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होम / एन्गेज / साहित्य / किताब-घर

जानें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक के बारे में !

टीम Her Circle |  जून 16, 2025

बानू मुश्ताक का नाम इस साल काफी चर्चा में रहा है। इसके पीछे की वजह उनका लेखन रहा है। बानू मुश्ताक कर्नाटक की रहने वाली हैं और उन्हें इस साल अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है। कर्नाटक की 77 साल की लेखिका बानू मुश्ताक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ लेखन का भी कार्य करती हैं। उन्होंने हाल ही में अपनी कन्नड़ भाषा में लघु कहानी का लेखन किया। उनके लिए हुए कहानी संग्रह ‘हार्ट लैंप’ को साल 2025 का प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता है। यह पुरस्कार उन्हें और उनकी अनुवादक दीपा बस्ती को संयुक्त रूप से दिया गया है, जो पहली दफा कन्नड़ भाषा के साहित्य को किसी वैश्विक मंच पर मिला है और सम्मान दिया गया है। आइए जानते हैं विस्तार से।

जानें 'हार्ट लैंप' के बारे में

'हार्ट लैंप' एक कहानी संग्रह है, जिसमें 12 लघु कथाएं शामिल हैं, जो कि साल 1990 से 2023 के बीच लिखी गई है। यह कहानी खास तौर पर दक्षिण भारत के मुस्लिम समुदायों की महिलाओं के जीवन, उनके संघर्षों, परंपराओं और सामाजिक दबावों को उजागर करती है। उन्होंने अपने लेखन में व्यंग्य, कोमलता और गहरी भावनाओं को बखूबी शामिल किया है, इस वजह से उनकी इस लिखी हुई कहानी ने पाठकों को काफी प्रभावित किया है। उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका है, जब किसी कन्नड़ भाषा की कृति को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है। साथ ही यह पुरस्कार लेखक और अनुवादक के बीच समान रूप से बांटा जाता है, जिससे अनुवाद की महत्ता को भी मान्यता मिलती है। इससे पहले इस तरह का पुरस्कार साल 2022 में गीतांजलि श्री की 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को मिला था। देखा जाए, तो भारतीय लेखकों के लिए यह बड़ी उपलब्धि साबित हुई है। यदि आप 'हार्ट लैंप' पढ़ना चाहते हैं, तो यह पुस्तक पेंगुइन इंडिया द्वारा प्रकाशित की गई है और विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर उपलब्ध है। यह पुस्तक न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने में भी सहायक है।

जानें कैसा है बानू मुश्ताक का साहित्यिक सफर

बानू मुश्ताक ने साल 1970 से 1980 के दशक में बंदया साहित्य आंदोलन से जुड़ी रही हैं। उसी से जुड़कर उन्होंने लेखन का काम शुरू किया, जो कि जातिवाद और वर्ग भेद के खिलाफ था। इसके बाद उन्होंने महिलाओं के अधिकार, घरेलू हिंसा और धार्मिक असहिष्णुता जैसे मामलों पर भी अपनी कहानियों के माध्यम से आवाज उठाई है। उनकी लेखनी पर गौर किया जाए, तो उनका लेखन हमेशा से समाज के हाशिए पर खड़ी महिलाओं की कहानियां प्रमुखता से आती है। यह कहने में कोई गुरेज नहीं उनकी इस किताब ने ही उन्हें विश्व मंच पर पहचान दिलाई है। यहां तक कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी बानू मुश्ताक को अपना नाम इतिहास में लिखने की खास जगह दी है। 

अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार  

अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार  जितने वाले अन्य भारतीय लेखकों की कतार भी लंबी है। 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' के लिए  1981 में सलमान रुश्दी को पुरस्कार मिला। इसके बाद 'द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग' के लिए अंरुधति रॉय को साल 1877 का पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा, लेखिका किरण देसाई और अलविंद अडिगा को भी बुकर प्राइज मिल चुका है। इन सभी लेखकों ने भारतीय साहित्य को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है। गीतांजलि श्री का Tomb of Sand रेत समाधि भी इस कड़ी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसने हिंदी साहित्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलायी।

गीतांजलि श्री का उपन्यास Tomb of Sand रेत समाधि  पर विस्तार से

यह उपन्यास साल 2002 में अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास बना, जिससे भारतीय साहित्य को वैश्विक मंच पर एक खास पहचान मिली है।'रेत समाधि' की कथा 80 वर्षीय महिला और मां के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। अपने पति की मृत्यु के बाद वह गहरे अवसाद में चली जाती है, लेकिन फिर पाकिस्तान यात्रा पर निकलती है, जहाँ वह विभाजन के समय के अपने अनुभवों का सामना करती है। यह यात्रा न केवल भौतिक है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक भी है, जिसमें वह अपने अस्तित्व, पहचान और परिवार के संबंधों पर पुनर्विचार करती है।गीतांजलि श्री की लेखन शैली अत्यधिक सृजनात्मक और प्रयोगात्मक है। उन्हें अपनी भाषा और शैलियों के साथ खेलने में आनंद आता है, जो पाठकों को एक नई दृष्टि प्रदान करता है। डेज़ी रॉकवेल का अनुवाद इस जटिलता को बखूबी अंग्रेज़ी में उतारता है, जिससे उपन्यास की आत्मा बनी रहती है। इस उपन्यास की बात की जाए, तो यह उपन्यास विभाजन, सीमा, पहचान, और नारीवाद जैसे गहरे विषयों की पड़ताल करता है। यह न केवल एक व्यक्तिगत यात्रा की कहानी है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक सीमाओं के खिलाफ एक प्रबल विरोध भी है। मां की यात्रा एक प्रतीक है, जो हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपने अतीत और वर्तमान को कैसे समझते हैं।

जानें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के बारे में 

यह एक तरह का वैश्विक साहित्यिक सम्मान है, जो जो हर वर्ष विश्व के किसी भी भाषा में लिखी गई और अंग्रेज़ी में अनूदित उत्कृष्ट पुस्तक को प्रदान किया जाता है।इस पुरस्कार का उद्देश्य दुनिया के साहित्यिक परिदृश्य में विविधता लाना और अनुवादकों के अमूल्य योगदान को मान्यता देना है।

 

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