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होम / एन्गेज / खानपान / फ़ूड-ट्रेंड्स

व्यंजनों में उपयोग किए जाने वाले अद्भुत हैं स्थानीय अनाज

टीम Her Circle |  जून 27, 2024

प्राचीन समय से ही खाने में स्थानीय अनाज की भूमिका अहम रही है। स्थानीय अनाज यानी कि किसी स्थान से निकले हुए अनाज, जो कि आपको भरपूर मात्रा में पोषण देने के साथ आपकी सेहत के लिए लाभकारी और स्वास्थ्यवर्धक साबित होते हैं। प्राचीन अनाज हमेशा से ही सेहत को कई सारे लाभकारी फायदे देकर जाते हैं। इस तरह के अनाजों में विटामिन, खनिज और फाइबर की मात्रा सबसे अधिक होती है। अपने देश के साथ-साथ विदेशों में भी स्थानीय अनाज की मांग अधिक है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मकई, चावल और गेहूं की तुलना में स्थानीय अनाज ज्वार और बाजरा आदि अधिक विटामिन और खनिज से युक्त पाए जाते हैं। तो आइए इन अनाजों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

जानें उपयोगी स्थानीय अनाज के बारे में 

खाने के लिए लोकप्रिय अनाजों में कई सारे नाम शामिल हैं। सेहत के लिहाज से इन सारे अनाजों को अमृत भी माना जाता है, जो कि किसी भी व्यक्ति को अंदरूनी तौर पर पोषण देने का कार्य करते हैं। यहां तक कि कई बड़ी बीमारियों से भी राहत दिलाने में और उनसे दूरी बनाए रखने में इन सारे अद्भुत अनाजों की भागीदारी अहम है। आयुर्वेद के अनुसार काफी साल पहले लोग अपने खान-पान में पांच तरह के अनाज का इस्तेमाल करते थे। खासतौर पर जौ, चना, मटर और बाजरा का इस्तेमाल पौष्टिकता के लिहाज से सबसे अधिक किया जाता था। जौ, चना, मटर और बाजरे से बने हुए आटे का इस्तेमाल रोटी के तौर पर किया जाता रहा है। इन सभी अनाजों के सेवन का फायदा सीधे तौर पर शरीर को मिलता था। 

निरोगी रखने में मिलता है सहयोग

जानकारों का कहना है कि डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के साथ शारीरिक और मानसिक परेशानियों को भी अनाजों के सेवन से दूर किया जाता रहा है। इस तरह के अनाज के इस्तेमाल से इम्यूनिटी मजबूत रहती हैं। इन पांच तरह के अनाज को एक साथ मिलाकर पिसाई की जाती थीं। खासतौर पर चना, मटर, ज्वार, मक्का और बाजरा इन सभी को बराबर अनुपात में लेकर चक्की से इसकी पिसाई करके इसका इस्तेमाल रोटी के तौर पर किया जाता था। इन सभी तरह के पांच अनाजों में फाइबर, कैल्शियम, मिनरल्स और बाकी के जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा भरपूर होती है, जो कि आपको निरोगी रखने में बड़ी भूमिका निभाता है। 

सेहत के लिए सुपर फूड बना रागी

रागी को सेहत के लिहाज से पौष्टिक माना जाता है। यह माना गया है कि छोटे लाल रंग के रागी आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखता है। रागी शरीर में खून की कमी को भी पूरा करता है और साथ ही हड्डियों को भी मजबूत बनाता है। पाचन शक्ति को भी सही तरह से कार्य करने  के लिए रागी मदद करता है। साथ ही रागी में लाइसिन नामक त्वचा की सेहत के लिए काफी अधिक फायदेमंद होता है। रागी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो कि शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। रागी के सेवन के बाद आपको भूख भी जल्दी नहीं लगती है। रागी का सेवन किसी भी तरह से कर सकती हैं।

जौ की खूबी

जौ में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जैसे कि नियासिन, विटामिन बी-6, आयरन, जिंक, सेलेनियम, मैंगनीज और कॉपर। जौ की बात करें, तो खेती में किए जाने वाले सबसे पुराने पौधों में से एक है। जौ इंसानों और पशुओं के सेवन के लिए मुख्य भोजन भी माना जा चुका है। एक अध्ययन में यह जानकारी हासिल हुई है कि अन्य तरह के अनाजों की तुलना में फाइबर से भरपूर साबुत अनाज जैसे कि जौ रक्त(खून) में मौजूद खराब पदार्थों को बेहतर तरीके से कम कर पाते हैं। जौ की घास रक्त में यूरिक एसिड को कम करने में मदद कर सकती है। इसके मनुष्य को कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। कई जानकारों का मानना है कि लिवर और इम्युनिटी के लिए भी जौ का इस्तेमाल सही माना गया है। हालांकि, जौ का कितना प्रयोग आपको खान-पान में करना चाहिए, इसके लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि जौ का उपयोग एक नहीं, बल्कि कई तरीके से किया जाता है, जैसे कि जौ की घास का पाउडर, जौ की बिस्किट, जौ की ब्रेड, जौ के पानी का सेवन और जौ का चाय की तरह इस्तेमाल कर आप अपनी डायट में जौ को शामिल कर सकती हैं।

बाजरा के सेवन की खूबी

बाजरा की भी गिनती स्थानीय और लोकप्रिय अनाजों में होती है। बाजरा की खूबी यह है कि इसे न सिर्फ खाने में, बल्कि कई दशकों से इसका उपयोग आयुर्वेद के तौर पर भी किया जा रहा है। बाजरा से खिचड़ी और रोटी मुख्य तौर पर बनाया जाता है। बाजरा आपके शरीर को पूर्ण तौर पर पोषण पहुंचाता है। यह भी जान लें कि बाजरा में थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन बी-6, मैग्नीशियम, फास्फोरस, मैंगनीज और जिंक के पोषक तत्व पाए जाते हैं। अधिकतर समय यह देखा जाता है कि इस ऐतिहासिक अनाज का इस्तेमाल गर्मियों के मौसम में कम किया जाता है, क्योंकि बाजरा में गर्मी अधिक होती है। ऐसे में अगर आपको गर्मी के मौसम में बाजरा का सेवन करना है, तो इसे किसी दूसरे अनाज यानी कि गेहूं के साथ मिलाकर करें। साथ ही बाजरा का सेवन करना आपके शरीर के लिए कितना फायदेमंद होगा और कितना नहीं, इसके लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें। कई जानकारों का कहना है कि सर्दी में अधिक से अधिक 100 ग्राम बाजरा का सेवन करना चाहिए। यह भी जान लें कि बाजरा में विटामिन-सी, विटामिन-ए, विटामिन-बी के अलावा कैल्शियम, आयरन और पोटैशियम भी काफी अधिक मात्रा में होता है। यह सारे पोषक तत्व आपके शरीर को पोषण देते हैं और साथ ही आपको सेहतमंद भी रखते हैं। जानकारों के मुताबिक बाजरा एक ऐसा सेहतमंद अनाज है, जिसमें फाइबर सबसे अधिक होता है और इसका सेवन करने से आपकी पाचन क्रिया काफी अच्छी रहती है। 

ज्वार के फायदे

ज्वार में फाइबर की मात्रा सबसे अधिक होती है। माना गया है कि जौ और चावल जैसे अनाजों की तुलना में ज्वार काफी फायदेमंद होता है। जानकारों का मानना है कि कि ज्वार में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के गुण भी पाए जाते हैं। ज्वार में थायमिन, नियासिन, विटामिन बी 6, आयरन, फास्फोरस, सेलेनियम और मैंगनीज के साथ-साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड भी अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो कि सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। यह भी माना गया है कि ज्वार महिलाओं की हड्डियों के साथ पीरियड्स के दौरान भी लाभदायक होता है। सबसे अधिक ज्वार के सेवन से यह फायदा होता है कि अंदरूनी तौर पर ज्वार के सेवन से ऊर्जा मिलती है और आयुर्वेद यह कहता है कि ज्वार में कई सारे बलकारक ( force majeure) गुण होते हैं, जो कि आपके शरीर के अंदर एनर्जी को बनाये रखने के साथ बरकरार रखने में काफी सहायक होता है। 

प्राचीन अनाजों के सेवन से क्या होता है कोई नुकसान

कई जानकारों का कहना है कि प्राचीन अनाजों के सेवन से शरीर को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं मिलता है, हालांकि प्राचीन अनाजों की तासीर काफी गर्म होती है। ऐसे में आपको इन सभी अनाजों का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए, बल्कि जब भी आप इन अनाजों का सेवन करती हैं, तो 100 ग्राम से 200 ग्राम ही प्रयोग में लाना चाहिए। कई लोगों को इन अनाजों का अधिक सेवन करने के कारण पेट में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। यह जान लें कि कुछ दिन पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च (IIMR) के अनुसार हर व्यक्ति को 100 से 200 ग्राम ही इन अनाजों का सेवन करना चाहिए, जिसे आम भाषा में मोटा अनाज भी कहा जाता है, क्योंकि इस तरह के अनाजों में ट्रिप्टोफेन नाम का अमीनो एसिड पाया जाता है, जो कि भूख को कम करके आपके शरीर को संतुलित बनाने में सहायक होता है। इस तरह के अनाज की सबसे बड़ी खूबी यह होती है कि आप कम से कम सेवन में भी इस तरह के अनाज के जरिए अपने पेट को लंबे समय तक भर कर रख सकती हैं, हालांकि यह ध्यान दें कि हर किसी के लिए इस तरह के अनाजों का सेवन सही नहीं होता है। जानकारों का कहना है कि किडनी के मरीजों को ज्वार और बाजरे का सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें पोटैशियम काफी अच्छी मात्रा में होता है। साथ ही जिन लोगों को जोड़ो का दर्द है, उन्हें भी इस तरह के अनाजों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस तरह के अनाजों में यूरिक एसिड की मात्रा काफी अधिक होती है, जो कि जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोगों के लिए सही नहीं मानी गई है। साथ ही हाइपोथायराइड और लो ब्लड प्रेशर के साथ स्टोन के मरीजों को भी अधिक मात्रा में मोटे अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।

 

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