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होम / एन्गेज / साहित्य / किताब-घर

प्रिया मलिक की 5 खूबसूरत रचनाएं, हर शब्द जीत लेता है दिल

शिखा शर्मा |  सितंबर 02, 2022

प्रिया मलिक कौन हैं और क्या करती हैं, इसे एक शब्द में बयां करना आसान नहीं है। वह बहुत सी चीजें करती हैं, वह एक टेडएक्स स्पीकर हैं, एक अभिनेत्री हैं, एक स्टैंड-अप परफॉर्मर हैं , एक टीवी पर्सनैलिटी हैं, एक शिक्षक हैं, कवयित्री हैं, कहानीकार हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण एक लेखक और परफॉर्मर, जिनकी हाल में लोकप्रिय हुईं कविताएं, जैसे तुम प्यार करते हो, 2019 में 1999, तू बन शेरनी तू दिखा दम वायरल हुई हैं। वह हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लिखती और परफॉर्म करती हैं। जिनकी इतनी तारीफें हो रही हैं, उनकी लिखी हुईं कुछ कविताएं भी पढ़ें -

जैसे तुम प्यार करते हो 

चाहत जरूरी है, मोहब्बत जरूरी है, 

इबादत जरूरी है, जरूरत जरूरी हैं 

लेकिन जरूरी नहीं कि तुम्हारे हर मेसेज का तुरंत जवाब आए

जरूरी नहीं कि तुम्हें विडियो कॉल करने के लिए वो 4G कनेक्शन लगवाए

जरूरी नहीं कि तुम्हारी हर फोटो पर उसका लाइक और कमेंट भी आए

जरूरी नहीं कि गुड मॉर्निंग के बाद रात को गुड नाईट का मैसेज भी आए 

क्योंकि जरूरी नहीं कि जैसे तुम प्यार करते हो, 

तुम्हारा प्रेमी ठीक वैसे ही प्यार जताए।

जरूरी नहीं कि सागर हमेशा नदी के इंतजार में हो

जरूरी नहीं कि परवाना हमेशा लौ के प्यार में हो

शायद सागर जानता हो कि अंत में नदी उसमें ही समाएगी

शायद परवाना समझता हो कि ये तो लौ है, बुझ ही जाएगी,  जिससे मिलना ही है उसके इन्तजार में रातें क्यों बिताए जिसे बुझना ही है उसे बार-बार, बार-बार क्यों जलाएं

प्यार और इश्क का फर्क समझने में हम मोहब्बत न भूल जाए

तो बस इतना याद रखिए कि जरूरी नहीं कि जैसे तुम प्यार करते हो 

तुम्हारा प्रेमी ठीक वैसे ही प्यार जताए।

लेकिन फर्ज करो, फर्ज करो की वो वॉइस कॉल करे सिर्फ तुम्हारी सांसों की आवाज सुनने के लिए 

फर्ज करो कि वो विडियो कॉल करे सिर्फ तुम्हारे माथे की शिकन हटाने के लिए 

फर्ज करो कि उसकी फोन स्क्रीन पर जब जब तुम्हारा नाम आता हो 

वो सजदे में झुक कर तुम्हारे होने का शुक्र मनाता हो

फर्ज करो कि तुम्हारे हर लफ्ज को वो अपने जहन में बिठाए 

फर्ज करो कि तुम्हें देखकर उसे गुलजार की कोई नज्म याद आए

फर्ज करो कि उस नज्म को वो तुम्हें 116 चांद की रातें सुनाएं 

फर्ज करो कि वो अमृता की तरह तुमसे फिर मिलने की आस लगाए 

और तुम में सिर्फ साहिर की अस्थायी नहीं इमरोज का ठहराव भी पाए

फर्ज करो, सोचो, सपने देखो, उम्मीद भी रखो 

लेकिन फिर भी याद रखो कि जरूरी नहीं कि जैसे तुम प्यार करते हो 

तुम्हारा प्रेमी ठीक वैसे ही प्यार जताए।

अपने प्रेमी को उसकी खुद की नज्म लिखने दो 

उसको अपनी कहानी अपनी जुबानी व्यक्त करने दो

प्यार की भाषा को पूरी तरह कभी जानना नहीं पड़ता 

और जिससे प्रेम मिलना चाहिए उससे कभी माँगना नहीं पड़ता

ज़रूरी बस इतना है कि जिससे तुम प्यार करते हो 

वो अपने तरीके से, अपनी तरह से 

लेकिन पूरी चाह से प्यार तो जताए

और सिर्फ जरूरत नहीं, चाहत बन जाए,

मोहब्बत बन जाए,

इबादत बन जाए।

चाय ठंडी हो रही है

आज के अखबार की सबसे अच्छी खबर हो तुम

जो अच्छी खबर के इंतजार में है उनके लिए सब्र हो तुम

दिन चढ़ने का हल्ला और शोर हो तुम 

उड़ती पतंग की लहराती हुई डोर हो तुम 

नीमख्वाबी में उगते हुए सूरज की लाली हो तुम

मेरी सुबह की चाय की पहली प्याली हो तुम 

सरकार की खारिज वादों से नहीं हो तुम 

शेयर मार्केट के उतार चढ़ावों से नहीं हो तुम 

नहीं हो तुम बदलते मौसम की तरह 

या क्रिप्टो करेंसी के अटपटे कॉइन्स की तरह, 

जो नौकरी ढूंढ रहे हैं उनके लिए काम हो तुम

भागती दौड़ती मां के दो पल का आराम हो तुम 

गली में खेलते हुए बच्चों की मुस्कान हो तुम 

जिसकी बैटिंग में सेंचुरी लग गई हो उसकी शान हो तुम

देखो सब्जीवाला भी तुम्हारा नाम लेकर पुकार रहा है अपने ग्राहक को 

नफा और नुकसान की बात नहीं, लोग तरस रहे हैं तुम्हारी आहट को 

तुम्हारे लिए आज ना जाने कितनों ने दिल से मन्नत मांगी है

भगवान का नंबर डायल किया तो उनकी लाइन भी बिजी आती है

बाबा के ऑफिस का लंच ब्रेक हो तुम 

शर्माजी के बेटे की फर्स्ट डिविजन का केक हो तुम 

फाइलों के बीच रखा हुआ एप्रिसिएशन लेटर हो तुम 

कैंटीन के खाने से तो बहुत बेटर हो तुम 

सबसे नीचे वाले डब्बे में रखी गुड़ की डाली हो तुम 

मेरी दोपहर की चाय की पहली प्याली हो तुम 

सड़क के हॉर्न बजने की आवाज से लेकर नाश्ते से लेकर खाने में क्या बनेगा?

ऑफिस में आज कितनी फाइलें पेंडिंग रहेंगी?

कौन से स्टॉक का आज भाव गिरेगा?

सब कुछ होने के लिए तुम्हारा होना भी तो जरूरी है 

ये गरम चाय की प्याली बिन तुम्हारे हमेशा अधूरी है

अब एक ऐसी बात कहूंगी जो मैंने तुम्हें हजार बार बोली है जल्दी आओ!! चाय ठंडी हो रही है।

तू बन शेरनी, तू दिखा दम

शेरनी हूं और एक मां भी 

मै दहाड़ती हूं 

आवाज मेरी जितनी दबाओ, मैं उतना हूंकारती हूं।

दुश्मन चाहे कितने भी हो, उन सबको ललकारती हूं। 

कहा ना एक मां हूं मैं सबको पछाड़ती हूं

लोग अक्सर भूल जाया करते हैं कि एक शेरनी जब मां बनती है

तब वो सबसे ज्यादा ताकतवर होती है

जख्मी हो सकती है, लेकिन शिकार में माहिर भी तो होती है शिकार बन ना जाऊं इसलिए शिकार करने चली हूं 

दोस्ती और दुश्मनी का सार समझने चली हूं, 

क्या सही है और क्या गलत ये फर्क मैं जानने चली हूं

इस धर्म संकट को अपने कर्मों से मैं संभालने चली हूं 

इस सही और गलत की लड़ाई में मटके की मिट्टी से पक्का रंग है मेरा 

इस हार जीत की तबाही में चट्टानों की शक्ति से दृढ़ प्रण है मेरा 

अपनों की रक्षा करना ही धर्म है मेरा 

दुश्मन को पराजित करना ही अब कर्म है मेरा

अपनों से धोखा खाकर भी चल रही हूं अपने रास्ते

जो रास्ते में आएगा खत्म कर दूंगी परिवार के वास्ते 

मेरा प्यार एक वार है

मेरा प्यार एक दहाड़ है

मेरी नफरत एक जंग है

बजा आज युद्ध शंख है

मुझे आग में कुदते देखा, सारी दुनिया दंग है

इस आग की लपटों से ही मशाल मैंने जलायी है

ध्यान से देख ले मुझे मेरी लकीरों में तेरी तबाही है

अपनों के वार करने की वजह से ही तो मैं घायल हुई 

अकेली हूं इस रास्ते पर लेकिन कभी कायर नहीं हूई

सिखाया है जिंदगी ने कि भरोसा वही तोड़ते हैं, जिनपे भरोसा किया जाता है 

लेकिन जीतते वो है जिनका नाम मरने के बाद भी लिया जाता है

तो नाम याद रखो मेरा तेरे काम जरूर आएगा

तेरा राम नाम जब सत्य होगा मेरा नाम तेरी जुबां पर आएगा 

आर्या कहते है सब मुझे मैं पार्वती भी हूं और दुर्गा भी, 

आज मैंने तुझे ललकारा है तू युद्धभूमि में आ तो सही

2019 में 1999

आई फोन टेन के जमाने में नोकिया  3810 ढूंढ रही हूं 

सोयामिल्क कॉफी के जमाने में एक अदरक वाली चाय ढूंढ रही हूं 

जुकीनी नूडल्स के जमाने में मैं वेजिटेरियन चाउमीन ढूंढ रही हूं 

हाई स्पीड ब्रॉडबैंड के जमाने में सिर्फ डाइल अप कनेक्शन ढूंढ रही हूं 

इंस्टाग्राम स्टोरीज के जमाने में कहानियां सुनने और सुनाने वाला ढूंढ रही हूं 

मैं 2019 में 1999 ढूंढ रही हूं 

जिसे नेटफ्लिक्स का क्रेज न होकर 

श्रीमान श्रीमती का चस्का हो 

जो फैट फ्री आलमंड बटर ना होकर 

फ्रेश पाव पे लगा मस्का हो 

जो कीटो डाइट में नहीं 

रोटी दाल चावल में विश्वास रखता हो

जो सिर्फ अरमानी  और गुची में नहीं 

सादे कपड़ों में भी खास लगता हो

जिसे मेरी स्वतंत्रता पे काबू नहीं, 

मेरे दिल में जगह बनानी हो 

जिसे सिर्फ हवाएं नफस की परवाह नहीं, 

मेरी खैर-ओ-आफियत की बेचैनी हो 

जिसे ना डर लगे मेरी साड़ी से 

ना खौफ हो मेरी मिनी स्कर्ट का

जो सिर्फ वाकिफ ही नहीं लेकिन अकीदा भी हो

मेरी फेमिनिज्म के सभी दलीलों का 

जिसे ना मेरी कमिटमेंट से डर लगे 

ना स्पेस मांगने की जरूरत पड़े 

जिसे कुफ्र की तिश्नगी हो 

जो मुहब्बत को शिद्दत से करे

नो स्ट्रिंग्स अटैच्ड की दुनिया में

रगबत का कालीन बुनने वाला ढूंढ रही हूं 

माई प्लेस और योर चॉइस की दुनिया में अपने नशेमन को मेरे आगोश में ढूंढने वाला ढूंढ रही हूं 

मैं 2019 में 1999 ढूंढ रही हूं

मैं तुम्हें फिर मिलूंगी

मैं तुम्हें फिर मिलूंगी 

कहां, कैसे, किस तरह 

मुझे सब पता है

जरूर तुम्हारी सुबह की पहली चाय में 

इलायची बनके महकुंगी 

या जैसे पत्ती चाय का रंग स्याह करती है 

मैं अपने इश्क़ की एक चम्मच डुबोए

गरम चाय की प्याली बन 

तुम्हारी मखमली जबान पर लगूंगी  

मुझे पता है ठीक कहां, कैसे, किस तरह

मैं तुम्हें फिर मिलूंगी

या एक पैकेट में बैठी मिलूंगी 

जिसे खोल तुम एक सिगरेट निकाल 

अपनी उंगलियों से तराशते हो

मैं उस धुएं का एक लंबा सा कश बन कर

तुम्हारे होठों से मिलूंगी

तुम्हारी सांसों से कुछ देर बात कर 

सुकून की एक गहरी आह बनके

तुम्हारी छाती में रहूंगी 

मुझे पता है ठीक कहां, कैसे, किस तरह

मैं तुम्हें फिर मिलूंगी

मैं और कुछ नहीं जानती बस इतना जानती हूं

कि वक्त से जूझकर, नसीब को चीर कर

रेखाओं को तोड़कर तुम्हें आना पड़ेगा

और अगले हर जन्म में मेरा साथ निभाना पड़ेगा

मैं भी जूझुंगी, चिरूंगी, तोड़ूंगी

वक़्त, नसीब, रेखाएं और तुम्हें फिर मिलूंगी 

मैं तुम्हे फिर मिलूंगी

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