए काफी दूर जाया करते थे, तो उस वक्त यह रोटियां बना कर उन्हें दे दी जाती थीं। इसे बनाने के लिए गेहूं का आटा, मेथी के पत्ते, धनिया, दही, अदरक-लहसुन का पेस्ट बस बेहद कम चीजें ही लगती हैं और यह आसानी से बन जाती हैं।

 

 

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