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होम / एन्गेज / साहित्य / किताब-घर

जीवन के नैतिक मूल्यों को सिखाती हैं पंचतंत्र की कहानियां

टीम Her Circle |  मई 22, 2024

हमें बचपन से ही पंचतंत्र की कहानियां सुनाई और पढ़ाई जा रही हैं, आखिर ऐसा क्या है इन कहानियों में कि आज भी यह प्रासंगिक हैं, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 

क्या हैं पंचतंत्र की कहानियां

लेखक भारतीय आचार्य विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र की कहानियां लिखी हैं। दरअसल, गौर करें तो पंचतंत्र की कहानियों में आपको नीतियों के साथ-साथ कथा और कहानियों का संग्रह नजर आएगा। गौरतलब है कि इसके रचयिता मशहूर भारतीय आचार्य विष्णु शर्मा है। पंचतंत्र की कहानियां मुख्य रूप से बच्चों के लिए लिखी गई है, जिनमें बच्चे भी काफी रुचि रखते हैं। इन कहानियों की खास बात यह होती है कि इन पंचतंत्र की कहानियों में मूल रूप से शिक्षा के कोई न कोई गुर सीखे हैं, जो नैतिक मूल्यों को खूब दर्शाते हैं। साथ ही बच्चों को और बड़ों को भी सीख देते हैं। यह हमारे अध्याय की पुस्तकों में भी रही हैं। 

पंचतंत्र के भाग 

अगर हम पंचतंत्र के भागों की बात करेंगे, तो हमें इस बारे में जरूर जानना चाहिए कि यह पांच भागों में बंटे हुए हैं। इन पांच भागों के बारे में हमें जरूर जानना भी चाहिए। इन पांच भागों में मित्रसंप्राप्ति, संधि-विग्रह, लब्ध प्रणाश, अपरीक्षित कारक, मित्रभेद और मित्रलाभ शामिल हैं। 

कौन हैं आचार्य विष्णु 

अगर हम इस बात पर गौर करें कि आचार्य विष्णु कौन हैं, तो हम आपको उनके बारे में विस्तार से बताना चाहेंगे कि  आचार्य विष्णु संस्कृत के मशहूर लेखक रहे हैं और उन्होंने ही संस्कृति की नीति के लेखक के रूप में भी ख्याति हासिल की है और उसके लेखक माने जाते हैं, वह पंचतंत्र के भी लेखक रहे हैं। बता दें कि 40 साल की उम्र में उन्होंने अपने जीवन में यह सपना पूरा कर लिया था और इस ग्रंथ को तैयार कर लिया था। अगर इस बात की चर्चा की जाए कि वह कहां से सम्बन्ध रखते थे, तो आपको बता दें कि उनका ताल्लुक दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर से था। दरअसल, इनसे जुड़ी एक लोकप्रिय मान्यता पर आधारित कहानी यह थी कि एक राजा के 3 मूर्ख पुत्र थे और उन्हें कुछ सिखाने की कोशिश और जिम्मेदारी विष्णु शर्मा को दी गई थी। विष्णु शर्मा ने उन्हें पढ़ाने के लिए एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला था और सीधे तरीके से नहीं पढ़ा कर, उन्हें अलग तरीके से पढ़ाना तय किया। जी हां, उन्होंने उन बच्चों को कथाओं के माध्यम से सीखाना और पढ़ाना शुरू किया और इसके लिए उन्होंने उदाहरण और कैरेक्टर या किरदार के रूप में जानवरों को चुना और फिर इस तरह से कथाओं के माध्यम से पढ़ाने का निश्चय किया। बस फिर क्या था, उन्होंने अपनी सूझ-बूझ से ऐसा ढांचा तैयार कर लिया और पांच समूह में इसे बनाया और फिर 2000 साल पहले बन कर तैयार हुआ, जो कि आज भी प्रासंगिक हैं। हालांकि एक आधार यह भी माना जाता है कि पंचतंत्र की रचना चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में ही हुई है और इसका रचना काल 300 ईसा पूर्व को तय माना जाता है। 

पंचतंत्र की कहानियां 

संगठन में शक्ति है

पंचतंत्र की कई ऐसी कहानियां हैं, जो काफी लोकप्रिय रही हैं और बच्चों को सीखने और सिखाने के लिए किसी कुंजी से कम नहीं हैं। आइए पढ़ें संगठन की शक्ति की एक कहानी। 

एक बार एक बूढ़ा किसान था। उसके चार पुत्र थे। वह एक-दूसरे से सदैव झगड़ते थे। बूढ़े किसान ने अपने पुत्रों को नहीं झगड़ने की सलाह दी, किन्तु सब व्यर्थ गया। एक दिन वह किसान बहुत बीमार हो गया। उसने अपने पुत्रों को बुलाया। उसने उन्हें लकड़ियों का एक बंडल दिया और तोड़ने को कहा। कोई भी इसे नहीं तोड़ सका। उसने इस बंडल को खोलने को कहा। फिर किसान ने अपने लड़कों को लकड़ियां तोड़ने को कहा। उन्होंने एक-एक करके सरलता से लकड़ियां तोड़ दीं। अब किसान ने अपने लड़कों से कहा-“यदि तुम लकड़ियों के बंडल की तरह इकट्ठे (संगठित) रहोगे, कोई तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। यदि तुम झगड़ोगे, कोई भी तुम्हें नुकसान पहुंचा सकता है।” उसके लड़कों ने एक शिक्षा ली। वे फिर कभी भी नहीं झगड़े। किसान प्रसन्न हुआ। यह कहानी सिखाती है कि क्यों हमेशा एकता में बल होती है। 

लालच बुरी बला 

लालच को बुरी बला क्यों कहते हैं, इसके बारे में आपको जानना ही चाहिए। इस लिहाज से आपको यह कहानी जाननी चाहिए। 

एक लालची कुत्ता 

एक बार एक कुत्ता बहुत भूखा था। वह भोजन की तलाश में इधर-उधर गया। उसे कसाई की दुकान के पास हड्डी का एक टुकड़ा मिला। वहाँ पानी का एक नाला था। नाले के ऊपर एक पुल था। वह पुल को पार कर रहा था। कुत्ते ने अपनी परछाईं पानी में देखी। कुत्ते ने सोचा कि हड्डी का टुकड़ा लिये हुए यह दूसरा कुत्ता कौन है? कुत्ता लालची था। वह उस टुकड़े को भी लेना चाहता था। वह उसकी तरफ भौंका। इसका टुकड़ा पानी में गिर गया। वह बहुत दुखी हुआ। यह कहानी हमें सिखाती है कि संतुष्ट होना जरूरी है, हमेशा आपको अधिक लालच नहीं करना चाहिए। 

ईमानदारी का जीवन जिएं 

हमेशा अपना जीवन ईमानदारी से क्यों जीना जरूरी है, यह हमें पंचतंत्र की कहानियों को पढ़ने के बाद जानने का मौका मिलता है, आइए ऐसी एक कहानी पढ़ते हैं। 

गरीब लकड़हारा 

एक बार एक गरीब लकड़हारा था। वह प्रतिदिन लकड़ी काटने जाता था। एक दिन वह नदी के निकट लकड़ी काट रहा था। उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। वह रोया और सहायता के लिए चिल्लाया। इस बीच जल-देवता प्रकट हुए और सोने की एक कुल्हाड़ी लाये। लकड़हारे ने इसे लेने से मनाकर दिया। फिर देवता चांदी की एक कुल्हाड़ी लाये। उसने लकड़हारे से उस कुल्हाड़ी को लेने को कहा। उसने उसे भी लेने से मना कर दिया क्योंकि वह उसकी कुल्हाड़ी नहीं थी। फिर जल-देवता उसकी असली कुल्हाड़ी लाया। उसने लकड़हारे से इसे लेने के लिये कहा। उसने इसे ले ली। जल-देवता उसकी ईमानदारी पर बहुत खुश हुए। उसने तीनों कुल्हाड़ियां उसे दे दी। वह बहुत प्रसन्न हुआ और देवता को धन्यवाद दिया। इससे स्पष्ट होता है कि ईमानदारी ही जीवन में सबसे बड़ी पूंजी है। 

बुद्धि ही सबसे बलवान 

बुद्धि की बात की जाए तो बुद्धिमान होने पर ही जीवन में आप बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं, तो ऐसे में आइए पढ़ें ये एक कहानी। 

खरगोश और शेर 

एक बार एक जंगल में एक शेर रहा करता था। वह बहुत से जानवरों को मारा करता था। सभी जानवर एक बार शेर के पास दया की प्रार्थना करने गये। शेर प्रतिदिन सुबह एक जानवर खाना चाहता था। वे इसके लिए सहमत हो गये। एक दिन एक खरगोश की बारी थी। उसने शेर को सजा देने की सोची। वह शेर की गुफा में बहुत देरी से पहुंचा। शेर क्रोधित हुआ। खरगोश ने कहा कि उसे एक अन्य शेर ने रोक लिया था। वह शेर उस दूसरे शेर को मार डालना चाहता था। खरगोश उसे एक कुएं पर ले गया। कुएं में शेर ने अपनी परछाई देखी। वह कुएं में कूद गया। वह डूबकर मर गया। जंगल के सभी जानवर खुश हुए। इसलिए कहा जाता है कि बेहद जरूरी है कि जीवन में बुद्धि से काम लिया जाए, किसी के कहे सुने पर विश्वास न किया जाए। इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है। 

अंगूर खट्टे हैं 

हमने यह कहावत हमेशा सुनी है, लेकिन ऐसा क्यों कहा जाता है, आइए इस कहानी के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं। 

लोमड़ी और अंगूर

एक बार एक लोमड़ी थी। एक दिन वह बहुत भूखी थी । वह भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। वह अंगूरों के एक बगीचे में गई। उसने पके हुए और मीठे अंगूरों का एक गुच्छा देखा। वह प्रसन्न हुई। वह उन्हें खाना चाहती थी। किन्तु गुच्छा ऊंचा था। लोमड़ी उन तक नहीं पहुंच सकी। वह इसकी ओर बार-बार कूदी। वह थक गई । वह उनको नहीं पकड़ सकी। वह चली गई। उसने कहा, “अंगूर खट्टे हैं।” वह बहुत दुखी हुई। इससे यही व्यतीत होता है कि आपको हमेशा कोशिश करती रहनी चाहिए, क्योंकि मेहनत का फल मीठा होता है

 

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