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2025 ‘नोबेल पुरस्कार विजेता’ हंगेरियन लेखक लास्जलो क्रास्जनाोरकाई का लेखन और जीवन

टीम Her Circle |  अक्टूबर 26, 2025

साहित्य की दुनिया में एक बार फिर नोबेल पुरस्कार 2025 की घोषणा हुई है। इस बार साहित्य में साल 2025 का नोबेल पुरस्कार हंगरी के लेखक लास्जलो क्रास्जमाहोरकाई को दिया जाएगा। यह सम्मान उनके उपन्यास हर्स्ट 07769 के लिए दिया जाएगा।  हर्स्ट 07769 को एक महान समकालीन जर्मन उपन्यास माना गया है, जिसे एक ही वाक्य में लिखा गया है। नोबेल पुरस्कार की घोषणा के दौरान यह कहा गया है कि मध्य यूरोपीय परंपरा का एक महान महाकाव्य लेखक लास्जलो क्रास्जनोरकाई हैं। उनके लेखन की कोई सीमा नहीं है। 71 वर्ष के उपन्यासकार और पटकथा लेखक लास्जलो ने इससे पहले भी कई पुरस्कार को अपने  नाम किया है। उनकी यह खूबी रही है कि उदासी भरी कहानियां लिखने में वे माहिर हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।

लेखक लास्जलो  के बारे में विस्तार से

लाज्जलो क्रास्जनोरकाई का जन्म 5 जनवरी 1954 को हंगरी के दक्षिण-पूर्वी कस्बे में हुआ। उन्होंने अपने शिक्षा के शुरुआती दिनों कानून की शिक्षा ली और इसके बाद उन्होंने खुद को लेखन की दुनिया को सौंप दिया। अपनी लिखावट में उन्होंने हमेशा गहरी सोच को जन्म दिया है और उसी के आधार पर अपनी कहानियों को पंख दिए हैं। हालांकि अपने शुरुआती दौर में लेखन से पहले खेती को उन्होंने प्राथमिकता दी। लेकिन इस दौरान उन्होंने सामाजिक उपेक्षाओं के साथ मानवीय संघर्षों का भी सामना किया और इस दौरान उन्होंने खुद को संघर्षों के साथ लेखन की दुनिया में पहुंचाया।

निराश और उत्साह के बीच उनकी कहानी

 उनकी लोकप्रिय लेखनी का सफर 1980 के दशक के दौरान अधिक सक्रिय हुआ। उनकी पहली बड़ी कृति 1985 में प्रकाशित हुई, जो कि खेत और कस्बे में घटित जीवन की गहराई को दिखाती है। उनकी इस किताब का नाम Sátántangó रहा है, जो कि हंगरी के माहौल पर ही निर्भर रही है। उनके लेखन की सबसे बड़ी खूबी यह रही है कि उ कहानी के विचारों के प्रवाह में कहानी में खुद को समाहित पायेंगे। प्रतिकूल परिस्थितियां, मानवीय उम्मीदों को टूटना दिखाती है। निराश और उत्साह के बीच उनकी कहानी समाज का नया चित्रण पेश करती है। एक तरफ जहां उनकी कहानी में निराशा दिखाई देगी, तो उसी के दो कदम आगे बढ़कर उम्मीदें भी आपके हाथ लगती है। पारंपरिक उपन्यास से हटकर उन्होने अपनी रचनाओं से साहित्य की दुनिया को सोचने पर मजबूर किया है। 

प्रमुख कृतियां

किताबों की दुनिया से आगे बढ़कर क्रास्जनाॉर्काई ने अनेक फिल्मों के लिए भी पटकथा लिखी है। उदाहरण के तौर पर Sátántangó उपन्यास को लोकप्रिय निर्देशक बेला टर्र ने सात घंटे की फिल्म में बदला। देखा जाए, तो यह पहली बार नहीं है, जब क्रास्जनाॉर्काई को साहित्य पुरस्करा मिला है।यह हंगरी से साहित्य के क्षेत्र में यह दूसरा नॉबेल पुरस्कार है — पहले 2002 में Imre Kertész को मिला था। जैसा कि हम आपको पहले बता चुके हैं कि उनकी शैली “बहुत लंबी वाक्यों में, बिना पूर्ण विराम के बहती हुई”, जो पाठक को एक निरंतर धारा में ले जाती है।

  क्रास्जनाॉर्काई का लेखन

 क्रास्जनाॉर्काई का लेखन सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहा — उन्होंने अनेक फिल्मों के लिए पटकथा भी लिखी है और उनकी कृतियों को फिल्म रूप में अनुकूलित किया गया है। उदाहरण के लिए, उनकी संतांटैंगो उपन्यास को प्रसिद्ध निर्देशक Béla Tarr द्वारा लगभग सात-घंटे की फिल्म में रूपान्तरित किया गया। अपनी लेखनी के जरिए उन्होंने दुनिया में चल रहे विपरीत माहौल के बीच शांति को दिखाया है। लास्जलो हंगरी लोकप्रिय समकालीन लेखकों में से एक हैं। उनकी किताबें अक्सर दर्शनात्मक होती हैं। उनकी किताबों में आधुनिक समाज के संकटों का जिक्र भी होता है। 

हर्स्ट 07769 की समीक्षा

यह एक सामान्य उपन्यास नहीं है। यह एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण है और इसका लेखन आपको एक अनूठी रचना लेकर आता है। इस किताब की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह लगभग लंबी वाक्य में लिखा गया है। जहां पर लगभग पूरे उपन्यास में पारंपरिक पूर्ण विराम का उपयोग काफी कम किया गया है। इस किताब का मुख्य पात्र एक ठोसे से कस्बे में रहता है, जो कि एक कंपनी में नौकरी करता है और उसके आसपास और भीतर कई सारी विचित्र और खतरनाक और अस्त-व्यस्त चीजें होती रहती हैं। इस किताब की घटनाएं कई सारे विचित्र पात्रों से एक के बाद एक जुड़ची चली जाती हैं। अगर आप एक प्रयोग-धर्मी साहित्य को पसंद करती हैं, तो आप इस उपन्यास को पढ़ सकती हैं। हालांकि इस उपन्यास की एक चुनौती यह भी है कि अगर आप सरल सरंचना पढ़ना पसंद करती हैं और छोटे-छोटे अध्याय को पढ़ना पसंद करती हैं, तो यह उपन्यास आपको भारी लग सकता है।

जानें नोबेल पुरस्कार के बारे में विस्तार से

नोबेल पुरस्कार 121 बार किया जा चुका है। पिछले साल यह पुरस्कार दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को मिला। उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर के उपन्यास द वेजिटेरियन के लिए जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि नोबेल पुरस्कारों की स्थापना 1895 में हुई थी। साल 1901 में नोबेल पुरस्कार की स्थापना हुई और 2024 तक साहित्य के क्षेत्र में 121 लोगों को उनके लेखन और साहित्य के लिए सम्मानित किया जा चुका है। रविंद्रनाथ टैगोर एशिया के पहले ऐसे लेखक रहे हैं, जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। यह सम्मान उन्हें 1913 में लोकप्रिय किताब गीतांजलि के लिए दिया गया था। यह किताब कविताओं का एक संग्रह है। इस किताब में टैगोर ने जीवन, प्रकृति और भगवान के प्रति अपनी गहरी भावनाओं को आशान और सुंदर शब्दों में लिखा है। 

 

 

 

 

 

 







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