img
हेल्प
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • कनेक्ट
  • एक्स्क्लूसिव
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
होम / एन्गेज / साहित्य / किताब-घर

हर महिला को शिक्षा और स्वाभिमान की राह दिखाती है ‘नया रास्ता’

प्राची |  सितंबर 02, 2023

हर रास्ता मंजिल पर पहुंचे ये जरूरी नहीं है, लेकिन उन्हीं रास्तों पर मौजूद पथरीली सड़क आपको जिंदगी की राह जरूर दिखाती है। ऐसा ही कुछ कहानी है मीनू की, जो कि समाज के कई रूढ़िवादी सोच के विकट रास्तों के जरिए अपने जीवन की नाव को किनारे तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं। सुषमा अग्रवाल ने अपने सामाजिक उपन्यास ‘नया रास्ता’ के जरिए महिलाओं से जुड़े कई जरूरी मुद्दों को फिर से उजागर करने का सफल प्रयास किया है, जिसका सामना कहीं न कहीं हर महिला अपने जीवन में करती आयी है। फिर चाहे उसे रिजेक्शन(अस्वीकार) का सामना करना हो या फिर दहेज और शिक्षा से संबंधित अधिकार का हनन होना हो, लेखिका ने उपन्यास की नायिका मीनू के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि महिलाओं के जीवन का ईमानदार साथी शिक्षा के अलावा कोई दूसरा नहीं हो सकता है और इस साथी के साथ पर उसका पूरा अधिकार है। कहानी की बात की जाए, तो यह उपन्यास मीनू के इर्द-गिर्द गोल चक्कर लगाता है। मीनू विवाह योग्य हो चुकी है और उसे देखने अमित का परिवार आता है। अमित और मीनू एक दूसरे को पसंद कर लेते हैं, लेकिन मीनू की मां अधिक दहेज की लालच में अमित की शादी कहीं और तय कर देती हैं, इससे मीनू को गहरा झटका लगता है और वह शादी न करने का विचार करते हुए पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करती है। इस दौरान फिर से उसके जीवन में अमित की वापसी होती है। ऐसे में मीनू क्या फैसला लेती है, यह इस उपन्यास की पूरी कहानी है, हालांकि इस उपन्यास में जैसी करनी वैसी भरनी कहावत को भी पूरा किया गया है, जहां सबसे अहम दहेज प्रथा को बड़े ही सरल तरीके से समझाया गया है। लेखिका ने इस उपन्यास के जरिए यह बताने की भी कवायद की है कि एक लड़की के जीवन का संघर्ष उस वक्त शुरू हो जाता है, जब वह महिला बनने की दहलीज पर कदम रखती है। पढ़ाई से पहले परिवार को उसके लिए शादी जरूरी लगती है, लेकिन जब वही शादी उसके जीवन की सबसे बड़ी चुभन बन जाए, तो क्या होता है। कैसे वह पूरी होने की तलाश में खुद को हर वक्त अधूरा पाती है। आप इस उपन्यास को लघु उपन्यास के तौर पर पढ़ सकती हैं। 100 पेजों से भी कम में यह उपन्यास नारी को जीवन की सीख दे जाती है कि महिलाएं छोटे शहर की हो या फिर बड़े शहरों की इससे फर्क नहीं पड़ता। शादी के बाद अक्सर ऐसा होता है, जब किसी न किसी मामले को लेकर ससुराल में उसकी पैसों से तुलना जरूर की जाती है। उल्लेखनीय है कि मीनू की कहानी आपको दादी-नानी की कहानी जैसी भी प्रतीत होती है, जो कि एक लड़की की कीचड़ से भरी जिंदगी को गुलाब के फूल तक पहुंचाने का सफर है। जो यह बताती है कि जीवन के जटिल हालातों पर जीत पाने के लिए परिश्रम, त्याग और अपार धैर्य से गुजर कर जाना होता है।

शेयर करें
img
लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle