दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की पूजा के साथ-साथ इस बात की भी धूम खूब रहती है कि तरह-तरह के स्ट्रीट फूड खाने का मौका मिलेगा। खासतौर से पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मेला घूमने और स्ट्रीट फूड का मजा लेने की संस्कृति कायम है। आइए जानें विस्तार से।
फुचका हो या पानी पुरी, मजा दोगुना ही है

जी हां, फुचका ऐसी चीज है, जिसको खाने में सभी को बहुत मजा आता है और मेले में अगर फुचका नहीं खाया तो क्या खाया, पश्चिम बंगाल में जहां आलू वाले फुचका की धूम रहती है, तो पानी पुरी के रूप में पूरे भारत के अलग-अलग राज्यों में इसका स्वाद चखा जाता है और इसलिए फुचका खाने में काफी मजा आता है। कभी भी फुचका खाना हो तो दुर्गा पूजा में एक बार बंगाल घूम के आ जाना चाहिए, आपको काफी मजा आएगा। फुचका अपने ग्रुप में भी दोस्तों के साथ खाने-पीने में काफी मजा आता है और हर इंसान इसको एन्जॉय करते रहना चाहता है। दरअसल, फुचका एक लोकप्रिय स्ट्रीट स्नैक जिसमें मसालेदार मसले हुए आलू, इमली का पानी और मसालों से भरी कुरकुरी पूरियां होती हैं।
काठी रोल
काठी रोल भी कोलकाता का एक टेस्टी फूड आयटम हैं, जिन्हें सबको खाना पसंद है, दुर्गा पूजा के हर मेले में आपको काठी रोल खाने का मौका मिल जायेगा। काठी रोल मुख्य रूप से लोग कोलकाता में खाते हैं, यह एक तरह का व्यंजन है, जो एक सींक पर भुना हुआ कबाब ("काठी") था, जिसे परतदार पराठे में लपेटा जाता था। इसे यात्रियों के लिए एक फटाफट बनने वाला आयटम माना जाता रहा है और आसान भोजन उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया था। आपको एक दिलचस्प जानकारी दे दें कि कोलकाता का निजाम रेस्टोरेंट इसके लिए लोकप्रिय है और इसे बनाने की शुरुआत रज़ा हसन साहब ने 1932 में निज़ाम रेस्टोरेंट में किया था।
"काठी" नाम "काठी" शब्द बंगाली शब्द "स्टिक" या "सींक" से आया है, जो कबाब को भूनने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सींकों को दर्शाता है। शुरुआत में इस व्यंजन में कबाब शामिल थे, लेकिन अब इस व्यंजन में चिकन और पनीर जैसी कई तरह की भरावन सामग्री शामिल हो गई है, और ये सभी काठी रोल के सामान्य नाम से जाने जाते हैं।
घुगनी

घुगनी यानी चने का आप इसे चाट कह सकते हैं, इसे भी लोग बेहद पसंद से खाते हैं और खूब एन्जॉय करते हैं। इसलिए भी लोगों को इसे खाने में काफी मजा आता है। घुगनी या गुगुनी नेपाल, भारत और बांग्लादेश में मटर या छोले से बना व्यंजन है। पकवान के विभिन्न रूपों में विभिन्न प्रकार के मटर या छोले का उपयोग किया जाता है, जैसे कि काले चने, हरे मटर, या सफेद मटर। इसे आमतौर पर नाश्ते में टोस्टेड ब्रेड या पूरी के साथ खाया जाता है, लेकिन इसे दोपहर या रात के खाने के मुख्य पाठ्यक्रम के रूप में भी परोसा जा सकता है। इसे प्याज और लहसुन के साथ या बिना बनाया जा सकता है। ओडिशा में घुगनी आमतौर पर इडली, चकुली, समोसा, मेदु वड़ा के साथ खाई जाती है। यह भारतीय उपमहाद्वीप की एक करी है। दुर्गा पूजा में मुख्य रूप से मेले में इसे खाने में काफी मजा आता है। मेले में सब इसे खाने में काफी पसंद करते हैं और उन्हें दोस्तों के साथ इस तरह से स्ट्रीट फूड एक्सप्लोर करने में भी मजा आता है। बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में, घुघनी को अक्सर धुस्का के साथ परोसा जाता है, जो खमीर उठे हुए चावल और दाल के घोल को तलकर बनाया जाता है। घुघनी आमतौर पर काले चने से बनाई जाती है। घुघनी और धुस्का का यह मिश्रण भोजपुर, मगधी और मैथिल व्यंजनों में लोकप्रिय है।
झालमुरी

झाल मुरी कोलकाता के सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड स्नैक्स में से एक है। इसमें बंगाली शब्द झाल का अर्थ है "मसालेदार" और मुरी का अर्थ है "मुरमुरे"। झाल मुरी सिर्फ मसालेदार मुरमुरे ही नहीं, बल्कि उससे भी कहीं बढ़कर है। अलग-अलग स्वादों, स्वादों और बनावट का मिश्रण एक स्वादिष्ट स्नैक बनाता है, जो मुंह में पानी ला देता है। मेले के दौरान पूरे पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश में स्ट्रीट में मिलेंगे और इन्हें खाने में काफी मजा आता है, यह स्नैक्स के रूप में खाया जाता है और इसे खाने में बहुत मजा आता है।
तेलिभाजा या तेलेभाजा
डीप फ्राई स्नैक्स की एक श्रेणी, जिसमें बेगुनी (बैंगन के पकौड़े) और आलूर चॉप (आलू के पकौड़े) शामिल हैं। तेलिभाजा एक टेस्टी आयटम है और यह स्नैक्स है, जिसे खाने में मजा आता है। तेलेभाजा तले हुए नाश्ते या पकौड़ों के लिए एक व्यापक स्नैक्स हैं, जो बंगाल में, खासकर कोलकाता में, और खासकर मानसून के मौसम में लोकप्रिय हैं। इसके लोकप्रिय उदाहरणों में बेगुनाही (बैंगन के पकौड़े), आलू चॉप (आलू के पकौड़े) और प्याजी (प्याज के पकौड़े) शामिल हैं, जो सभी बेसन और मसालों के घोल से बनाए जाते हैं। तेलेभाजा को अक्सर मुरमुरे (मुरमुरे) और कसौंदी नामक तीखे सरसों के पेस्ट के साथ परोसा जाता है।
जलेबी
मेले में जाएं और जलेबी न खाएं, ऐसा तो हो नहीं सकता, जी हां, जलेबी खाने का भी अपना ही मजा होता है, इसको खूब चाव में सभी खाते हैं और दोस्तों के साथ तो अधिक खाते हैं, इसलिए भी यह हर जगह मेले की खास डिश बन जाता है, जिसे सभी खा लेते हैं और एन्जॉय करते हैं।
सन्देश या सोंदेश
सन्देश या सोंदेश और मलाईदार मिष्टी दोई जैसी मुलायम बंगाली मिठाइयां त्योहारों के मौसम के लिए बेहद जरूरी हैं। और यह काफी टेस्टी भी लगती हैं और खाने में मजा भी इसमें बहुत आता है।
चाट
मेले में चाट खाने का भी अपना मजा है, जिसे लोग खूब एन्जॉय करके खाते हैं। इसके खाने की खूबी यह होती है कि चाट में टेस्टी-टेस्टी आयटम मिले होते हैं और टेस्टी चाट खाने का अपना ही मजा होता है। चाट एक स्वादिष्ट भारतीय स्ट्रीट स्नैक्स परिवार है, जिसे उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा खाया जाता है और अब यह पूरे दक्षिण एशिया में लोकप्रिय है। यह अपने मीठे, मसालेदार, नमकीन, तीखे और कुरकुरे स्वादों की जटिल परतों के लिए जाना जाता है। इसके मुख्य घटकों में अक्सर स्टार्च-आधारित आधार जैसे तली हुई ब्रेड या आलू, प्याज और टमाटर जैसी ताजी सब्जियां, विभिन्न मीठी और मसालेदार चटनियां, पतले छोले के नूडल्स (सेव) जैसा एक कुरकुरा तत्व, और चाट मसाला जैसे तीखे मसाला के मिश्रण से बनी होती है। आम किस्मों में तले हुए वेफर्स के साथ पापड़ी चाट, आलू की पैटी के साथ आलू टिक्की चाट और मुरमुरे से बनी भेल पूरी शामिल हैं। इसे खाने का भी लोगों का अपना अंदाज और मजा होता है, जिसे खाना लोग खूब एन्जॉय करते हैं और मेले में इनके ठेलों पर भीड़ लगी रहती है।
आलू लूची

सुबह के वक्त अगर कहीं खाने जाने का की प्लानिंग है और मेले में घूमने की प्लानिंग है, तो आलू लुची का स्वाद जरूर चखने की कोशिश करनी चाहिए, इसका एक अपना ही अलग मजा है। लूची पूरी (तली हुई चपटी रोटी) होती है, जो मैदे से बनाई जाती है और आलू मसालेदार आलू की ग्रेवी होती है, जिसे लूची के साथ परोसा जाता है। लूची आलू एक बंगाली मिठाई के साथ परोसा जाता है। इसे अपने वीकेंड ब्रंच या किसी खास मौके पर बनाएं।