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होम / एन्गेज / साहित्य / किताब-घर

लोकप्रिय महिलाओं की आत्मकथा में नारी दृष्टिकोण, जानें विस्तार से

टीम Her Circle |  मई 12, 2025

भारत में ऐसी कई सारी प्रेरणादायी महिलाएं हैं, जिनका जीवन और उनके किए गए काम मार्गदर्शन का काम करते हैं। किताबों की दुनिया में अगर आप इन सारी आत्मकथाओं से रूबरू न हुए, तो आप साहित्य की दुनिया से मिलने वाली सबसे अनोखी भेंट को अनदेखा कर देंगे। अगर आप पढ़ने का शौक न भी रखते हैं, फिर भी आपको साल में कम से 3 प्रेरणादायी महिलाओं की आत्मकथाओं को जरूर पढ़ना चाहिए। क्योंकि इन आत्मकथाओं के माध्यम से हम न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन की कहानी जान पाते हैं, बल्कि उनके संघर्षों, सोच, सामाजिक हालात और नारीवाद के दृष्टिकोण को भी समझ सकते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।

इंदिरा गांधी की आत्मकथा- माय ट्रुथ 

इंदिरा गांधी अपने राजनीतिक और निजी जीवन में खुद फैसले लेने वाली महिला के तौर में सामने आती हैं। उन्होंने पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को चुनौती दी और भारत जैसे पितृसत्तात्मक समाज में एक शक्तिशाली महिला नेता बनकर उभरीं। उन्होंने पुस्तक में इस बात का उल्लेख किया है कि किस तरह उन्हें एक महिला होने के नाते कई बार कम आंका गया है। वह यह भी स्वीकारती हैं कि उन्हें अपनी शक्ति और फैसलों के बारे में साबित करना पड़ा। इससे हर भारतीय वाकिफ है कि इंदिरा गांधी महिलाओं के सशक्तिकरण में यकीन रखती हैं। उनके कई भाषणों और पुस्तक में भी यह भावना झलकती है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर होना चाहिए। उन्होंने बताया है कि महिलाओं को शिक्षा, आत्मबल और फैसला लेने की क्षमता होनी चाहिए। इसके अलावा अपनी इस आत्मकथा में उन्होंने अपने संघर्षों और भावनाओं को संयमित तरीके से प्रस्तुत भी किया है, जिससे यह धारणा मिलती है कि कोई भी महिला कमजोर नहीं होती है, बल्कि शक्ति का एक केंद्र होती है। आप पढ़ने पर पायेंगे कि इंदिरा गांधी की यह आत्मकथा एक महिला के संघर्ष और आत्मनिर्भरता का एक सशक्त उदाहरण है। हर महिला को एक दफा जरूर यह आत्मकथा जरूर पढ़नी चाहिए।

अमृता प्रीतम की आत्मकथा- रसीदी टिकट

प्रेम में नारी की आवाज अमृता प्रीतम के जीवन को दिखाती है। उल्लेखनीय है कि अमृता प्रीतम विशेषकर साहिर लुधियानवी और इमरोज के प्रति एक महिला की इच्छाओं, संवेदनाओं और आत्म स्वीकृति का दस्तावेज है। अमृता प्रीतम प्रेम को समर्पण के साथ जीती हैं, लेकिन आत्म-सम्मान से समझौता नहीं करतीं। उन्होंने अपनी आत्मकथा में कहा है कि मैंने किसी पुरुष की परछाईं बनने से इनकार किया- मैं स्वयं की रोशनी बनना चाहती थी। उन्होंने इसके अलावा पितृसत्तामक ढांचे का विरोध भी किया है। अमृता प्रीतम ने अपने वैवाहिक जीवन को ईमानदारी के साथ लिखा हुआ है। उन्होंने बताया है कि एक ऐसा रिश्ता जिसमें प्यार नहीं था और जिसे समाज ने धर्म बना रखा था। उन्होंने उस विवाह को त्यागने का साहस किया, जो उस समय की किसी भी सभ्य महिला के लिए बगावत मानी जाती थी। इसके अलावा उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि एक औरत को अपनी कलम से खुद को लिखने का हक होना चाहिए- बिना किसी सामाजिक बंदिश या नैतिक पहरे के। रसीदी  टिकट में अमृता प्रीतम का नारी दृष्टिकोण विद्रोही, आत्मचेतस, और संवेदनशील है। यह आत्मकथा भारतीय स्त्री-जीवन के पारंपरिक ढांचों को चुनौती देती है और एक नई सोच, एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर स्त्री की पहचान गढ़ती है।

मलाला यूसुफजई- आई ऍम मलाला 

मलाला यूसुफजई की आत्मकथा आए एम मलाला कई मायने में एक महिला के जीवन के बुनियादी संघर्षों को दिखाती है, संघर्ष ऐसा जिससे एक लड़की का पूरा भविष्य जुड़ा हुआ है। इस किताब में मलाला ने अपनी कहानी को एक ऐसे समाज के संदर्भ में बताया है, जहां लड़कियों की शिक्षा को कमतर समझा जाता है और उनकी आजादी पर पहरा दिया जाता है। इस किताब में मलाला ने अपने निजी जीवन की लड़ाई को साझा किया है। उन्होंने बताया है कि हर लड़की को अपने अधिकारों के लिए लढ़ना चाहिए। अपनी भावनाओं, अपनी सोच और अपने विचारों को दबाने की कोशिश नहीं करना चाहिए। मलाला ने अपनी किताब में न केवल अपनी शारीरिक और मानसिक पीड़ा का उल्लेख किया है बल्कि यह भी दिखाया है कि महिलाओं में सहनशीलता और शक्ति दोनों हो सकती है। मलाला ने बताया है कि कैसे गोली लगने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने मिशन को जारी रखा। अपने इस साहसिक कदम से मलाला ने यह सिद्ध किया है कि नारी न केवल सशक्त हो सकती है, बल्कि वह अपनी पीड़ा से भी अपनी शक्ति का निर्माण कर सकती है।

 कल्पना चावला की आत्मकथा- अ लाइफ 

महिलाओं के लिए कोई सपना बड़ा नहीं होता ,इस वाक्य को कल्पना चावला ने अपनी प्रतिभा से साबित किया है। उन्होंने विज्ञान, तकनीकी और अंतरिक्ष जैसी पारंपरिक दुनिया, जहां पर पुरुषों का वर्चस्व रहा है. वहां पर अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज की है। कल्पना चावला की कहानी न केवल एक महिला के संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि नारी के लिए आत्मविश्वास समर्पण और कठिन परिश्रम से कोई भी सीमा पार की जा सकती है। उन्होंने अपनी आत्मकथा में यह भी दर्शाया है कि एक भारतीय लड़की के लिए अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना एक नामुमकिन सा लगता था। लेकिन उसने पारंपरिक सीमाओं और धारणाओं को तोड़ते हुए यह साबित किया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं। यह नारीवादी दृष्टिकोण का साफ उदाहरण भी बताता है। इस आत्मकथा में उन्होंने यह भी बताया है कि नारी के लिए सफल होने का रास्ता कठिन हो सकता है. लेकिन वह कड़ी मेहनत और संकल्प से उसे तय कर सकती है। उनकी यह आत्मकथा प्रेरणादायक और समृद्ध कहानी है। उनकी आत्मकथा हमें सिखाती है कि महिलाओं के लिए कोई भी सपना बड़ा नहीं होता है। उनकी यात्रा, उनके संघर्षों और उनकी सफलताओं की ऐसी कहानी दिखाती है, जो यह बताती है कि लिंग कभी-भी किसी महिला की सफलता में मुश्किल नहीं डाल सकती है। खुद पर यकीन आपकी हर उड़ान को पंख दे सकती है।

माया एंजेलो की आत्मकथा- आई नो व्हाय द किंग बर्ड सिंग 

  यह आत्मकथा माया एंजेलो के बचपन, उनके संघर्ष, मानसिक आघात, और आत्मनिर्भरता की कहानी है। इसमें एक महिला के रूप में उनके अनुभवों, उनके आत्म-सम्मान और अपनी पहचान की तलाश को भी गहराई से दिखाया गया है। उन्होंने बताया है कि महिला के रूप में आत्मनिर्भरता प्रमुख है। उनका जीवन इस विचार को प्रस्तुत करता है कि एक महिला को अपनी पहचान और अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की आवश्यकता होती है.। उन्होंने यह भी बताया है कि कैसे एक महिला के जीवन में दूसरी महिला की भागीदारी आपसी सहयोग और समर्थन का योगदान देती है। माया ने अपनी कठिनाइयों के बीच भी यह समझा कि महिलाओं का आपस में सहयोग और समर्थन कितना महत्वपूर्ण होता है। उनके लिए यह संदेश था कि महिलाएं एक-दूसरे को सहारा देने के माध्यम से मजबूत होती हैं। आत्मकथा में यह स्पष्ट होता है कि माया को अपनी पहचान, अपनी आस्था और अपनी सच्चाई को स्थापित करने का संघर्ष करना पड़ा। उनका जीवन यह दर्शाता है कि महिलाओं के लिए अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानना और उस पर विश्वास रखना कितनी महत्वपूर्ण बात है। यह आत्मकथा न केवल महिलाओं के शारीरिक और मानसिक संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि यह आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता के प्रति नारी की अपार शक्ति को भी उजागर करती है।




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