गणेशोत्सव के मौके पर ऐसी कई चीजें हैं, जो आप अपने घर पर बना सकती हैं, सात्विक तरीके से और भगवान गणेश को भोग लगा सकती हैं। आइए जानें विस्तार से।
कोकोनट राइस

गणपति या गणेशोत्सव के दौरान इस बात का पूरा ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है कि खान-पान सात्विक बने, इसके लिए हमें ऐसी चीजों को बनाने के बारे में सोचना होता है, जो बनाने में भी आसान हो और भोग लगाने में भी। सो, हल्के और पौष्टिक बनने वाले चावल की बात करें, तो इस पौष्टिक और हल्के चावल से बने व्यंजन को नारियल चावल कहा जाता है, जिसे तमिल भाषा में थेंगई सदाम भी कहा जाता है। 'थेंगई' का अर्थ है 'नारियल' और 'सादम' का अर्थ है 'चावल'। नारियल चावल भारत के दक्षिण भारतीय क्षेत्रों के मुख्य और पसंदीदा व्यंजनों में से एक है। बनाने में बेहद आसान, यह व्यंजन भुनी हुई या तली हुई दाल, मसालों, जड़ी-बूटियों और ताज़ा कसा हुआ नारियल को पके हुए चावल के साथ मिलाकर बनाया जाता है। लेकिन गणपति में महाराष्ट्र में भी यह जम कर बनता है। सो, इसे जरूर बनाने की कोशिश करें और इसे खाएं। मजा ही आएगा और इसे भोग लगा कर प्रसाद के रूप में भी वितरित किया जा सकता है, लोगों के बीच।
पंचमेवा
मोदक के बाद यदि कोई भोग गणेश जी को प्रसन्न करता है, तो वह है पंचमेवा। सूखे मेवों का यह मिश्रण न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि मान्यता है कि इससे जीवन से दुख-बाधाएं कम होती हैं। इसलिए लोग यह भोजन गणेश जी को अर्पित करते ही हैं।
लड्डू

मोदक के अलावा इस दौरान भगवान गणेश को लड्डू का भोग भी लगाया जाता है। मोतीचूर के लड्डू और बेसन के लड्डू ज्यादातर बनाये जाते हैं और पसंद किये जाते हैं। भगवान गणेश को मोतीचूर के लड्डू विशेष रूप से प्रिय हैं। ये लड्डू बेसन की छोटी-छोटी तली हुई गोलियों (बूंदी) को चीनी की चाशनी में भिगोकर बनाए जाते हैं और गणेश चतुर्थी के दौरान आम तौर पर चढ़ाए जाते हैं। उन्हें अन्य प्रकार के लड्डू और मिठाइयां भी पसंद हैं, लेकिन मोतीचूर के लड्डू अपने मुंह में घुल जाने वाले स्वाद के कारण सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। इन्हें बनाने में अधिक परेशानी भी नहीं होती है।
मोदक
बात गणपति की हो और मोदक की न हो, यह कैसे हो सकता है, जी हां, यही हकीकत है कि मोदक भी बहुत शौक से इस दौरान बनाया और खाया जाता है, लोगों को भी बेहद शौक से इसे खाना-पीना पसंद है, यह भगवान का अति-प्रिय भोजन है। दरअसल, मोदक भगवान गणेश की पसंदीदा मिठाई मानी जाती है, जिसे अक्सर उनका ‘भोग कहा जाता है। मोदक चढ़ाना भगवान गणेश के प्रति प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, ऐसा माना जाता है कि इससे आशीर्वाद और सौभाग्य प्राप्त होता है। गौर करें, तो ‘मोदक’ नाम संस्कृत शब्द ‘मोद’ से आया है, जिसका अर्थ है खुशी, जो इस मिठाई द्वारा उत्सवों में लाए जाने वाले आनंद को दर्शाता है। गौर करें, तो सबसे आम प्रकार, उकादिचे मोदक, चावल के आटे, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है। मोदक की कहानी भगवान गणेश और इस मीठे गुलगुले के प्रति उनके प्रेम पर केंद्रित है, जो ज्ञान और भक्ति का प्रतीक है। एक प्रचलित कथा के अनुसार, भगवान गणेश के माता-पिता, शिव और पार्वती ने अपने पुत्रों को विश्व की परिक्रमा करने की चुनौती दी थी। गणेश ने चतुराई से अपने माता-पिता की परिक्रमा की, उन्हें अपना ब्रह्मांड मानते हुए, और उन्हें मोदक का इनाम दिया गया। एक अन्य कथा में एक भोज का वर्णन है, जहां गणेश मोदक पाकर बहुत प्रसन्न हुए और उसे अपना प्रिय घोषित कर दिया, जिसके कारण उसे उन्हें अर्पित किया जाने लगा।
पूरन पोली

गणेश चतुर्थी के दौरान पूरन पोली का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक होता है। भारत के कई हिस्सों में, खासकर महाराष्ट्र में, पूरन पोली को भगवान गणेश का प्रिय व्यंजन माना जाता है और त्योहार के दौरान उन्हें प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मीठा व्यंजन सौभाग्य, समृद्धि और खुशियां लाता है और अक्सर इसे उत्सव के दौरान मेहमानों और परिवार के सदस्यों को परोसा जाता है।
श्रीखंड
श्रीखंड भी भगवान गणेश को अति प्रिय है और यह एक पारंपरिक, मलाईदार भारतीय मिठाई है, जो दही से बनाई जाती है। यह पश्चिमी राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र में लोकप्रिय है और इसे केसर, इलायची, मेवे और आम जैसे फलों से स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। इसके बारे में मान्यता है कि कन्नड़ खाद्य साहित्य में 1025 ईस्वी पूर्व से ही मौजूद है और आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे "रसाला" के रूप में वर्णित किया गया है। श्रीखंड कैल्शियम और प्रोबायोटिक्स से भरपूर होता है, जो मजबूत हड्डियों, स्वस्थ पाचन और बेहतर पोषक तत्वों के अवशोषण जैसे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
गुझिया
गणेशोत्सव के एक दिन पहले तीज का त्यौहार होता है और बिहार एवं उत्तर-प्रदेश में बेहद शौक से लोग गुझिया बनाते हैं, यह भोग भी भगवान गणेश को प्रिय है और उन्हें चढ़ाया जा सकता है और शौक से खाया जा सकता है। इसलिए गुझिया भी खाना ही चाहिए।
पायसम

गणेश उत्सव के लिए पायसम बनाना एक शुभ पारंपरिक तरीका है, और इसे बनाने के लिए चावल, सेंवई, सूजी या टैपिओका जैसी सामग्रियों का उपयोग किया जा सकता है। गुड़ और नारियल के दूध के साथ पकाकर इसे मीठा और स्वादिष्ट बनाया जाता है और मेवे डालकर ऊपर से सजाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर इसे भोग के रूप में चढ़ाना एक महत्वपूर्ण आहार समझा जाता है।