img
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • the strongHER movement
  • bizruptors
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
होम / एन्गेज / खानपान / फ़ूड-ट्रेंड्स

जानिए 'कंफर्ट फूड' संस्कृति के बारे में

टीम Her Circle |  अक्टूबर 17, 2025

भारत का खान-पान पूरी दुनिया में लोकप्रिय माना जाता रहा है। ऐसे में अपने विस्तृत खान-पान के साथ-साथ यहां खास तरह का एक कंफर्ट फूड कल्चर भी है। आइए जानते हैं विस्तार से। 

क्या है कम्फर्ट फूड 

कंफर्ट फूड का मतलब है कि ऐसा खाना, जो आसानी से बन जाये और शरीर को भी नुकसान न पहुंचे। जी हां, ऐसे फूड आयटम, जो आपको अंदर से ऐसा महसूस कराते हैं कि आपने खाना अच्छे से खाया है, वे इस श्रेणी में आते हैं। यह सर्दियों के किसी भी ठंडे दिन में आपका मन प्रसन्न कर सकता है। यह आमतौर पर एक ही व्यंजन होता है और उसे बनाने में कोई बहुत अधिक ताम-झाम की जरूरत नहीं होती है, साथ ही यह यादों को ताजा करता है और पोषण और ऊर्जा प्रदान कर सकता है और आपके मन को भी एक तृप्ति देता है। आपको यह भी जानना जरूरी है कि एक आरामदायक भोजन एक बेहद निजी पसंद है। एक व्यक्ति का आरामदायक भोजन, दूसरे के लिए अलग हो सकता है। अगर गौर करें, तो भारतीय आरामदायक भोजन संस्कृति पुरानी यादों को ताजा करने वाले, घर में बने भोजन को खाने के लिए होता है और जो भावनात्मक और शारीरिक पोषण भी प्रदान करता है। इसकी पहचान सुगंधित मसालों, दाल-चावल और विभिन्न क्षेत्रीय करी जैसे खान-पान और व्यंजनों और पारिवारिक तरीके से भोजन बांटने के सामाजिक पहलू से होती है। 

तरह-तरह के कम्फर्ट फूड 

अगर बात करें कि दाल चावल की तो यह भारत के लोकप्रिय कम्फर्ट फूड में से एक है, खासतौर से दाल और चावल इनका मुख्य व्यंजन है, जिसे पूरे भारत में एक कम्फर्ट फूड के रूप में देखा जाता है। अगर बात करें आलू पराठे की, तो मसालेदार आलू से भरी एक चपटी रोटी के साथ इसे खाया जा सकता है और इसे दही या मक्खन के साथ परोसा जाता है। वहीं दक्षिण भारत के खान-पान की बात करें, तो इडली और डोसा और सांभर जैसे व्यंजन, जिन्हें आमतौर पर सांभर और चटनी के साथ परोसा जाता है, कम्फर्ट फूड माना जाता है और खिचड़ी पूरे भारत में कंफर्ट फूड के रूप में खाई जाती है, जिसे चावल और दाल से बेहद शौक से बनाया और खाया जाता है। इनके अलावा, छोले भटूरे, तली हुई रोटी के साथ मसालेदार छोले से बना एक व्यंजन, एक प्रिय उत्तर भारतीय आरामदायक भोजन है। वहीं अगर मालाबार के तरफ के फूड की बात करें, तो यह व्यंजन मछली को नारियल और सुगंधित मसालों के साथ मिलाता है, जो केरल के तटरेखा पर आम हैं। इमली के तीखेपन, नारियल के दूध की मिठास और मिर्च के तीखेपन के साथ, इस करी का एक अलग ही स्वाद है।

जानें यह भी 

यह जानना दिलचस्प है कि जब लोग काम करने या पढ़ाई करने के लिए विदेश जाते हैं, तो सबसे पहले वे खाना बनाने की ही कोशिश करते हैं और वहीं सीखते हैं और इस तरह कई कम्फर्ट फूड सामने आते हैं, कम्फर्ट फूड कई बार कई तरह के एक्सपेरिमेंट का ही नतीजा होता है। स्वीट कॉर्न सूप और टमाटर क्रीम सूप जैसे स्वादिष्ट और सबसे प्रसिद्ध आरामदायक भोजन है, साथ थी ये फूड आपको बीमार रहने पर फील गुड करवाते हैं। अपनी विविध भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं के कारण, भारत आरामदायक स्वादों की एक मनमोहक विविधता प्रदान करता है। प्रत्येक क्षेत्र की पाक परंपराएं उतनी ही विविध हैं। 

अंदाज में भी है कम्फर्ट 

भारत में कम्फर्ट का मतलब सिर्फ खाना ही नहीं, उसके खाने के तरीके में भी जुड़ा है, जैसे हाथों से भोजन करना यहां का तरीका है, साथ ही परंपरागत रूप से, भारतीय अपने दाहिने हाथ से भोजन करते हैं, ऐसा माना जाता है कि इससे भोजन का अनुभव बेहतर होता है और भोजन करने वाले को भोजन के सार से जोड़ा जाता है। वहीं यहां थाली का कल्चर है और यहां थाली एक बड़ी प्लेट होती है, जिसमें विभिन्न व्यंजनों के छोटे-छोटे हिस्से होते हैं, जो संपूर्णता का प्रतीक है और छह स्वाद प्रदान करती है: मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा, तीखा परोसा जाता  है, साथ ही भारतीय भोजन अक्सर पारिवारिक शैली में परोसा जाता है, जिससे मेज पर एकजुटता और सामुदायिक भावना को बढ़ावा मिलता है। वहीं अगर सांस्कृतिक विरासत की बात करें, तो भोजन सांस्कृतिक विरासत से गहराई से जुड़ा हुआ है, इसका उपयोग त्योहारों को मनाने, महत्वपूर्ण जीवन की घटनाओं को चिह्नित करने और समुदायों के भीतर सामाजिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

बचे हुए खाने में कम्फर्ट फूड

दरअसल, हमारे यहां कई बचे हुए खाने से कुछ नया बनाया जाता है, क्योंकि भारत में, भोजन भगवान के समान है और भोजन का सम्मान करने का अर्थ यह है कि किसी भी चीज को बर्बाद नहीं करना है और उसके हर हिस्से का उपयोग करना, यहां तक कि बचे हुए हिस्से का भी। साथ ही भारतीय व्यंजनों का एक सबसे उल्लेखनीय पहलू यह है कि बचे हुए खाने को भी आरामदायक और स्वादिष्ट भोजन में बदल दिया जाता है। वैसे उत्तर भारत में, चपाती, पराठे और नान जैसी गेहूं की रोटियां, यहां के भोजन का अभिन्न अंग हैं। तो एक दिन की बासी रोटियों को कई तरीके से खाया जाता है, जैसे बचे हुए चावल से कर्ड राइस, तो कभी लेमन राइस और ऐसे कई चावल बना लिए जाते हैं। दिलचस्प यह भी है कि हमारे यहां त्योहारों में जो मुख्य भोजन बच जाते हैं, उनसे भी कुछ नया कम्फर्ट फूड बना लिया जाता है। जैसे राजस्थान में किसी उत्सव के बाद, बची हुई बाटी को गुड़ या चीनी और घी के साथ मिलाकर बाटी का चूरमा बनाया जाता है। महाराष्ट्र में, बचे हुए चावल से अक्सर 'तकतला भात' बनाया जाता है, जो एक ठंडा और आरामदायक व्यंजन है जिसमें चावल को छाछ और मसालों के साथ पकाया जाता है। वहीं केरल में, ओणम की दावत के बाद, बचे हुए चावल से 'नेई चोरू' बनाया जाता है, जो घी से बना एक साधारण, लेकिन स्वादिष्ट व्यंजन है।

 

शेयर करें
img
लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle