हिंदी साहित्य की पृष्ठभूमि पर कई सारे साहित्यकारों ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। खासतौर पर महिला लेखकों ने अपनी लेखनी से साहित्य की जमीन को रोशन किया है। इस फेहरिस्त में एक नाम क्षमा शर्मा का भी है। क्षमा शर्मा एक लोकप्रिय हिंदी बाल साहित्यकार हैं। पत्रकारिता में भी उनका अनुभव रहा है। उनका लेखन खास तौर से बच्चों के लिए और महिला मामलों को लेकर जागरूकता फैलाने वाला रहा है। उनके लेखन में साहित्य, कहानी संग्रह,बाल उपन्यास तथा बाल कहानियां शामिल हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
क्षमा शर्मा का जीवन परिचय

ज्ञात हो कि क्षमा शर्मा एम.ए. हिंदी में अपनी पढ़ाई पूरी की है। इसके साथ ही पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ी पढ़ाई- अध्ययन के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उल्लेखनीय है कि बच्चों की लेखनी उनके प्रमुख कामों में से एक हैं। उनकी लोकप्रिय और प्रमुख किताबों के बारे में बात की जाए, तो पहली पुस्तक 1982 में परी खरीदी थी। इसके बाद उन्होंने कहानी लिखी। काला कानून उनकी पहली कहानी संग्रह रही है। दिलचस्प है कि 37 साल तक क्षमा शर्मा बाल पत्रिका नंदन से जुड़ी रहीं और फिर संपादन का भी कार्य किया। क्षमा शर्मा का लेखन केवल लिखने और पढ़ने के साथ कहानियों तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि उन्होंने टीवी चैनल और रेडियो के लिए कहानियों का रूपांतरण भी किया। उन्हें भाषा अनुवाद की भी जानकारी रही है। क्षमा शर्मा ने चुनिंदा बाल कहानियां, नेम प्लेट, कस्बे की लड़की, घर-घर तथा अन्य कहानियां शामिल हैं।
क्षमा शर्मा को मिलने वाला पुरस्कार और सम्मान

साल 2022 में क्षमा शर्मा को साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार मिला। इसके अलावा उन्हें भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार और सम्मान मिल चुका है। इसके साथ ही दिल्ली हिंदी अकादमी द्वारा तीन बार सम्मानित किया गया है। खबरों के अनुसार इस साल हिंदी भाषा के बाल साहित्य पुरस्कार के लिए पहली बार किसी महिला साहित्यकार की रचना को यह पुरस्कार दिया जा रहा है। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक सूची नहीं मिली है कि पहले किसी महिला को यह सम्मान मिला है या नहीं। क्षमा शर्मा की लेखनी, विषय चयन, बच्चों की भावनाओं की संवेदनशीलता ने उन्हें बाल साहित्य की लेखनी में खास स्थान दिया है। दिलचस्प यह है कि महिलाओं से जुड़े मुद्दों को भी उन्होंने बाल साहित्य के जरिए उठाया है। सिर्फ कहानियां लिखना नहीं उन्होंने सामाजिक संवेदनाओं का संदेश भी दिया है।
बाल साहित्य में महिलाएं

बाल साहित्य के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान भी अधिक और दिलचस्प रहा है।अनके महिला लेखिकाओं ने बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए कई सारी रचनाएं लिखी हैं। इसमें महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, शिवानी का नाम शामिल है। इसके अलावा भी कई सारी महिला लेखिकाएं जैसे कि प्रेमलता मिश्रा और गीतांजलि श्री ने भी बाल साहित्य में अपना योगदान दिया है। हालांकि बाल साहित्य में महिलाओं की मौजूदगी दो तरह से देखी गई है। पहला जहां पर मां, दादी, नानी जैसे कई सारे पात्र हैं, जो कि नैतिकता का प्रतीक बने हैं, जिसके जरिए बच्चों को नैतिक शिक्षा दी जाती है। आप इसे नानी की कहानियां और मां के साथ दादी की सीख दी जाती है। दूसरी तरफ बाल साहित्य में नायिकाओं को दिखाया गया। हाल के सालों में महिलाओं को सशक्त और फैसला लेने वाली और साहसी तौर से प्रस्तुत किया गया। खासतौर पर राजकुमारी जो खुद की रक्षा करना और अपनी जिंदगी की खुद से कहानी लिखना जानती है। जो कि अपने सपनों को पूरा करने की सोच रखती है। लड़कियों की शिक्षा और महिला सशक्तिकरण को भी कहानियों में दिखाया है।
लोकप्रिय बाल कहानियों के बारे में विस्तार से

लोकप्रिय बाल कहानियों में सबसे पहले बारी आती है, पंचतंत्र की लोकप्रिय कहानियों की। लेखक विष्णु शर्मा ने पशु-पक्षियों के माध्यम से नैतिक शिक्षा का ज्ञान दिया है। इसमें लोकप्रिय कहानियों के बारे में बात की जाए, तो बंदर और मगरमच्छ, सिंह और चूहा, दो मित्र और भालू का नाम शामिल है। पंचतंत्र की कहानियां बच्चों को जीवन की सीख देती है। इसके बाद बच्चों के लिए लोकप्रिय कहानी की किताब हितोपदेश का नाम शामिल है। नारायण पंडित द्वारा लिखित यह किताब पंचतंत्र से प्रेरित है। इस किताब की लोकप्रिय कहानियां सियार और ड्रम और चालाक कौवा है। पंचतंत्र की तरह यह किताब भी जीवन को सकारात्मक तरीके से देखने और सही और गलत को समझते हुए नैतिकता की सीख देती है। बच्चों के लिए सबसे लोकप्रिय अकबर-बीरबल की कहानियां रही हैं। जहां पर बादशाह अकबर के पास चतुर बीरबल है, जो कि उनके लिए कई कठिन समस्याओं का जवाब तलाश लेते हैं। अ
लोकप्रिय कहानियां
अकबर और बीरबल की प्रमुख कहानियाँ बीरबल की खिचड़ी, सबसे बड़ा फूल शामिल है। अकबर और बीरबल की कहानियां न्याय और सतर्क रहने की सीख देती है। तेनालीराम की कहानियों का भी इसमें नाम शामिल है। यह एक हास्यास्पद और शिक्षा देने वाली कहानियां हैं। इसमें सबसे अधिक तेनालीराम और ठग, राजा और मूर्ख साधु सबसे लोकप्रिय है। तेनालीराम की सभी कहानियां समस्याओं का समाधान विवेक के साथ करने की सीख देती है। विश्व स्तर पर लोकप्रिय कहानियों के बारे में बात की जाए, तो सिंड्रेला सबसे लोकप्रिय कहानी रही है। यह कहानी एक गरीब लड़की की है, जो कि सौतेली मां के अत्याचार को सहती है और अंत में उसकी जिंदगी में राजकुमार आता है और उसकी शादी उसके साथ होती है। इसके बाद जिस कहानी को सबसे अधिक पसंद किया गया है, उसका नाम लाल टोपी वाली लड़की है। इस कहानी में एक लड़की है, जो कि दादी के घर में रहती है और एक भेड़िये से उसका सामना होती है। यह कहानी सीख देती है कि अनजान लोगों से कैसे सतर्क रहना चाहिए। इसके बाद एक और कहानी जिसे सबसे अधिक पसंद किया गया है, उसका नाम सोनपरी और तीन भालू है। यह कहानी सीख देती है कि दूसरों की चीज को कैसे सम्मान करना चाहिए।
बाल कहानियों की खूबी
बाल कहानियों की सबसे अधिक खूबी यह है कि इसे सरल भाषा में लिखा जाता है। साथ ही जीवन के मूल्यों को सिखाती है। बच्चे इस तरह की कहानियों से जुड़ते हैं, तो यह एक तरह से कल्पनाशीलता को विकसित करती है। इन कहानियों में बच्चों को पशु-पक्षी, पर्यावरण, बच्चे और परियों से जोड़ती है, जो कि बच्चों को सबसे अधिक पसंद आती है।