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होम / एन्गेज / साहित्य / किताब-घर

विश्व संस्कृत दिवस- साहित्य की दुनिया में बसी संस्कृत की लोकप्रिय किताबें

टीम Her Circle |  अगस्त 10, 2025

विश्व संस्कृत दिवस के मौके पर एक बार फिर संस्कृत की दुनिया का सफर करते हैं। विश्व संस्कृत दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार को प्रोत्साहित करना है। यह दिवस खास तौर पर  9 अगस्त को हर साल मनाया जाता है। खासतौर पर संस्कृत को लोगों तक पहुंचाने के लिए मनाया जाता है। उल्लेखनीय है कि संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। वेद, उपनिषद, पुराण, गीत, रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथ इसी भाषा में लिखे गए हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि संस्कृत में पढ़ी जाने वाली कई सारी लोकप्रिय किताबें। आइए जानते हैं विस्तार से।

भगवद्गीता

भगवद्गीता संस्कृत की सबसे लोकप्रिय किताब है। इसके लेखक श्रीकृष्ण हैं और वेदव्यास द्वारा इसे संकलित किया गया है। इसमें खास तौर पर दर्शन, कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्ति आत्मा का स्वरूप दर्शाया गया है। इस किताब की खूबी यह है कि महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा  होने के बावजूद यह एक आजाद ग्रंथ के रूप में लोकप्रिय है। इसके 18 अध्यायों में जीवन का पूरा सार समाहित है। यह पुस्तक विश्व में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली संस्कृत पुस्तकों में से एक है। इसका अनेक भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है।

वेद पर आधारित संस्कृत किताब  'ऋग्वेद संहिता' की समीक्षा से जानें

संस्कृत में वेद पर आधारित कई सारी किताबें हैं। इसमें खासतौर पर ऋ्ग्वेद,यजुर्वेद,सामवेद, अर्थवेद का नाम शामिल है। इस किताब को विश्व की सबसे प्राचीन पु्स्तकों में से एक है। इस किताब में न केवल धार्मिक ज्ञान है बल्कि सामाजिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक तत्व भी शामिल है। इसमें ज्ञान, भक्ति, विज्ञान, दर्शन और समाज के हर पहलू से जुड़ी सूक्तियाँ संकलित हैं। "ऋग्वेद संहिता" न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह भारत की प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और चिंतन परंपरा का दर्पण भी है। ऋग्वेद की भाषा वैदिक संस्कृत है, जो कि साधारण संस्कृत भाषा से बिल्कुल अलग है।इसकी शैली खासतौर पर काव्यमय, प्रतीकात्मक है। उल्लेखनीय है कि ऋग्वेद भारतीय संस्कृति की आत्मा है। इसके साथ ही ऋग्वेद में कई महिलाओं का भी उल्लेख मिलता है, जैसे-लोपामुद्रा, घोषा, विश्ववारा,अपाला। वर्तमान में इस युग की उपयोगिता भी काफी अधिक है। खास तौर पर संस्कृत भाषा, काव्य, व्याकरण, छंद और दर्शन पढ़ने वाले छात्रों के लिए अहम किताब है। हालांकि संस्कृत पाठकों को पढ़ने के लिए कठिन हो सकती है। लेकिन इसका हिंदी में भी अनुवाद मौजूद है।

पंचतंत्र संस्कृत में पहली किताब की समीक्षा

दिलचस्प है कि संस्कृत साहित्य में यदि कोई ऐसा ग्रंथ है , जो ज्ञान, नीति और कहानी की रोचकता का अदभुत समन्वय प्रस्तुत करता है, तो उसका नाम पंचतंत्र है। यह किताब केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली किताबों में से एक है। इस किताब की लोकप्रियता का कारण इसकी सरल कहानियां और नैतिक शिक्षा की जानकारी देना है। इस ग्रंथ की रचना लेखक पंडित विष्णु शर्मा ने किया है। संस्कृत के साथ हिंदी में भी यह किताब मौजूद है। विदित हो कि पंचतंत्र की रचना के पीछे एक रोचक कथा जुड़ी हुई है। एक राजा की तीन पुत्रगण नीति, ज्ञान और व्यवहार में दुर्बल थे। राजा ने विद्वान विष्णु शर्मा को उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी सौंपा। विष्णु शर्मा ने उन्हें कठिन नीतिशास्त्र पढ़ाने के बजाय कहानियों के माध्यम से शिक्षा देने का रास्ता चुना। इसके बाद केवल उनके राज पुत्रों को शिक्षा मिली, इसके साथ ही जन-सामान्य के लिए भी काफी उपयोगी साबित हुई है। हिंदी के अलावा संस्कृत में भी इसे पढ़ा और समझा जा सकता है। आम संस्कृत भाषा में इसे लिखा गया है। हर कहानी के बीच उपयुक्त श्लोक को भी जोड़ा गया है। इस वजह से संस्कृत में पंचतंत्र सबसे अधिक लोकप्रिय किताब है।

‘हितोपदेश’ संस्कृत किताब की समीक्षा विस्तार से जानें

हितोपदेश का आधार पंचतंत्र को माना गया है। इसके लेखक नारायण पंडित है। हितोपदेश का हिंदी में अर्थ होता है- हित की शिक्षा देने वाला उपदेश। यानी कि ऐसा ग्रंथ जो व्यक्ति के हित में नीति और व्यवहार सिखाए। इस ग्रंथ का उद्देश्य बालकों को नीति , व्यवहार, बुद्धि की शिक्षा देना है। इसके अलावा इसमें लिखी हुई कथाओं के जरिए जीवन के वास्तविक पक्षों को समझाना भी है। संस्कृत भाषा के जरिए इस किताब के माध्यम से नैतिकता का प्रचार भी किया जा रहा है। हितोपदेश की प्रमुख खूबी यह है कि यह कहानी के जरिए उपदेश देता है। बच्चों के लिए इसे दिलचस्प बनाने के लिए पाक्षों के तौर पर पशुृ-पक्षी और मानव चरित्र को दिखाया गया है, जो कि पाठकों को मनोवैज्ञानिक तौर पर आकर्षित करता है। साथ ही कहानी को समझाने के लिए पुराणों, महाभारत, रामायण आदि से उदाहरण लिए गए हैं। हितोपदेश में प्रयुक्त संस्कृत भाषा अपेक्षाकृत सरल, स्पष्ट और रोचक है, जिससे यह विद्यार्थियों और आरंभिक संस्कृत शिक्षार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। हितोपदेश की लोकप्रिय कहानियों की बात की जाए, तो कौए और सांप की कथा, बंदल और मगरमच्छ की कथा, गधा और शेर की खाल, कछुए की कथा, बुद्धिमान सियार की चालाकी शामिल है। हितोपदेश केवल एक संस्कृत नीति-कथा संग्रह नहीं, बल्कि भारतीय नैतिक परंपरा का सार है। यह ऐसा ग्रंथ है जो केवल मनोरंजन नहीं करता, बल्कि जीवन के प्रत्येक मोड़ पर बुद्धिमत्ता, नैतिकता और विवेकपूर्ण निर्णय की प्रेरणा देता है।

‘अष्ठाध्यायी’ संस्कृत किताब की समीक्षा

इस ग्रंथ की रचना इस उद्देश्य के साथ की गई है कि कोई भी व्यक्ति संस्कृत भाषा के शुद्ध रूपों का निर्माण और प्रयोग कर सके। यह ग्रंथ खासतौर पर बताता है कि शब्दों का निर्माण कैसे होता है साथ ही यह ग्रंथ वाक्य- रचना और वाक्यों का प्रयोग करना भी बताता है। इसके लेखक का नाम पाणिनि है। इसके हर अध्याय में चार-चार हिस्से होते हैं। आप यह भी समझ सकती हैं कि यह विश्व का पहला औपचारिक भाषिक विश्लेषण किताब है। लेखक ने इस किताब को एक वैज्ञानिक संरचना के तौर पर प्रस्तुत किया है। शिक्षा के नजरिए से देखा जाए, तो संस्कृत व्याकरण के छात्रों के लिए यह मूल ग्रंथ है। शास्त्रीय पंडितों के लिए एक अनिवार्य ग्रंथ है।

संस्कृत के अन्य लोकप्रिय ग्रंथों की सूचि

आचार्य चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य नीति, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण , महाभारत को महर्षि वेदव्यास ने रचा है। जीनन ज्ञान पर आधारित किताबों में न्यायसूत्र, योगसूत्राणि, सांख्यकारिका और तत्वबोध का नाम शामिल है। इसके अलावा अन्य लोकप्रिय ग्रंथों में गीतगोविद्म, भक्ति सुधा, नीतिशतकम का नाम शामिल है।

संस्कृत की लोकप्रिय किताबें जिनका अंग्रेजी और हिंदी में हुआ अनुवाद

भगवदगीता, रामायण,योगसूत्र,अष्टाध्यायी, ऐसी लोकप्रिय किताबें हैं, जिनका सालों पहले हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद किया जा चुका है।अभिज्ञानशाकुन्तलम् का अंग्रेजी अनुवाद 18वीं शताब्दी में यूरोप में संस्कृत साहित्य के जरिए खोलने वाला प्रथम अनुवाद बना। इसके बाद भगवदगीता का अनुवाद किया गया। जिसका प्रभाव महात्मा गांधी, एस्डस हक्सले और ओपरा विन्फ्रे जैसे विचारकों पर भी प्रभाव डाल चुका है। पंचतंत्र का अनुवाद 150 से अधिक भाषाओं में किया जा चुका है। जिसकी वजह से यह विश्व की सबसे लोकप्रिय ग्रंथ बन गई।




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